Move to Jagran APP

बच्‍ची की दुष्‍कर्म के बाद हत्‍या के तीन आरोपितों की फांसी की सजा 20 साल कैद में तब्‍दील

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक नौ साल की बच्‍ची की दुष्‍कर्म के बाद हत्‍या करने के तीन दाेषियों की फांसी की सजा को 20 साल कैद में तब्‍दील कर दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 07 Dec 2018 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 07 Dec 2018 09:27 AM (IST)
बच्‍ची की दुष्‍कर्म के बाद हत्‍या के तीन आरोपितों की फांसी की सजा 20 साल कैद में तब्‍दील
बच्‍ची की दुष्‍कर्म के बाद हत्‍या के तीन आरोपितों की फांसी की सजा 20 साल कैद में तब्‍दील

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने नारनौल के अटेली इलाके में नौ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के तीन दोषियों की फांसी की सजा को 20 साल के सश्रम कारावास में तब्दील कर दिया है। वैसे, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि तीनों दोषियों को 20 साल की अवधि जेल में बितानी होगी और उन्हें किसी प्रकार की सजा माफी का लाभ नहीं दिया जाएगा।

loksabha election banner

बता दें कि तीनों दोषियों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में आरोप स्वीकार कर लिया था। इस केस को रेयरेस्ट ऑफ दि रेयर की श्रेणी में रखते हुए फास्ट ट्रेक कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी। एक अभियुक्त जो बरी किया गया, वह रेलवे में इंजीनियर था, जिसके खिलाफ आरोप साबित नहीं सके।

बच्ची का शव  31 अक्टूबर, 2014 को झाडिय़ों में मिला था। घटना की रात वह घर से चूहा छोड़ने के लिए निकली थी। तीनों ने उसका अपहरण कर लिया। रात भर बच्ची की तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिली। सुबह उसका शव झाडिय़ों से बरामद हुआ। अटेली पुलिस ने लगभग 100 लोगों से पूछताछ और जांच के बाद अटेली के ही चार लोगों को गिरफ्तार किया था।  फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 19 जनवरी, 2017 को चार अभियुक्तों में से तीनं अरुण, दीपक और राजेश को फांसी की सजा सुनाई थी।

एकांत में न रखे जाएं फांसी की सजा पाने वाले

फांसी की सजा को 20 साल की सजा में तब्दील करने वाली जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल की खंडपीठ ने कहा है कि जिन लोगों को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उनको जेल में अकेले नहीं रखा जाना चाहिए। उन्हें तभी अकेले रखा जाए, जब वे सुप्रीम कोर्ट तक अपने बचाव के सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हों।  एकांत में रखे जाने का कैदियों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है और बड़ी अदालतों द्वारा फांसी की सजा में राहत मिलने पर कैदी को हो चुके नुकसान की भरपाई नहीं हो पाती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.