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शराब घोटाले की जांच में अनिल विज को झटका, एसईटी को पावरफुल बनाने की कोशिशों पर अड़ंगा

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज को शराब घोटाले की जांच में झटका लगा है। विज की घोटाले की जांच कर रही एसईटी को पावरफुल बनाने की कोशिश काे झटका लगा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 12:27 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 12:27 PM (IST)
शराब घोटाले की जांच में अनिल विज को झटका, एसईटी को पावरफुल बनाने की कोशिशों पर अड़ंगा
शराब घोटाले की जांच में अनिल विज को झटका, एसईटी को पावरफुल बनाने की कोशिशों पर अड़ंगा

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में शराब घोटाले की जांच करा रहे गृह मंत्री अनिल विज को दूसरी बार झटका लगा है। पहली बार तब, जब सरकार ने उनसे सीआइडी वापस ले ली थी। दूसरी बार अब, जब शराब घोटाले की जांच कर रही एसईटी (स्पेशल इंक्वायरी टीम) को एसआइटी (स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम) की पावर नहीं दी जा रही है। अब शराब घोटाले में शामिल बड़े नेता, अधिकारी और तस्कर शायद ही शिकंजे में फंस पाएं।

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हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के प्लान पर एडवोकेट जनरल कार्यालय का अडंगा

हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने एसईटी को अधिक पावर देने के गृह सचिव विजयवर्धन के पत्र पर नेगेटिव रिपोर्ट दी है। इससे पहले एलआर (कानूनी सलाहकार) ने अपनी राय देने से इन्‍कार करते हुए एडवोकेट जनरल के पाले में गेंद डाल दी थी। गृह मंत्री अनिल विज चाहते थे कि लॉकडाउन के दौरान गोदामों से गायब हुई शराब और उसकी बिक्री के घोटाले की एसआइटी से जांच कराई जाए, लेकिन सरकार ने एसआइटी की बजाय एसईटी की अधिसूचना जारी कर दी।

हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने नहीं दी एसईटी को एसआईटी के समान पावर देने की सलाह

यह मामला अखबारों की सुर्खियां बना तो गृह मंत्री ने भारतीय दंड संहिता की धारा 32 के तहत एसईटी को ही एसआइटी के समान पावर देने के निर्देश जारी कर दिए।  हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान करोड़ों रुपये का शराब घोटाला हुआ है। मालगोदाम से शराब चोरी तो हुई ही, साथ ही इसे पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से महंगे दामों पर बेचा गया। गृह मंत्री अनिल विज के निर्देश पर गृह सचिव विजयवर्धन ने पहले एलआर फिर एडवोकेट जनरल को पत्र लिखा। गृह सचिव ने पूछा कि क्या एसईटी को एसआइटी के समान पावर दी जा सकती है।

गृह मंत्री अनिल विज ने खुद स्वीकार किया कि एसईटी को अधिक पावर देने से एडवोकेट जनरल ने इन्‍कार कर दिया और नेगेटिव रिपोर्ट दी है। एडवोकेट जनरल ने कहा है कि जांच के आधार पर एफआइआर दर्ज हो सकती है। इसके लिए तथ्य जांच एजेंसी (एसईटी) भी जुटा सकती है।

एडवोकेट जनरल की राय से विज नाखुश

एडवोकेट जनरल कार्यालय की राय से अनिल विज नाखुश दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि सरकार सभी की राय से चलती है। वह चाहते थे कि एसआइटी बने, मगर सरकार ने एसईटी बना दी। मैं इससे अधिक और क्या कह सकता हूं।

हरियाणा सरकार ने सीनियर आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता के नेतृत्व में एसईटी का गठन किया था। इस कमेटी में एडीजीपी सुभाष यादव और एडीशनल आबकारी एवं कराधान आयुक्त विजय सिंह बतौर सदस्य नियुक्त किए गए। एडीजीपी सुभाष यादव 31 मई को रिटायर हो रहे हैं। टीसी गुप्ता कमेटी को भी 31 मई तक ही अपनी रिपोर्ट देनी है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब बड़े मगरमच्छ एसईटी की पकड़ में नहीं आ सकेंगे।

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