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कभी बोलती थी पंचकूला में प्रदीप चौधरी से इनेलो की तूती, आज नहीं कोई बड़ा चेहरा

प्रदीप चौधरी कठिन से कठिन परिस्थितियों में उनके परिवार के साथ रहे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 08:02 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 06:38 AM (IST)
कभी बोलती थी पंचकूला में प्रदीप चौधरी से इनेलो की तूती, आज नहीं कोई बड़ा चेहरा
कभी बोलती थी पंचकूला में प्रदीप चौधरी से इनेलो की तूती, आज नहीं कोई बड़ा चेहरा

राजेश मलकानियां, पंचकूला : जिला पंचकूला में चौटाला परिवार के वफादार प्रदीप चौधरी कठिन से कठिन परिस्थितियों में उनके परिवार के साथ रहे। चौटाला परिवार ने पार्टी का नाम बदला लेकिन प्रदीप चौधरी ने कभी पार्टी छोड़ने के बारे में नहीं सोचा। पांच बार इंडियन नेशनल लोकदल ने प्रदीप चौधरी को कालका विधानसभा से टिकट दिया जिसमें से वे एक बार ही जीत हासिल कर पाए। प्रदीप चौधरी को कान्फैड के चेयरमैन सहित कई अन्य पदों पर भी इनेलो सरकार में बने रहने का मौका मिला। प्रदीप चौधरी के नाम से पंचकूला जिले में इनेलो की पहचान थी। चौटाला परिवार भी प्रदीप चौधरी के किसी काम को इन्कार नहीं करता था। परंतु चौटाला परिवार के दोफाड़ होने के बाद प्रदीप चौधरी ने मुश्किल समय में चौटाला परिवार को छोड़ दिया और आज वे कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। कालका विधानसभा क्षेत्र में अब पार्टी के पास चुनाव लड़ाने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है। भाग सिंह दमदमा करते थे खिलाफत

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इनेलो में रहते हुए प्रदीप चौधरी की कालका क्षेत्र में खिलाफत करने वाला बड़ा चेहरा भाग सिंह दमदमा थे। जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में इनेलो से टिकट मांगी थी परंतु प्रदीप चौधरी को दरकिनार करने के बारे में इनेलो सोच भी नहीं सकती। भाग सिंह दमदमा भाजपा में शामिल हो गए। जिला परिषद के सदस्य बने तो उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें जिला परिषद अध्यक्ष बना दे लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बनाई तो भाग सिंह दमदमा जजपा में शामिल हो गए। अब इनेलो का यह दूसरा चेहरा भी पार्टी के साथ नहीं है। दमदमा को जजपा कालका से मैदान में उतारने की तैयारी में है। खूब रोए थे योगराज सिंह

पंचकूला विधानसभा क्षेत्र में केवल दो बार ही चुनाव हुए हैं। इन दोनों चुनाव में इनेलो ने नए तजुर्बे करके देखे लेकिन सफलता नहीं मिली। परंतु पार्टी के वोट बैंक में अवश्य इजाफा हुआ था। वर्ष 2009 में पंजाबी वोट बैंक को मद्देनजर रखते हुए युवराज सिंह के पिता योगराज को इनेलो ने टिकट देकर मैदान में उतारा था। योगराज ने गरीबों के घर खाना खाया, खूब रोए, चिल्लाए, पानी पी-पीकर सरकार को कोसा परंतु जीत नहीं मिली। योगराज ने 2009 के चुनाव में अपनी कला का अद्भुत नमूना पेश किया था। जब भी वह प्रचार के लिए निकलते तो लोगों की खूब भीड़ जुटती थी। परंतु हारने के बाद योगराज सिंह पंचकूला से गायब हो गए और फिर इनेलो के मंच पर नहीं आए। कुलभूषण गोयल ने दी जबरदस्त टक्कर

इंडियन नेशनल लोकदल ने बड़े व्यापारी नेता, स्वच्छ छवि और पंचकूला में बनिया समुदाय के वोटबैंक को देखते हुए 2014 में कुलभूषण गोयल को मैदान में उतारा। कुलभूषण गोयल ने जबरदस्त प्रचार किया। हर तरफ गोयल के नाम पर चर्चा होने लगी। एक दौर आया जब लोग कहने लगे थे कि गोयल की जीत पक्की है। गोयल बनिया समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं। बिल्कुल साफ छवि और मिलनसार नेता हैं। इसके चलते इनेलो जिसे शहरों में ज्यादा तरजीह लोग नहीं देते थे, वहां पर भी इनेलो के नाम की जबरदस्त चर्चा हो गई। परंतु अंतिम क्षणों में भाजपा के चक्रव्यूह को तोड़ने में गोयल कामयाब नहीं हो पाए और दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था। अब गोयल भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। गोयल का नाम अब भाजपा की टिकट के लिए पंचकूला एवं कालका दोनों ही जगह लिस्ट में पूरी गर्म चर्चा में है। अब ये हैं दावेदार

अब इनेलो की टिकट के लिए पूर्व नगर परिषद प्रधान सीमा चौधरी, पूर्व पार्षद सुभाष चंद निषाद लाइन में लगे हुए हैं। सुभाष निषाद का कहना है कि समय बदलता रहता है, आज इनेलो का समय खराब है तो कभी अच्छा भी था। पार्टी ने टिकट दिया तो चुनाव मैदान में उतरूंगा और जीत के लिए पूरा जोर भी लगाउंगा।


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