इनेलो की जंग में असली 'खेल' अभी बाकी, रद हो सकता है दुष्यंत-दिग्विजय का निष्कासन
दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला के निष्कासन के बावजूद इनेलाे की जंग में असली खेल अभी बाकी है। पूरे मामले में नया मोड़ दुष्यंत के पिता अजय चौटाला के जेल से बाहर आने के बाद आएगा।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की राजनीति में अभी असली माेड़ आना बाकी है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने बेशक सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके छोटे भाई दिग्विजय सिंह चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया है, लेकिन पूरे मामले में नया 'खेल' 5 नवंबर के बाद शुरू होगा। अभी एक राजनीतिक पेंच ऐसी भी है जिससे दोनों भाइयों का इनेलो से निष्कासन रद हो सकता है। ऐसे संकेत हैं कि दुष्यंत व दिग्विजय के रणनीतिकार इस पर मंथन कर रहे हैं।
असल में दुष्यंत-दिग्विजय के पिता डॉ.अजय सिंह चौटाला 5 नवंबर को तिहाड़ जेल से 14 दिन की पैरोल पर बाहर आ रहे हैं। अजय चौटाला अपने पिता ओम प्रकाश चौटाला के साथ शिक्षक भर्ती घोटाले में सजा काट रहे हैं। डाॅ. अजय सिंह चौटाला इनेलो के महासचिव हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी संविधान में यह साफ है कि पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश महासचिव बुला सकते हैं।
बताया जाता है कि दुष्यंत खेमे की रणनीति यह भी है कि अजय चौटाला के बाहर आने के बाद पहले तो पूरे प्रदेश में पार्टी के अपने समर्थकों को एक मंच पर एकत्र किया जाए और फिर इनेलो की प्रदेश कार्यकारिणी बुलाकर उसमें दुष्यंत और दिग्विजय का निष्कासन रद किया जाए। इसके बाद असली इनेलो के नाम पर चुनाव आयोग में नए पार्टी पदाधिकारियों की सूची दी जाए।
इसके लिए दुष्यंत के रणनीतिकारों ने फिलहाल अपने समर्थक पदाधिकारियों से लिखित में त्यागपत्र देने से भी मना कर दिया है। दुष्यंत समर्थकों का दावा है कि पार्टी के बचे 17 विधायकों में से उनके खेमे में 10 विधायक हैं। यह संख्या निर्णायक साबित हो सकती है।
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इनेलो विधायक दल भी होगा दो फाड़
दूसरी ओर, पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के दुष्यंत व दिग्विजय को इनेलो से निकाले जाने के बाद बगावती तेवर जारी हैं। पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की इस बगावत का असर इनेलो विधायक दल पर भी दिखने लगा है। इनेलो व उसकी समर्थित पार्टी अकालीदल शिरोमणि के राज्य विधानसभा में कुल 19 विधायक जीते थे। इनमें से जींद के विधायक हरीचंद मिड्ढा का निधन हो गया तथा एनआइटी फरीदाबाद से जीते विधायक नगेंद्र भड़ाना सरकार बनने के साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे हैं।नगेंद्र की विधानसभा में सीट भी इनेलो से अलग है।
जागरण से बातचीत में नगेंद्र भड़ाना ने कहा है कि सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ एक समान विकास करने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ ही उनकी आस्था है। फिलहाल इनेलो से उनका कोई राजनीतिक लेना-देना नहीं है। इनेलो के मौजूदा 17 में से तीन विधायक डबवाली से नैना चौटाला, उकलाना से अनूप धानक और दादरी से राजदीप फौगाट का खुला समर्थन सांसद दुष्यंत चौटाला को है।
नैना चौटाला सहित तीन विधायकों के अलग होने पर छिन सकता है अभय चौटाला से नेता प्रतिपक्ष पद
ऐसे में यदि ये तीनों विधायक नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला को अपना नेता मानने से इंकार करने का प्रपत्र विधानसभा अध्यक्ष को दे देते हैं तो अभय से विपक्ष के नेता की कुर्सी भी छिन सकती है। इसके बाद आने वाले दिनों में शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा का नजारा कुछ अलग ही होगा। इसका कारण है कि राज्य में कांग्रेस के 17 विधायक हैं और इनेलो विधायक दल के दो फाड़ होने पर नेता प्रतिपक्ष का पद के हिस्से में चला जाएगा।
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ज्यादा दिन मुख्य विपक्ष नहीं रह पाएगा इनेलो : मनोहर लाल
इनेलो में कलह पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अब इंडियन नेशनल लोकदल राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भी नहीं रह पाएगी। नई दिल्ली के हरियाणा भवन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इनेलो में जो कुछ हुआ वह लोकतांत्रिक व्यवस्था में ठीक नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि इनेलो पार्टी पारिवारिक वर्चस्व की भेंट चढ़ गया। मौजूदा समय में इनेलो के समर्पित कार्यकर्ता भी अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। परिवार का झगड़ा पार्टी के विघटन तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि यह चुनावी साल है और इसमें ऐसे अनेक खेल होंगे। मनोहर लाल ने कहा कि एक परिवार के वर्चस्व की पार्टियां अब ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाएंगी। इनेलो विधायक दल में टूट के खतरे के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एनआइटी फरीदाबाद से इनेलो विधायक नगेंद्र भड़ाना ही नहीं बल्कि कुछ और विधायक भी भाजपा के संपर्क में हैं। ऐसे में इनेलो मुख्य विपक्षी दल भी नहीं रह जाएगा।
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अभय के लिए राजनीतिक धक्का रहा मिढ्डा के पुत्र का भाजपा में जाना
दूसरी ओर, जींद से इनेलो के विधायक हरीचंद मिढ्डा के पुत्र कृष्ण मिढ्डा का भाजपा में शामिल होना नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला के लिए बड़ा राजनीतिक धक्का रहा। कृष्ण मिढ्डा के भाजपा में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जिस पार्टी के नेतृत्व का परिवार एकजुट नहीं रह सकता और जो पार्टी अपने दिवंगत विधायक के पुत्र को नहीं साध सकती, उसे प्रदेश के लोग अपनी सेवा का मौका नहीं देंगे।