रोडवेज कर्मियों ने तीन दिन और बढ़ाई हड़ताल, सीएम ने पड़ोसी राज्यों से मांगी मदद
सात दिन से चल रही रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल तीन दिन और बढ़ गई है। इसके कारण लोगों को और परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। पिछले सात दिनों से राेडेवज की बसें नहीं चलने से परेशान हरियाणा की जनता की मुसीबत और बढ़ जाएगी। रोडवेज कर्मचारियों ने पंचकूला में हुई बैठक में हड़ताल तीन दिन और बढ़ा दी है। साथ ही अन्य विभागों के कर्मचारी भी काम राेकेंगे। रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में सहकारी परिवहन समिति कल्याण संघ ने भी मंगलवार से हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। हरियाणा कर्मचारी महासंघ से जुड़े सभी महकमों के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गए हैं। रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में बिजली कर्मचारी भी रविवार रात से हड़ताल पर चले गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के मद्देनजर पड़ोसी राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सरकारों को पत्र लिखकर मदद मांगी है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों से बसें मुहैया कराने की मांग की है।
सीएम ने पड़ोसी राज्यों को हरियाणा में अपनी बसों की फ्रिक्वेंसी बढ़ाने की मांग की है। सीएम की अपील पर सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाया है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम हरियाणा में 300 अतिरिक्त बसें चलाएगा। हिमाचल प्रदेश से भी जल्द मदद मिलने की संभावना है। पंजाब ने अभी तक मनोहर लाल के पत्र का जवाब नहीं दिया है।
हड़ताल पर चल रहे रोडवेज कर्मचारियों और सरकार की रविवार को हुई वार्ता विफल हो गई थी। हड़ताली कर्मचारियों के कड़े रुख देखते हुए अब मुख्यमंत्री उन्हें बातचीत के लिए बुला सकते हैं। उधर, आज अफसरों से वार्ता विफल होने के बाद हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने भी आज आपात बैठक बुलाई थी, जिसमें हड़ताल तीन दिन और बढ़ाने का फैसला किया गया। अभी तक हड़ताल 22 अक्टूबर तक थी।
सरकार के बुलावे पर रविवार को रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी के पदाधिकारी हरिनारायण शर्मा, इंद्र सिंह बधाना, दलबीर सिंह किरमारा, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान और पहल सिंह तंवर सहित 13 कर्मचारी नेता वार्ता में शामिल हुए। परिवहन निदेशालय में दोपहर करीब ढाई बजे शुरू हुई पहले दौर की वार्ता में महानिदेशक पंकज अग्रवाल, अतिरिक्त महानिदेशक वीरेंद्र कुमार दहिया और संवर्तक सिंह ने करीब एक घंटे तक कर्मचारी नेताओं को मनाने की कोशिश की। करीब आधे घंटे बाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और परिवहन सचिव धनपत सिंह बैठक में पहुंचे और दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई।
इस दौरान जब प्रधान सचिव ने रोडवेज को खत्म कर निगम बनाने की बात कही तो गुस्साए कर्मचारी नेता वार्ता छोड़कर परिवहन निदेशालय से बाहर निकल गए। मामला बिगड़ते देख परिवहन महानिदेशक पंकज अग्रवाल और एडीजी दहिया उनको मनाकर वापस लाए। इसके बाद रूक-रूक कर वार्ता चलती रही और दोनों पक्षों में खूब गरमा-गरमी हुई। मुख्य मसला किलोमीटर स्कीम के तहत बसों के संचालन पर ही अटका रहा। प्रधान सचिव ने साफ किया कि मुख्यमंत्री ही इस संबंध में कोई फैसला लेंगे और जल्द ही तालमेल कमेटी के पदाधिकारियों की बैठक सीएम से कराई जाएगी।
इससे पहले दोपहर करीब एक बजे भारतीय मजदूर संघ और इंटक से जुड़े कर्मचारी नेताओं ने परिवहन अधिकारियों से अलग से बैठक की। फैसला वापस नहीं लेने के विरोध में परिवहन निदेशालय के कर्मचारियों ने भी एक घंटे की कलम छोड़ हड़ताल का एलान किया है।
रोडवेज कर्मियों की हड़ताल के कारण परेशान यात्री निजी बस पकड़ने के लिए दौड़ता हुआ।
