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विधायक गौतम के बागी तेवरों पर आक्रामक होने के बजाय बीच का रास्ता निकालने में जुटे दुष्यंत

विधायक रामकुमार गौतम के बागी तेवरों के बाद उप मुख्यमंत्री व जननायक जनता पार्टी (जजपा) संरक्षक दुष्यंत चौटाला डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 09:28 AM (IST)
विधायक गौतम के बागी तेवरों पर आक्रामक होने के बजाय बीच का रास्ता निकालने में जुटे दुष्यंत
विधायक गौतम के बागी तेवरों पर आक्रामक होने के बजाय बीच का रास्ता निकालने में जुटे दुष्यंत

जेेेएनएन, चंडीगढ़। नारनौंद के विधायक रामकुमार गौतम के बागी तेवरों के बाद उप मुख्यमंत्री व जननायक जनता पार्टी (जजपा) संरक्षक दुष्यंत चौटाला डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। पार्टी विधायकों में कथित आक्रोश और पीड़ा को दूर करने के लिए दुष्यंत का रवैया आक्रामक न होकर बीच का रास्ता निकालने वाला है। विधायक गौतम का इस्तीफा नहीं मिलने की बात कह रहे उप मुख्यमंत्री को भरोसा है कि वह उन्हें मना लेंगे। अगर विधायक की गतिविधियों से पार्टी को कोई नुकसान पहुंचा है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई का फैसला प्रदेश अध्यक्ष करेंगे।

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पार्टी में घमासान के बीच चंडीगढ़ पहुंचे दुष्यंत चौटाला ने पहले पार्टी नेताओं से इस मसले पर चर्चा की। बाद में पत्रकारों से रू-ब-रू होते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक विधायक रामकुमार गौतम का इस्तीफा नहीं मिला है। गौतम हमारे सबसे बुजुर्ग व सीनियर नेता हैं और वह संगठन में अपनी बात रख सकते हैं। उनकी बातों का हम बुरा नहीं मानते।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सरदार निशान सिंह व अन्य वरिष्ठ नेता उनसे मुलाकात कर गिले-शिकवों को लेकर चर्चा करेंगे। उनकी जो भी शिकायतें हैं, उन्हें दूर किया जाएगा। विधायक देवेंद्र बबली से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि वे किसी भी तरह की जांच की मांग कर सकते हैं। यह उनका अधिकार भी है और कर्तव्य भी। अगर मेरे विभाग में भी भ्रष्टाचार हो रहा था तो उसे रोकना मेरी जिम्मेदारी है।

गौतम ने रखा था भाजपा संग सरकार बनाने का प्रस्ताव : दुष्यंत

विधायक रामकुमार गौतम ने बीते रोज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का एलान करते हुए भाजपा से समझौते पर सवाल उठाए थे। इस पर उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पार्टी की बैठक में भाजपा के साथ गठबंधन का प्रस्ताव रामकुमार गौतम ही लेकर आए थे। ऐसे में यह दावा गलत है कि उन्हें विश्वास में लिए बगैर गठबंधन हुआ है।

मंंत्रिमंडल गठन के पहले ही दिन पड़ गई थी असंतोष की नींव

जजपा में असंतोष की नींव मंंत्रिमंडल गठन के पहले ही दिन पड़ गई थी। शुरुआत में जजपा की ओर से सिर्फ उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शपथ लेते हुए 10 विभाग अपने पास रखे थे जिसके बाद पार्टी विधायकों में अंदरूनी स्तर पर विरोध के सुर उठने लगे थे। विधायकों का दबाव बढ़ा तो दुष्यंत ने पार्टी कोटे से अनूप धानक को मंत्री बना दिया, लेकिन अभी तक पार्टी के हिस्से का एक मंत्री पद खाली है। सरकार में पूछ नहीं होने से जजपा विधायक अब तीखे तेवर दिखाने लगे हैं।

विधानसभा सदस्यता बचाने के लिए गौतम का जजपा में रहना मजबूरी

विधायक रामकुमार गौतम ने भले ही पार्टी उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया है, लेकिन जजपा में बने रहना उनकी मजबूरी है। अगर वह पार्टी छोड़ते हैं तो भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसे आमतौर पर दल-बदल विरोधी कानून कहा जाता है, के अनुसार उन्हें हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है। अगर विधानसभा में कोई राजनीतिक पार्टी अपने किसी असंतुष्ट या बागी विधायक को पार्टी विरोधी गतिविधियों या किसी अन्य कारण से पार्टी से निलंबित या निष्कासित कर देती है तो उस विधायक को स्पीकर सदन में अनअटैच्ड (असंबद्ध) घोषित कर सकते हैं।

हालांकि इसके बावजूद विधायक को मूल पार्टी द्वारा जारी व्हिप (निर्देश) को मानना आवश्यक होगा, अन्यथा उसे दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत सदन की सदस्यता से अयोग्य कराया जा सकता है। अगर ऐसे सदस्य किसी दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं या अपनी कोई नई पार्टी बनाते हैं तो भी उन्हें सदन की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है।

पांच विधानसभा चुनावों में दो जीते गौतम

पुराने भाजपाई रहे रामकुमार गौतम ने फरवरी 2000 और फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में नारनौंद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। 2005 में वे भाजपा के विधायक बने। अक्टूबर 2009 में गौतम ने नारनौंद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसी तरह अक्टूबर 2014 में भी उन्होंने इसी हलके से निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। लगातार दो हार के बाद वह इस बार जजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे।

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