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नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले प्ले वे स्कूलों पर लग सकता है ताला

स्कूलों के नाम पर ऐसी दुकाने चल रही हैं जोकि शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 05:15 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:14 AM (IST)
नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले प्ले वे स्कूलों पर लग सकता है ताला
नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले प्ले वे स्कूलों पर लग सकता है ताला

राजकुमार, कालका : स्कूलों के नाम पर ऐसी दुकाने चल रही हैं जोकि शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूटने का काम कर रहे हैं। अगर बात करें नियमों की धज्जियां उड़ाने की तो शायद इसमें सबसे आगे प्ले वे के नाम पर चल रहे अधिकतर स्कूल आते हैं। इन स्कूलों ने शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया है। स्कूलों ने अभिभावकों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाते हुए एडमिशन ओपन के होर्डिग के द्वारा मानों सेल लगा रखी हो। लेकिन, अब नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी चल रही है। जिससे अनेक दुकानों पर ताले लगने की नौबत आ सकती है। सरकार ने कुछ समय पहले साफ कर दिया था कि शिक्षा के लिए स्कूल पहली से 12वीं कक्षा तक के चलेंगे और शेष बचे प्ले वे महिला एवं बाल कल्याण विभाग के पास सौंप दिए गए। उधर महिला एंव बाल कल्याण विभाग से बताया गया कि प्ले वे स्कूलों का निरीक्षण करने व रजिस्ट्रेशन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। स्कूलों की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी और अभिभावकों को भी जागरूक होना चाहिए। प्ले वे का खर्च कॉलेज से ज्यादा

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नियमों की पालना करने वाले स्कूल ही चलने चाहिए। अनेक स्कूलों का स्तर भी कुछ खास नहीं है और मासूम बच्चों का स्कूल खर्चा कॉलेज स्टूडेंट्स से भी ज्यादा होता है। मामले पर कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए।

- संदीप गर्ग, प्रधान, व्यापार मंडल कालका। वैसे तो दो तीन साल का बच्चा मानसिक रूप से स्कूल जाने के लिए तैयार नहीं होता है। सरकार ने जो पहली से 12वचीं तक कक्षा होने की बात कही थी वह उचित है। प्ले वे के नाम पर क्या हो रहा है सब को पता है।

- सुखविन्द्र वर्मा प्ले वे में किताबों का बोझ है। बच्चों के बैग इतने भारी हैं कि बच्चे बैग उठा ही नहीं पाते। भारी बैग अभिभावकों को उठाने पड़ते हैं। प्ले वे में भी सीबीएसई पेटर्न की बात कर अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकी जा रही है।

- अमन आनंद सरकार ने अच्छी पहल की है। अब विभाग को चाहिए कि प्ले वे के नाम पर चल रही दुकानों को बंद करें। मासूम बच्चों को किताबों के बोझ तले दबाने से उनके मानसिक विकास पर भी बुरा असर पड़ता है।

- डीएन शर्मा सभी स्कूल प्रिसिपलों को एनसीपीसीआर की गाइड लाइन के तहत स्कूल चलाने व अपने स्कूल का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए पत्र लिखे गए हैं। स्कूलों की चेकिग करते हुए कार्रवाई की जाएगी। अभी तक कालका क्षेत्र में किसी भी स्कूल का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

-अरू वशिष्ट, सीडीपीओ


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