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बुरे समय में सरकार का साथ दिया, हमें ही धक्के मारकर नौकरी से निकाला

हरियाणा रोडवेज की हड़ताल के समय रखे गए चालक-परिचालकों ने रोडवेज से हटाए जाने के बाद अब पंचकूला में आत्मदाह की धमकी दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 11:15 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:38 AM (IST)
बुरे समय में सरकार का साथ दिया, हमें ही धक्के मारकर नौकरी से निकाला
बुरे समय में सरकार का साथ दिया, हमें ही धक्के मारकर नौकरी से निकाला

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हरियाणा रोडवेज की हड़ताल के समय रखे गए चालक-परिचालकों ने रोडवेज से हटाए जाने के बाद अब पंचकूला में आत्मदाह की धमकी दी है। प्रदर्शनकारियों ने एलान किया गया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई या इनको बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया, तो मंगलवार को वह सामूहिक तौर पर आत्मदाह करेंगे। उन्होंने आत्मदाह पंचकूला के जिला लघु सचिवालय के बाहर करने की धमकी दी गई है।

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सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने के लिए पंचकूला से चंडीगढ़ की ओर कूच की, लेकिन इन्हें रास्ते में रोक लिया गया। पंचकूला-चंडीगढ़ बॉर्डर पर पुलिस फोर्स ने इन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। प्रदर्शनकारी नहीं माने तो पुलिस ने वाटर कैनन का प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। 22 जुलाई से पंचकूला में धरना प्रदर्शन कर रहे निकाले गए कर्मचारी

बता दें कि ऑल हरियाणा चालक व परिचालक हड़ताल कर्मचारी संगठन के बैनर तले 2018 में हरियाणा रोडवेज की राज्यव्यापी हड़ताल के दौरान लगाए गए चालक और परिचालक अपना रोजगार पाने के लिए 22 जुलाई से पंचकूला में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। रोडवेज कर्मचारियों का नेतृत्व कर रहे रोशन मतलौड़ा, सुजेश, पानू, ऋषि पाल, सुमित खत्री, दलवीर, देवीलाल नसीब और पहली महिला परिचालक शर्मिला ने बताया कि बेरोजगार हुए कर्मचारी सरकार की हर तानाशाही का सामना करते हुए आंदोलन को लगातार जारी रखेंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमें वापस ड्यूटी पर नहीं रखती। सरकार ने दिया था पक्की नौकरी का आश्वासन

रोशन मतलौड़ा ने कहा कि जब 18 दिन की लंबी हरियाणा रोडवेज की हड़ताल चली थी और सरकार की नाक का सवाल बना हुआ था, तो इन युवाओं ने हरियाणा रोडवेज बसें चलाकर हरियाणा सरकार की राह आसान की थी। सरकार ने इन युवाओं को आश्वासन दिया था कि इन्हें पक्की नौकरी दी जाएगी, लेकिन हड़ताल खत्म हुई, तो इन सभी को धक्के मारकर नौकरी से निकाल दिया और कोई आश्वासन नहीं दिया। यह कर्मचारी लगातार तीन चार दिन से विरोध जता रहे हैं कि सरकार ने जो रोजगार छीना है, उसे सरकार वापस दिया जाए। बुरे समय में हमने सरकार का साथ दिया था। यह युवा पहले जहां काम करते थे, वहां से त्यागपत्र देकर रोडवेज को ज्वाइन किया था, अब यह लोग कहीं के नहीं रहे। परिवार भूख से मरने की कगार पर है और घर का ढांचा बिगड़ चुका है। सरकार या तो हमारी सुध ले, हमने सरकार को एक दिन का टाइम दिया है, परंतु यदि सरकार नहीं मानी तो हम सामूहिक आत्मदाह के लिए मजबूर हो जाएंगे।


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