सरकारी जमीन से हटेंगी स्लम बस्तियां, मिलेंगे सस्ते मकान
हरियाणा सरकार सरकार जमीन पर बनी स्लम बस्तियाें को हटाएगी। इसके बदले इनमें रहनेवाले लोगों को सस्ता मकान दिया जाएगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। शहरों में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनी स्लम बस्तियों को हटाकर यहां के लोगों को सरकार सस्ते मकान दिलाएगी। मलिन बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए जमीन का इंतजाम नगर पालिकाएं करेंगी जिस पर निजी बिल्डर पक्के मकान बनाकर देंगे। भवन बनने तक गरीबों को अन्य किसी स्थान पर रहने के लिए 1500 से तीन हजार रुपये किराया मिलेगा।
प्रोजेक्ट के लिए जमीन दिलाने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अगले चार साल में सभी को पक्के मकान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने नई नीति बनाई है। केंद्र और राज्य सरकार या शहरी स्थानीय निकाय की जमीन पर पनपी स्लम बस्तियों को शिफ्ट करने के लिए नगर निगम, परिषद और पालिकाएं भूमि उपलब्ध कराएंगी। मकान बनाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत बोली लगाई जाएगी और सफल बिल्डर इस परियोजना को सिरे चढ़ाएगा।
फ्लैट बनने तक गरीबों को मिलेगा 1500 से तीन हजार रुपये तक किराया
अगर किसी शहर में बिल्डर भवन निर्माण में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं तो पालिकाएं अपने स्तर पर मलिन बस्तियों का पुनर्विकास करेंगी। फ्लैट या मकान आवंटित किए जाने के एक साल के अंदर रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन गठित कर दी जाएगी जो तमाम व्यवस्थाएं देखेगी।
पीपीपी मोड के जरिये भवन निर्माण की स्थिति में संबंधित बिल्डर भवन बनने तक आवेदक को दूसरे स्थानों पर रहने के लिए मकान का किराया देगा। नगर निगम गुरुग्राम व फरीदाबाद में तीन हजार रुपये मासिक तो दूसरे नगर निगमों में दो हजार रुपये किराये के लिए दिए जाएंगे। नगर परिषदों में यह राशि 1500 और नगर पालिकाओं में एक हजार रुपये होगी। नगर पालिकाएं सुनिश्चित करेंगी कि परियोजना को सौंपने की तारीख से एक महीने के भीतर लाभार्थियों को फ्लैट मिल जाएं।
गुरुग्राम-फरीदाबाद में मकान के लिए देने पड़ेंगे एक लाख रुपये
स्लम बस्तियों के लोगों को फ्लैट मिलने के बाद 24 मासिक किस्तों में कुछ राशि का भुगतान करना पड़ेगा। गुरुग्राम व फरीदाबाद के लोगों को मकान के बदले एक लाख रुपये तो दूसरे नगर निगमों में 75 हजार रुपये देने होंगे। इसी तरह नगर परिषदों में 50 हजार रुपये और नगर पालिका क्षेत्र में 25 हजार रुपये देने पड़ेंगे। निर्धारित समय सीमा गुजरने के बाद लाभार्थी को छह महीने और मिलेंगे। इसके बाद भी पैसा नहीं चुकाया तो मकान दूसरे व्यक्ति को अलॉट कर दिया जाएगा। दस साल तक इस मकान को बेचने या हस्तांतरित करने की अनुमति नहीं होगी।
बिल्डरों को भी मिलेगी कई छूट
प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बिल्डरों को भी कई रियायतें दी गई हैं। उनसे बाह्य विकास शुल्क (ईडीसी), आंतरिक विकास शुल्क (आइडीसी), लाइसेंस शुल्क, परिवर्तन शुल्क, जांच शुल्क और श्रम सेस नहीं लिया जाएगा। फ्री सेल कंपोनेंट के मामले में डेवलपर को श्रम उपकर और ईडीसी लाइसेंस शुल्क, परिवर्तन शुल्क और जांच शुल्क के 50 फीसद का भुगतान करना होगा।
हर फ्लैट निर्माण के लिए केंद्र सरकार बिल्डर को एक लाख रुपये और प्रदेश सरकार 67 हजार रुपये देगी। दो साल में प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने पर फ्री सेल कंपोनेंट की 20 फीसद राशि दो साल तक काटी जाएगी। चार साल से अधिक समय लगने पर प्रोजेक्ट को पालिकाएं अपने कब्जे में ले लेंगी और डेवलपर को फ्री सेल कंपोनेंट नहीं दिया जाएगा।