ये है हिंदी भाषा की भावनात्मकता, चाचा कहने में जो आत्मीयता है वह अंकल कहने में कहां...
हिंदी भाषा में रिश्तों में कहे गए शब्द आत्मीयता का बोध कराते हैं। जैसे अपने चाचा को चाचा कहने में जो आत्मीयता है वह अंकल कहने में कहां है।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। अंग्रेजी के प्रभाव से रिश्तों की आत्मीयता भी सिमट रही है। समाज में ताऊ, चाचा, मामा, फूफा के लिए अंकल तो ताई, चाची, मामी, बुआ के लिए आंटी शब्द का प्रयोग होने लगा है। इसी तरह दादा-नाना के लिए ग्रांड फादर और दादी-नानी के लिए ग्रांड मदर का इस्तेमाल कर लोग अंग्रेजियत की दौड़ में हिंदी के साथ संबंधों में मधुरता के रस को भी नीरस कर रहे हैं। हालांकि कुछ युवा आज भी इस अंधी दौड़ से अलग हैं।
युवा मनुप्रतीक गुप्ता कहते हैं कि अपने सगे चाचा को भी अंकल कहकर अपनत्व का बोध नहीं होता, जबकि अपने पिता से छोटे किसी भी दूसरे व्यक्ति को भी चाचा कहकर उनसे संबंध आत्मीय हो जाते हैं। हिंदी कितनी समृद्ध और आत्मीयता का बोध कराने वाली भाषा है, इसका उदाहरण उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू भी अपने संबोधनों में देते रहे हैं। नायडू के अनुसार कि माता के लिए अंग्रेजी में मदर, मॉम और फिर मां बोलकर देखें तो ऐसा लगता है कि मां शब्द व्यक्ति के अंदर से निकला है।
बैठक को ड्राइंगरूम, बरामदे को पोर्च कहकर हिंदी से जा रहे दूर
घर आंगन से लेकर कामकाज के दौरान रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं और जगहों के नाम भी हिंदी व इसके आंचलिक शब्दकोष से निकलकर अंग्रेजी की तरफ दौड़ने लगे हैं। बैठक को ड्राइंगरूम, बरामदे को पोर्च कहकर लोग आधुनिकता की अंधी दौड़ में इतनी तेजी से भाग रहे हैं कि अपनी मातृभाषा हिंदी से दूर जा रहे हैं। इतना ही नहीं कुर्सी मेज अब टेबल-चेयर हो गई हैं। शरीर के जिन अंगों को लेकर कवियों ने अमर कविताएं लिख दीं उन्हें भी अंग्रेजी में पुकारकर लोग अपने ही शरीर से दूर होते जा रहे हैं।
अंग्रेजी में पूरक शब्दों का अभाव
हिंदी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. ठाकुरदास दिनकर का कहना है कि दुनिया में अंग्रेजी का शब्दकोष सबसे बड़ा माना जाता है। बावजूद इसके अंग्रेजी में पूरक शब्दों का अभाव है। हिंदी की जननी वैज्ञानिक भाषा संस्कृत है। कुछ लोग जानबूझकर आधुनिकता का दिखावा कर अपनी मातृभाषा में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करते हैं। जिन संबंधों को हिंदी में पुकारने पर आत्मीयता झलकती है, उनके लिए अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल बेमायने हैं।