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फील्ड से लेकर सत्ता के गलियारों तक गूंज रहा मूलमंत्र, कोरोना को हराना, भारत को जिताना है...

राजनीति में ऐसा बहुत कुछ होता है जो मीडिया की सुर्खियों में नहीं छा पाता। आइए सत्ता के गलियारे की कुछ रोचक खबरों पर नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 08:03 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:03 AM (IST)
फील्ड से लेकर सत्ता के गलियारों तक गूंज रहा मूलमंत्र, कोरोना को हराना, भारत को जिताना है...
फील्ड से लेकर सत्ता के गलियारों तक गूंज रहा मूलमंत्र, कोरोना को हराना, भारत को जिताना है...

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। कोरोना को हराना, भारत को जिताना है... सोशल डिस्टेंसिंग (शारीरिक दूरी न कि सामाजिक दूरी) को अपनाना है। महामारी से जंग में यही मूलमंत्र है हरियाणा का। फील्ड से लेकर सत्ता के गलियारों में इस मूलमंत्र का खासा असर दिख रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जहां ress conference Digital mode से कर रहे तो अब आमजन से भी रोजाना TV channels के जरिए ही रूबरू होने लगे हैं। गृहमंत्री अनिल विज की चाय की चुस्की अब Digital mode में चल रही है।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने भी रोजाना Digital press conference शुरू कर दी है। राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा अधिकारियों व कार्यकर्ताओं के संपर्क में डिजिटल तरीका अपना रहे हैं। Digital India का फायदा यह हो रहा कि बिना किसी के संपर्क में आए अपनी बात कही जा रही है। ठीक भी है महामारी के इस दौर में एक-दूसरे से जितना बचा जाए, उतना अच्छा। वैसे भी Digital India मोदी जी का ही नारा है, जिसकी राह सभी दल बिना किसी हील-हुज्जत के आसानी से चल पड़े हैं।

लठ ही नहीं बरसाती पुलिस, मानवता की भी मिसाल

Lockdown तोड़ने वाले लोगों पर लठ बरसाते पुलिसकर्मियों के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं। कोई इसका समर्थन करता है तो विरोधी भी। हालांकि तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। Lockdown को दृढ़ता से लागू कराने के लिए पुलिस के लिए सख्ती बरतना मजबूरी है तो इंसानियत दिखाने से भी पुलिसकर्मी पीछे नहीं हट रहे। आपदा की इस घड़ी में गरीबों के लिए मसीहा साबित हो रहे पुलिसकर्मी करीब साढे़ चार लाख जरूरतमंदों को भोजन करा चुके हैं।

गरीब, जरूरतमंदों और दिहाड़ीदारों को भोजन और आश्रय सुविधा उपलब्ध कराने की इस पहल की खूब तारीफ हो रही। पुलिस महानिदेशक मनोज यादव के प्रयासों से सामाजिक और परोपकारी व्यक्तियों तथा संगठनों ने मुफ्त राशन व भोजन की सुविधा प्रदान की है। मानवता की सेवा करते हुए पुलिसकर्मियों द्वारा स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। डीजीपी मनोज यादव ने सभी पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से निर्देश दिए हैं कि किसी से भी दुर्व्यवहार न किया जाए। हालांकि जब कोई लॉकडाउन को तोड़ते हुए पुलिसकर्मियों से उलझे तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उन्हें सबक सिखाना भी जरूरी है।

...और मास्क व गाउन का हो गया जुगाड़

हेलो...हां जी... दुष्यंत भैया के घर का नंबर है...? जवाब मिला... हां जी बोलिए ...भैया हम सामान्य अस्पताल हिसार से बोल रहे हैं। कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार के लिए हमारे पास मास्क, ड्रेस नहीं हैं। हमें कपड़ा चाहिए, सिलवा हम खुद लेंगे। यह संवाद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के हिसार निवास पर आई एक टेलीफोन काल पर हुआ। हिसार से सांसद रह चुके डिप्टी सीएम ने भी अस्पताल प्रशासन को निराश न करते हुए तुरंत संदेश भिजवाया कि जितने भी कपड़े की जरूरत है, खरीद लो। पूरा खर्च वह अपने निजी कोष से देंगे।

अस्पताल प्रशासन ने डिप्टी सीएम की हां होते ही कपड़ा खरीदना शुरू कर दिया और अब तक सैकड़ों गाउन, ड्रेस तैयार कर ली गई है। डिप्टी सीएम कहते हैं कि अगर कहीं भी मास्क या अन्य ड्रेस के लिए जो भी जरूरत पड़ेगी तो वह हर संभव मदद करेंगे, लेकिन सोशल मीडिया पर सेनेटाइजर की बोतल पर उनका और मुख्यमंत्री का लगा फोटो भी खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि सत्ता पक्ष द्वारा इस पर राजनीति नहीं करने की नसीहत भी दी जा रही है।

सचिवालय हुआ वीरान, घरों से चल रही सरकार

Lockdown से पहले जिस भवन से पूरा हरियाणा और पंजाब संचालित हो रहा था, आज वह वीरान है। बात हो रही है चंडीगढ़ स्थित सचिवालय की, जिसमें मंत्रियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के कमरों पर ताले लटके हैं। हरियाणा हो या पंजाब, दोनों राज्यों के सचिवालयों पर कोरोना वायरस के साये का असर साफ दिखाई देता है। सामान्य दिनों में यह भवन मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पास पहुंचने वाले सांसद- विधायकों, पूर्व विधायकों के साथ ही वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर-कर्मचारियों और काम कराने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से पहुंचे लोगों से गुलजार रहता था। अब यहां है तो सिर्फ अर्धसैनिक बलों के जवानों का पहरा। लिफ्ट से लेकर नौवीं मंजिल तक के गलियारे खाली हैं। इक्का-दुक्का कमरों में कोई अधिकारी या कर्मचारी नजर आते भी हैं तो केवल वही, जो कोरोना से निपटने के लिए प्रदेश में चल रहे इंतजामों की निगरानी और रणनीति बनाने में जुटे हैं। अब तो न जाने यह सचिवालय कब गुलजार होगा।

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