Haryana Government Job: हरियाणा में 22600 पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने चुनाव आयोग से मांगी अनुमति
Haryana Government Job हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने राज्य में 22600 पदों को भरने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। दरअसल राज्य में शहरी निकाय चुनाव हो रहे हैं। इसलिए भर्ती के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Government Job: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने विभिन्न विभागों व बोर्ड-निगमों में खाली पदों को भरने के लिए 22 हजार 600 पदों पर भर्ती शुरू करने का निर्णय लिया है। सरकार से इसकी मंजूरी मिल चुकी है। चूंकि हरियाणा में 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिकाओं के चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने से पहले आयोग ने राज्य चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। कर्मचारी चयन आयोग ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती का निर्णय लिया है। इन दोनों ही कैटेगरी के पदों के लिए आयोग द्वारा सामान्य पात्रता परीक्षा का आयोजन भी किया जाना है। यह परीक्षा अगस्त में होगी, लेकिन भर्ती प्रक्रिया पहले शुरू कर दी जाएगी।
मेडिकल कालेजों के 829 छंटनीग्रस्त कर्मचारियों को वापस नहीं लेगी सरकार
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मेडिकल कालेज से बर्खास्त अनुबंधित कोविड कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर नहीं लेने के फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। बजट न होने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग ने 31 मार्च को 2212 कोविड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था, जिसमें 1383 जनरल अस्पतालों (जीएच) और 829 मेडिकल कालेजों में कार्यरत थे।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन हरियाणा के निरंतर संघर्ष के चलते पहली जून को एनएचएम के एमडी ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर अस्पतालों से छंटनीग्रस्त 1383 कर्मचारियों को सशर्त वापस ड्यूटी पर लेने के आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन शुक्रवार को निदेशक, मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ने सभी सिविल सर्जन को पत्र भेजकर मेडिकल कालेजों से छंटनीग्रस्त 829 कर्मियों को वापस ड्यूटी पर लेने से साफ मना कर दिया है। इसे लेकर कर्मचारियों में भारी आक्रोश पैदा हो गया है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और स्वास्थ्य मंत्री से मामले में तुरंत हस्तक्षेप करते हुए अपने आदेश को कड़ाई से लागू करवाने की मांग की है। सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान सुभाष लाम्बा व महासचिव सतीश सेठी ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार की करनी व कथनी में जमीन-आसमान का अंतर है। स्वास्थ्य मंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने 31 मार्च 2022 को नौकरी से हटाए सभी कोविड कर्मियों को एक साल के लिए ड्यूटी पर वापस लेने के आदेश दिए थे। एक महीने बाद ड्यूटी पर वापस लेने की बजाय निदेशक, मेडिकल एजुकेशन ने प्रदेश के सभी छह मेडिकल कालेजों के निदेशकों को आदेश जारी कर कर्मचारियों को ड्यूटी पर लेने से साफ मना कर दिया है।
लाम्बा के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि कोविड के कम केस होने के कारण इन कर्मियों की अब कोई आवश्यकता नहीं है, जबकि मेडिकल कालेजों में बड़ी संख्या में पोस्ट खाली पड़ी हैं। यह जले पर नमक छिड़कने जैसा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने बताया कि इससे पहले कर्मियों में फूट डालने का प्रयास करते हुए मिशन डारेक्टर ने एक जून को सभी सिविल सर्जन को शर्तों के आधार पर 12 की बजाए सात महीने के लिए कौशल रोजगार निगम से छंटनीग्रस्त कर्मियों में से मांग अनुसार ड्यूटी पर लेने के आदेश जारी किए थे। इससे भी प्रदेश में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ जिलों में सिविल सर्जन कौशल रोजगार निगम के पोर्टल पर पोस्ट न होने की बात कह कर ज्वाइनिंग नहीं करवा रहे हैं तो कुछ मांग के हिसाब से ज्वाइनिंग की कह रहे हैं। इन सबके चलते ज्वाइनिंग रुकी हुई है।