अधिगृहीत जमीन की एवज किसानों को प्लाट देने में घोटाला, होगी सीबीआइ जांच
हरियाणा में किसानों काे अधीगृहीत जमीन की एवज में मिलने वाले प्लाट के आवंटन में घोटाला उजागर हुआ है। इसकी जांच अब सीबाीआइ करेगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ से सटे पंचकूला में सेक्टर विकसित करने को लेकर किसानों से अधिगृहीत जमीन के बदले उन्हेंं प्लाट आवंटित करने में बड़ा घोटाला सामने आया है। पंचकूला के सेक्टर पांच और छह को विकसित करने के लिए 2016 में किसानों से यह जमीन अधिगृहीत की गई थी। अधिगृहीत जमीन के बदले प्लाट हासिल करने के लिए करीब ढ़ाई सौ किसानों ने आवेदन किया था, जिनमें से 142 को आवेदन करने के लिए पात्र माना गया। तत्कालीन अधिकारियों ने इनमें से अपनी पसंद के सिर्फ 13 लोगों को बुलाया। 13 लोगों के लिए ही प्लाट के ड्रा निकाले और उन्हीं 13 लोगों को प्लाट आवंटित कर दिए गए।
पंचकूला के सेक्टर पांच और छह को विकसित करने के लिए अधिगृहीत की गई थी 2016 में जमीन
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर एवं पंचकूला के विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने इस घोटाले को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने उजागर किया तो सरकार ने जांच के आदेश दे दिये। जांच पूरी करने के बाद गड़बड़झाला साबित हो गया, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी है।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने जिन 13 लोगों को यह प्लाट आवंटित किए गए थे, उन्होंने आवंटन के एक सप्ताह के भीतर ही उन प्लाटों को दोबारा से बेच (री-सेल) भी दिया। पहले तो इन प्लाटों का आवंटन नियमानुसार नहीं हुआ है। अधिकारियों के दावे के मुताबिक अगर प्लाट आवंटन सही भी हुआ हैं, तब भी अगले पांच साल तक न तो इन्हेंं ट्रांसफर किया जा सकता था और न ही बेचा जा सकता है। ऐसा करने पर भी प्लॉट निरस्त किया जा सकता है।
250 किसानों ने किए आवेदन, 142 आवेदन सही मिले, इनमें से मनपसंद 13 लोगों को दिये प्लाट
अधिगृहीत भूमि के बदले किसानों को दिए जाने वाले प्लाट को आउस्टी कोटा कहते हैं। पंचकूला के सेक्टर पांच और छह को विकसित करने के लिए सरकार ने जब कुछ जमीन अधिगृहीत की तो इसी आउस्टी कोटे के तहत उन्हेंं दस मरले से लेकर एक कनाल तक के प्लाट आवंटित करने के लिए आवेटन मांगे गए। पंचकूला के तत्कालीन भाजपा विधायक एवं मौजूदा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने जांच में पाया कि प्लाटों के आवंटन में गड़बड़ की जा रही है। इसकी उन्होंने 2016 में ही सीएम को लिखित शिकायत भी की कर दी थी।
जिन लोगों की जमीन जिस सेक्टर के लिए इस्तेमाल की गई है, उनको उसी सेक्टर में प्लाट देने का प्रावधान है। इसे एडजस्ट नहीं किया जा सकता है। हर सेक्टर में टोटल प्लाट में से पांच प्रतिशत आउस्टी कोटे के प्लाट होते हैं। दो बीघा जमीन एक्वायर होने पर जमीन मालिक को दो मरला कैटेगरी, आधा एकड़ जमीन एक्वायर होने तक छह मरला प्लाट कैटेगरी, एक एकड़ जमीन एक्वायर होने पर 10 मरला कैटेगरी, एक एकड़ जमीन से ज्यादा एक्वायर होने पर 14 मरला प्लॉट के लिए अप्लाई करने का प्रावधान है। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के अनुसार घोटाला उजागर हो चुका है। अब सरकार ने इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए कार्रवाई पूरी कर ली गई है।
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'हमारी सरकार ने घोटाले की सीबीआइ जांच का साहस जुटाया'
'' मैंने मुख्यमंत्री को आउस्टी कोटे में प्लाटों के आवंटन में गड़बड़ होने की 2016 में लिखित शिकायत दी थी। इस आवंटन में वास्तविक पात्र लोगों की अनदेखी की गई तथा मनपसंद लोगों को प्लाट तत्कालीन अधिकारियों ने आवंटित किए। प्लाट आवंटन के बाद ही उनकी री-सेल भी की गई। इस काम में अधिकारियों के साथ कुछ प्रापर्टी डीलर भी मिले हुए थे। तीन सदस्यीय कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। 500 गज के एक प्लाट की कीमत करीब पांच करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री ऐसे ईमानदार व्यक्ति हैं कि उनकी सरकार में भी यदि कोई गड़बड़ अधिकारियों ने की और वह पकड़ में आ गई तो उन्होंने जांच के आदेश दे दिये। अब इस प्लाट आवंटन की सीबीआइ जांच के लिए सरकार ने लिख दिया है।
- ज्ञानचंद गुप्ता, स्पीकर, हरियाणा विधानसभा।
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