इसके साथ ही अब कर्मचारियों की हड़ताल सियासी रंग लेती जा रही है। हड़ताल में जहां कांग्रेस-इनेलो सहित दूसरी राजनीतिक पार्टियां कूद पड़ी हैं, वहीं विभिन्न महकमों के हजारों कच्चे-पक्के कर्मचारी खुलकर रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में आ गए हैं। शनिवार को भी सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने काले बिल्ले लगाए।
आंदोलन की राह पर कई महकमों के कर्मचारी
सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान धर्मबीर फौगाट व महासचिव सुभाष लांबा और सीटू के प्रधान सतबीर सिंह व महासचिव जय भगवान ने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में सभी महकमों के कर्मचारी आंदोलन छेड़ेंगे। ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन ने सोमवार सुबह 9 से 11 बजे तक पूरे प्रदेश में सब डिवीजन स्तर पर गेट मीटिंग की। मंगलवार को जन स्वास्थ्य, सिंचाई व बीएंडआर के कर्मचारी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। हरियाणा स्कूल लेक्चर एसोसिएशन और प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले सभी शिक्षक सोमवार को भी काले बिल्ले लगाकर रोष जताएंगे।
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रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में हड़ताल पर गए बिजली कर्मी
रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में रविवार रात से बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्कर्स यूनियन के प्रधान कंवर सिंह यादव ने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों का मसला हल नहीं होने तक हड़ताल जारी रहेगी।
बैठक में उखड़े गड़े मुर्दे भी
वहीं, रविवार को परिवहन निदेशालय में रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी पदाधिकारियों और सरकार के बीच चली मैराथन बैठक में गड़े मुर्दे भी खूब उखड़े। पूर्व में हुए समझौते लागू नहीं होने का आरोप जड़ते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि किलोमीटर स्कीम के तहत बसों के टेंडर में भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी जांच कराते हुए सभी टेंडर वापस लिए जाएं और रोडवेज बसों का बेड़ा बढ़ाया जाए। हरिनारायण शर्मा, दलबीर किरमारा, बलवान सिंह दोदवा, शरबत सिंह पूनिया और नसीब जाखड़ ने कहा कि एक प्राइवेट बस शुरू करने से छह लोगों का रोजगार खत्म हो जाएगा। इसलिए सरकार जनहित में निजी बसें न चलाए।
एसीएस ने गिनाए कर्मचारियों के मोटे खर्च
समझौता वार्ता में अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने कहा कि रोडवेज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं। कर्मचारियों को हर महीने 130 करोड़ रुपये का ओवरटाइम दिया जाता है जो प्रति व्यक्ति तकरीबन 65 हजार रुपये बैठता है। इस पर बिदके कर्मचारी नेताओं ने कहा कि वे जान हथेली पर रखकर 13 घंटे ड्यूटी करते हैं। यदि ओवरटाइम से दिक्कत है तो सरकार नए कर्मचारी भर्ती करे।
सरकार पर कर्मचारियों को धमकाने के आरोप
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार निजी बसों को चलाने के लिए उन्हें धमका रही है। कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल में डाला जा रहा है। हड़ताल से नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सरकार कर्ज लेकर बसें रोडवेज यूनियन को सौंप दे। यूनियन बसों की किस्तें ब्याज सहित भरने की तैयार हैं।
पॉलिसी पर हाईकोर्ट का स्टे, कुछ नहीं कर सकती सरकार
वार्ता में पिछले साल सरकार के साथ हुई बैठक में मांगों पर बनी सहमति का मुद्दा उठा। इस पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 की परिवहन नीति को वापस लेने के लिए हाई कोर्ट में शपथपत्र दिया था। हाई कोर्ट ने नई पॉलिसी के पास होने तक इस पर स्टे लगा दिया, जो सुप्रीम कोर्ट तक जारी रहा। ऐसे में सरकार को मांग पूरी नहीं करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।