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    हरियाणा में BSF-CRPF समेत इन रिटायर्ड जवानों को नहीं माना जाएगा पूर्व सैनिक, आरक्षण व नियुक्ति में नहीं मिलेगा कोई लाभ  

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 07:30 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि बीएसएफ से सेवानिवृत्त होने पर कोई व्यक्ति स्वतः ही पूर्व सैनिक नहीं बन जाता। जस्टिस बंसल ने कहा कि जब तक हरियाणा सरकार केंद्र की अधिसूचना को नहीं अपनाती, तब तक अदालत नियुक्ति का निर्देश नहीं दे सकती। सूरजभान की याचिका खारिज करते हुए, अदालत ने उन्हें भविष्य में नई नीति बनने पर पुन: आवेदन करने की छूट दी।

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    हरियाणा में BSF-CRPF समेत इन रिटायर्ड जवानों को नहीं माना जाएगा पूर्व सैनिक। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि हरियाणा सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार की उस अधिसूचना को नहीं अपनाया है, जिसके तहत बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, आइटीबीपी और एसएसबी जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों को “पूर्व सैनिक” का दर्जा दिया जा सकता है।

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    इस कारण राज्य में ऐसे अर्धसैनिक बलों के कर्मियों को फिलहाल आरक्षण या नियुक्ति में कोई लाभ नहीं मिलेगा। जस्टिस जगमोहन बंसल ने भिवानी निवासी सूरजभान की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया। याचिकाकर्ता सूरजभान, जो सीमा सुरक्षा बल से 31 जुलाई 2014 को 21 वर्षों की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे, ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन द्वारा जुलाई 2015 में जारी विज्ञापन के तहत कांस्टेबल पद के लिए पूर्व सैनिक श्रेणी में आवेदन किया था।

    उन्होंने शारीरिक परीक्षण, साक्षात्कार तथा व्यक्तित्व मूल्यांकन सभी चरण सफलतापूर्वक पार कर लिए और उनका नाम 29 अक्टूबर 2016 को जारी अंतिम परिणाम में भी शामिल था। बावजूद इसके उन्हे पूर्व सैनिक न मानते हुए नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या उसने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 23 नवंबर 2012 को जारी उस कार्यालय ज्ञापन को अपनाया है, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों से सेवानिवृत्त कर्मियों को पूर्व सैनिक का दर्जा देने और राज्यों को उन्हें रक्षा सेवाओं के पूर्व सैनिकों की तरह लाभ देने की सलाह दी गई है।

    इस पर दायर हलफनामे में डीजीपी और हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने अब तक केंद्र सरकार की इन हिदायतों को नहीं अपनाया है। केंद्र ने 24 अप्रैल 2019 को एक स्पष्टीकरण जारी कर यह भी स्पष्ट किया कि सीएपीएफ कर्मियों जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, एसएसबी और सीआइएसएफ को “पूर्व सैनिक” की परिभाषा में शामिल नहीं किया गया है। अत: वे राज्य सरकारों की पूर्व सैनिक श्रेणी में नहीं आते।

    जस्टिस बंसल ने अपने आदेश में कहा कि जब तक हरियाणा सरकार स्वयं यह निर्णय नहीं लेती कि केंद्र की अधिसूचना को अपनाया जाए, तब तक अदालत किसी भी उम्मीदवार को “पूर्व सैनिक” मानकर नियुक्ति देने का निर्देश नहीं दे सकती।

    उन्होंने कहा कि सूरजभान का बीएसएफ से सेवानिवृत्त होना यह नहीं दर्शाता कि उन्हें स्वत: ही रक्षा सेवाओं के पूर्व सैनिकों के समान अधिकार प्राप्त हो जाएं। अदालत ने अंत में सूरजभान की याचिका को खारिज करते हुए यह छूट दी कि यदि भविष्य में राज्य सरकार कोई नई नीति बनाती है या परिस्थितियां बदलती हैं, तो वे तीन महीने के भीतर पुन: आवेदन कर सकते हैं।