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बीज घोटाला : खेमका ने खटखटाया कैग का दरवाजा

आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका गेहूं बीज घोटाले की तह में जाकर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई कराए बिना मानने वाले नहीं हैं। सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट से नाखुश खेमका कैग की उस रिपोर्ट से तो खुश हैं,लेकिन उन्‍हें लग रहा है कि यह और बड़ा घोटाला हो सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2015 01:36 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2015 10:50 PM (IST)
बीज घोटाला : खेमका ने खटखटाया कैग का दरवाजा

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। चर्चित आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका गेहूं बीज घोटाले की तह में जाकर आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई कराए बिना मानने वाले नहीं हैं। सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट से नाखुश खेमका कैग की उस रिपोर्ट से तो खुश हैं।इसमें गेहूं बीज घोटाले को उजागर किया गया है, लेकिन खेमका को यह भी लग रहा कि कैग यदि गहराई में जाए तो और बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

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खेमका ने अपनी इसी मंशा को जाहिर करते हुए सीएजी हरियाणा (कैग) की चीफ अकाउंटेंट जनरल महुआ पाल को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दो खास बिंदुओं का जिक्र करते हुए गेहूं बीज घोटाले की गहराई से छानबीन करने का सुझाव दिया है।

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खेमका ने पत्र में कहा कि सीएजी की रिपोर्ट में 2009 में हुई गेहूं के बीजों की खरीद से जुड़े तथ्य मौजूद नहीं हैं। व्यापक पैमाने पर होने वाली खरीद के लिए टेंडर होने चाहिए, लेकिन 45 हजार 605 क्विंटल बीज दो प्राइवेट पार्टियों से 1730 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बिना टेंडर किए खरीद लिए गए। इस खरीद पर सरकार के आठ करोड़ रुपये खर्च हुए और यह बीज किसानों को दिया जाना था।

खेमका ने सीड विलेज स्कीम की चैकिंग किए जाने की जरूरत बताते हुए कहा कि यह चेक किया जाना चाहिए था कि इस स्कीम के तहत 2011-12 के रबी सीजन के दौरान किसानों तक बीज पहुंचाए जाने की स्थिति क्या रही। इस स्कीम के तहत 36 हजार 856 क्विंटल बीज बेचा गया था।

खेमका का दावा है कि यह बीज इस्तेमाल में लाने की बजाए फ्लोर मिलों को भिजवा दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया है कि हरियाणा बीज विकास निगम ने सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में बताई गई दर से ज्यादा दर से बीच खरीदा था।

मुख्य सचिव ने कैग रिपाेर्ट पर उठाए सवाल

दूसरी तरफ, कृषि विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव आइएएस रोशन लाल ने मुख्य सचिव डीएस ढेसी को पत्र लिखकर कैग की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि गेहूं का बीज सस्ती दरों पर खरीदा गया था। कैग ने तथ्यों की सही जांच नहीं की गई है।

तीन करोड़ नहीं, इससे अधिक का गोलमाल

खेमका ने बीज विकास निगम में गेहूं बीज घोटाले का मामला उस समय उठाया था, जब वह हरियाणा बीज विकास निगम में एमडी के पद पर तैनात थे। उन्होंने बीजों की खरीद में अनियमितताओं को उजागर करते हुए इसकी जांच की सिफारिश की थी। सीएजी ने भी मामले की जांच की और खेमका की तरफ से उठाए गए मामले को सही पाया।

खेमका ने आरोप लगाया था कि निगम में 2010 में गेहूं के बीच काफी ऊंची कीमत पर खरीदे गए थे। सीएजी जांच में कहा गया कि इस खरीद से निगम को करीब तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। खेमका को लग रहा है कि यह राशि कहीं अधिक है।


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