हरियाणा में भविष्य की राजनीति तय करेंगे नगर निगम चुनाव के नतीजे
हरियाणा में स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों का राज्य की राजनीति पर काफी असर पड़ेगा। ये नतीजे 19 दिसंबर को आएंगे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में हुए पांच नगर निगमों व दो नगरपालिकाओं के चुनाव नतीजों का प्रदेश की राजनीति पर काफी असर पड़ेगा। इससे राज्य में भविष्य की दिशा तय होगी। राज्य के मतदाताओं ने नगर निगम के मेयर और पार्षद पद के उम्मीदवारों का भविष्य मतपेटियों में बंद कर दिया है। अब 19 दिसंबर को इस चुनाव नतीजे आएंगे। तब तक उम्मीदवारों के साथ-साथ विभिन्न दलों के दिग्गज नेताओं की सांसें थमी रहेंगी। करनाल और रोहतक के चुनाव नतीजों पर खास तौर पर सबकी निगाह टिकी हुई है।
सबसे रोचक मुकाबला करनाल में, सीएम ने खेला दांव, पूरा विपक्ष एक
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए तो यह प्रतिष्ठा का सवाल है। दूसरे राजनीतिक दलों ने भी गंभीरता से चुनाव लड़ा। कांग्रेस हालांकि सिबंल पर चुनाव नहीं लड़ी, लेकिन तीन राज्यों के चुनाव नतीजों से उत्साहित कांग्रेस नेताओं का पांचों नगर निगमों के चुनाव में पूरा दखल रहा है। करनाल नगर निगम में इनेलो-बसपा गठबंधन के साथ ही कांग्रेस ने आजाद उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया।
हुड्डा और तंवर में से कौन पावरफुल इसका फैसला भी तीन दिन में
सबसे कड़ा मुकाबला करनाल में नजर आ रहा है। यहां भाजपा प्रत्याशी निवर्तमान उम्मीदवार रेणु बाला गुप्ता हालांकि सिर्फ चेहरा थी, और चुनाव पूरी तरह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम पर ही लड़ा गया। सीएम सिटी करनाल की वजह से इस चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। मुख्यमंत्री के साथ-साथ कई मंत्रियों ने यहां चुनाव प्रचार किया। आखिर के दिनों में विरोधियों ने सत्ता विरोधी माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ऐन वक्त पर दांव खेल दिए जाने से नतीजे बदले नजर आएं तो कोई ताजुब्ब नहीं होगा।
रोहतक में भी यही स्थिति रही। भाजपा को चुनाव जीतने के लिए पार्टी के प्रदेश प्रभारी डाॅ. अनिल जैन समेत दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी की भी सेवाएं लेनी पड़ी हैं। कांग्रेस हालांकि पूरी तरह से गुटबाजी का शिकार रही। हुड्डा ने रोहतक समेत विभिन्न नगर निगमों में जहां निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना उम्मीदवार घोषित किया, वहीं कुछ उम्मीदवारों को अशोक तंवर ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि हुड्डा समर्थित उम्मीदवारों की चुनाव में क्या स्थिति रहती है और तंवर ने जिन उम्मीदवारों को खारिज किया, उनकी क्या स्थिति रहेगी।
इनेलो के दोफाड़ होने के बाद पांचों नगर निगमों के चुनाव अभय सिंह चौटाला के लिए अहम माने जा रहे हैं। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी पहले दिन ही ऐलान कर चुकी थी कि किसी नगर निगम के चुनाव में उनका किसी को भी समर्थन नहीं रहेगा। जनता अपनी समझ से मतदान के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इनेलो-बसपा गठबंधन की परफारमेंस पर सबकी निगाह टिकी हुई है। हालांकि अभय ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप अभी से लगा चुके हैैं। ऐसे में संभावित नतीजे सबके सामने हैैं।