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छह साल में छह लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मोड़ा मुंह

हरियाणा में छह साल में छह लाख बच्चे सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ चुके हैं। 2012-13 में 27.29 लाख छात्र थे, जबकि अब 21.20 लाख बचे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 01:37 PM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 10:22 AM (IST)
छह साल में छह लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मोड़ा मुंह
छह साल में छह लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मोड़ा मुंह

जेएनएन, चंडीगढ़। शिक्षा विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश के सरकारी स्कूलों में हर साल विद्यार्थियों की संख्या सिमटती जा रही है। पिछले छह वर्षों में छह लाख से अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ लिया। खासकर प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या में भारी गिरावट आई। बच्चों को सरकारी स्कूलों की ओर मोड़ने में अभी तक नाकाम रहा शिक्षा विभाग नए सत्र में समस्या से पार पाने के लिए नए सिरे से प्लानिंग में जुटा है।

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निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस और अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद ज्यादातर अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की जगह निजी स्कूलों को ही तरजीह दे रहे हैं। इसकी बड़ी वजह स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का टोटा और 52 हजार शिक्षकों की कमी है। सरकारी स्कूलों में बच्चों को किताबों से लेकर खाना, ड्रेस एवं साइकिल सहित अन्य सुविधाएं तो मिलती हैं, लेकिन अच्छी पढ़ाई की कोई गारंटी नहीं। इसी कारण हर साल औसतन एक लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में कम होते चले गए।

वर्ष 2012-13 में जहां सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक कुल 27.29 लाख बच्चे थे, वहीं चालू सत्र में यह आंकड़ा 21.20 लाख पर सिमट गया है। वर्ष 2015-16 में ही चार लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों को अलविदा कर गए। बच्चों की लगातार घटती संख्या को लेकर शिक्षा विभाग के साथ शिक्षक वर्ग भी चिंतित है। शिक्षाविदों के मुताबिक अगर यही स्थिति रही तो अगले दस साल में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नाममात्र की होगी।

सरकारी स्कूलों में बच्चों की स्थिति

सत्र                    प्राथमिक             मिडल           सेकेंडरी              कुल 

2012-2013      13,43,958      7,28,389        6,56,544        27,28,891

2013-2014      12,72,491      7,64,373        6,68,485        27,05,349

2014-2015      12,00,871      7,57,341        6,61,398        26,19,610

2015-2016      9,48,619        6,61,380        6,27,874        22,37,873

2016-2017      9,12,154        6,18,674        6,12,025        21,42,913

2017-2018      9,11,611        5,90,490         6,18,408       21,20,509

बच्चों को सरकारी स्कूलों की ओर मोडऩे का प्लान

बच्चों का पलायन रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान, एसएसए और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के सहयोग से प्लान तैयार किया है ताकि बच्चे प्राइवेट स्कूलों की बजाए सरकारी स्कूलों में ही पढ़ें। इसके लिए राजकीय विद्यालयों को कान्वेंट कल्चर की तरह डेवलप करने की योजना बनाई गई है। बच्चों को बैठने के लिए डेस्क, लाइब्रेरी, टायलेट, प्ले ग्राउंड की सुविधाएं दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो चुकी। पीने के लिए स्वच्छ जल होगा। बच्चों का हेल्थ चेकअप भी स्कूल में ही कराया जाएगा।

शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम तो हुई है, लेकिन इसकी वजह कुछ और है। ऑनलाइन दाखिलों के कारण अब फर्जी एडमिशन नहीं हो पाते। पहले एक ही बच्चे का सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में दाखिला होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा सकता। कुछ अध्यापक अपने क्षेत्र में रहने के लिए बच्चों के फर्जी दाखिले करा देते थे जिससे उन्हें अपने ही इलाकों में पोस्ट मिल जाती थी। इस पर अब अंकुश लग चुका है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का बेहतर माहौल बनाने के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं जिसका असर जल्द ही दिखेगा।

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