कैश वाहनों के सुरक्षा नियम हुए सख्त, बगैर लाइसेंस वाली एजेंसियां हटेंगी
हरियाणा सरकार ने बैंक कैश वाहनों के लिए सुरक्षा नियमों को सख्त कर दिया है। अब बिना लाइसेंस वाले कैश वाहन एजेंसियों को हटाया जाएगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। बैंकों की नकदी लाने-ले जाने वाले वाहनों में लूट के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने सुरक्षा नियम कड़े कर दिए हैं। अब बिना लाइसेंस वाली कोई निजी सुरक्षा एजेंसी इन वाहनों पर तैनात नहीं की जा सकेगी। विशेष रूप से डिजाइन वाहनों में ही कैश लेकर जाना होगा और निजी एजेंसियां केवीसी सत्यापन और पुलिस सत्यापन के बाद ही सुरक्षा गार्ड इन वाहनों पर तैनात करेंगी। कैश वैन में लाइव जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है।
बैंकों के लिए विशेष रूप से डिजाइन वाहनों में ही लेकर जाना होगा कैश
चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में निजी सुरक्षा एजेंसियां (विनियमन) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी गई। इसके मुताबिक कैश वैन में निर्धारित मात्रा में ही नकदी रखी जा सकेगी। सुरक्षा में तैनात कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देना अनिवार्य रहेगा। बैठक में हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम के तहत जारी की जाने वाली अधिसूचनाओं और नियमों के अनुमोदन के संबंध में सारी शक्तियां मुख्यमंत्री को सौंपने का निर्णय लिया गया। इसके तहत मुख्यमंत्री नए नियम बनाने, कर की दर निर्धारित करने, अधिसूचनाएं जारी करने और इनमें संशोधन करने समेत प्रदेश में जीएसटी के क्रियान्वयन से संबंधित सभी मामलों की जिम्मेदारी छह महीने तक उठाएंगे।
लाइसेंस प्राप्त कॉलोनी में बिल्डर्स को सामुदायिक सुविधाओं के लिए सरकार को देना पड़ेगा 10 फीसद क्षेत्र
बैठक में नई एकीकृत लाइसेंसिंग नीति में संशोधन को स्वीकृति दी गई। अब कॉलोनाइजर को लेआउट प्लान और जोनिंग प्लान में 'सामुदायिक साइटÓ के रूप में चिह्नित सामुदायिक सुविधाओं के लिए लाइसेंस प्राप्त कॉलोनी का दस फीसद क्षेत्र सरकार को निशुल्क देना होगा। इसके अलावा हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन (संशोधन) विधेयक को स्वीकृति दी गई।
संशोधन के तहत राज्य में उद्यमियों तथा उद्योगों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा उद्यमों को शामिल करने, पहले से ही स्वीकृत मंजूरी के नवीनीकरण, एकल खिड़की तंत्र के दायरे में सेवाओं और विभागों के विस्तार, लचीली समय सीमा और नोडल अधिकारियों को शक्तियां देने की व्यवस्था की गई है।
कैथल में शामिल हुआ जींद का धनौरी
जींद की तहसील नरवाना का गांव धनौरी अब कैथल में शामिल होगा। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जींद से धनौरी की दूरी लगभग 70 किलोमीटर है जबकि कैथल से यह गांव सिर्फ 23 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा पंचकूला में बागवानी विभाग से संबंधित एक कनाल पांच मरला भूमि यूनिवर्सिटी लाइन डिपार्टमेंट कोर्डिनेशन सेंटर बनाने के लिए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार को हस्तांतरित की जाएगी।
ग्रुप बी और सी कर्मचारियों के सेवा नियम बदले
बैठक में हरियाणा वास्तुकला तकनीकी (गु्रप-सी) सेवा नियम में संशोधन को मंजूरी मिल गई। आर्किटेक्चरल असिस्टेंट, सीनियर ड्राफ्ट्समैन, सीनियर ड्राफ्ट्समेन (इंटीरियर डेकोरेटर), सीनियर ड्राफ्ट्समेन(मॉडलर), जूनियर ड्राफ्ट्समेन, असिस्टेंट ड्राफ्ट्समेन और फेरो-प्रिंटर जैसे विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण के मामले में यह नियम लागू होंगे।
हरियाणा तकनीकी शिक्षा विभाग (ग्रुप ए) सेवा नियम 1986 को निरस्त करते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग के ग्रुप-ए अधिकारियों के संबंध में मॉडल सेवा नियमों को स्वीकृति दी गई है। इसी प्रकार हरियाणा तकनीकी शिक्षा विभाग (ग्रुप-बी) की जगह भी मॉडल सेवा नियम लागू होंगे।
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हरियाणा सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार (ग्रुप-ए) सेवा नियम और हरियाणा सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार (ग्रुप-बी) सेवा नियम को मंजूरी मिली है। इससे राज्य में आइटी पेशेवरों का एक विशेषज्ञ काडर सृजित किया जा सकेगा। आइटी काडर के तहत गु्रप ए में निदेशक (प्रशासन) और वरिष्ठï प्रशासनिक अधिकारी के दो नए पद भी सृजित किए गए हैं।
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कृषि विश्वविद्यालय के हुए सीपीबी के कर्मचारी
सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी (सीपीबी) को विज्ञान परिषद से चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार को हस्तांतरित किया जाएगा। विश्वविद्यालय द्वारा सीपीबी के सभी नियमित कर्मचारियों की सेवाओं का समावेश किया जाएगा और उन्हें सीपीबी में नियमित आधार पर प्रदान की गई सेवा की निरंतरता और अन्य सेवाओं के लाभ प्रदान करेगा। सीपीबी के वे नियमित कर्मचारी जो विश्वविद्यालय में जाने के इच्छुक नहीं हैं, हरियाणा राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद में बने रह सकते हैं।
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वर्ष 2000 में सीपीबी की स्थापना राज्य में बागवानी/फूलों की खेती के लिए विशिष्टï पौधारोपण सामग्री का उत्पादन करने, उत्पादन गतिविधियों के लिए आवश्यकता आधारित अनुसंधान करने, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, किसानों और कॉर्पोरेट्स को गहन एवं व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने और टिशू कल्चर तकनीक अनुप्रयोग को लोकप्रिय बनाने जैसे विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की गई थी।
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