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Samjhauta Express blast case पाक महिला ने दी स्वामी असीमानंद सहित अन्य को बरी करने को चुनौती

Samjhauta Express blast case में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 07:22 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 11:51 AM (IST)
Samjhauta Express blast case पाक महिला ने दी स्वामी असीमानंद सहित अन्य को बरी करने को चुनौती
Samjhauta Express blast case पाक महिला ने दी स्वामी असीमानंद सहित अन्य को बरी करने को चुनौती

जेएनएन, चंडीगढ़। बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस बम ब्लास्ट (Samjhauta Express blast case) में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पाक महिला के वकील मोमिन द्वारा दायर अपील में कहा गया है कि इस मामले में पंचकूला की NIA कोर्ट ने ज्युडिशियल माइंड का प्रयोग नहीं किया। फैसले में कई खामियां हैं जिसकी वजह से NIA कोर्ट ने 20 मार्च को स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को बरी कर दिया था। यह मामला अभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल किया गया है, अगर रजिस्ट्री ने कोई आपत्ति नहींं लगाई तो संभवत अगले सप्ताह हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर सकता है। 

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बता दें, करीब 12 साल पहले पानीपत के पास Samjhauta Express blast मामले में NIA की विशेष अदालत ने मार्च 2019 में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। अदालत ने पाकिस्तानी महिला गवाह राहिला की याचिका को खारिज करते हुए स्वामी असीमानंद सहित मामले के चारों आरोपितों लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को बरी कर दिया था।

बता दें, इससे पूर्व समझौता एक्‍सप्रेस धमाका मामले में 11 मार्च को फैसला ऐन वक्त पर रुक गया था। पाकिस्तान की एक महिला राहिला ने अपने वकील द्वारा गवाही का मौका देने की मांग करने वाली अर्जी अदालत में दी थी। राहिला के वकील एडवोकेट मोमिन मलिक द्वारा अर्जी दिए जाने के बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख तय की। उस दिन इस अर्जी पर विचार किया जाना था। 14 मार्च को बार एसोसिएशन की हड़ताल के कारण दोनों पक्ष के वकील अदालत नहीं पहुंचे थे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई के लिए 18 मार्च का दिन तय किया था।

18 मार्च को इस मामले पर विशेष NIA अदालत में सुनवाई हुई। पाकिस्तान की एक महिला वकील द्वारा दी गई याचिका पर NIA व बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत में जवाब दाखिल किया। इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को तय की।  20 मार्च को अदालत ने पाकिस्‍तानी महिला की ओर से वकील मोमिन मलिक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया और चारों आरोपितों को बरी कर दिया।

माेमिन मलिक ने यह याचिका सेक्शन 311 के तहत  दायर की थी। इसके जरिए उन्होंने दलील दी है कि पाकिस्तान के पीड़ित परिवारों को गवाही देने का अवसर नहीं मिला है और न ही उन तक समन तामील हुए हैं। ऐसे में एक बार उन्हें गवाही का मौका दिया जाए। अदालत में NIA के वकील ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि NIA द्वारा जो 13 पाकिस्तानी गवाहों की लिस्ट दी गई थी उसमें याचिकाकर्ता पाकिस्तानी महिला गवाह राहिला वकील का नाम नहीं था। 

 

68 यात्री मारे गए थे

2007 Samjhauta blast  में 68 यात्री मारे गए थे और काफी संख्‍या में लोग घायल हो गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्‍तान के रहने वाले थे। इस मामले में असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान आरोपित थे। इस केस में बहस होने के बाद कोर्ट ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में आठ आरोपितों में से एक की हत्या हो गई थी और तीन आरोपितों को पीओ घोषित कर दिया था।

बरी किए गए चारों आरोपित।

आरोपितों पर आइपीसी की धारा (120 रीड विद 302) 120बी साजिश रचने के साथ 302 यानि की हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना, और विस्फोटक पदार्थ, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई थी।

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