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जोगिया सब जानता है: एक ट्रैक्टर जांदा ए छलांगा मार दा..., पढ़ेें हरियाणा की और भी रोचक खबरें

राजनीति में कई ऐसी चुटीली खबरें होती हैं जो मीडिया में दबी रह जाती हैं। आइए हरियाणा की राजनीति से जुड़ी कुछ ऐसी ही चुटीली खबरों पर राज्य के साप्ताहिक कालम जोगिया सब जानता है के तहत नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 01:56 PM (IST)
जोगिया सब जानता है: एक ट्रैक्टर जांदा ए छलांगा मार दा..., पढ़ेें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
ट्रैक्टर चलाते उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला। फाइल फोटो

चंडीगढ़ [बिजेंद्र बंसल]। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों को लेकर पंजाब से हरियाणा तक भाजपा विरोधी दल ट्रैक्टर पर सवार हैं। किसानों के बीच विरोधियों के ट्रैक्टरों की संख्या बढ़ते देख अब भाजपा नेताओं ने भी अपने ट्रैक्टर से इन कानूनों के पक्ष में छलांगें मारनी शुरू कर दी। तभी तो 1979 में रिलीज हुई फिल्म दादा के इस गीत -गड्डी जांदी ए छलांगा मार दी- की तर्ज पर हरियाणा में यह गीत गाया जाने लगा है कि ट्रैक्टर जांदा ए छलांगा मार दा।  गौरतलब है कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी ट्रैक्टर की सवारी संसद भवन तक कर चुके हैं, हालांकि तब वह इनेलो के सांसद थे। 15 दिसंबर 2017 को दुष्यंत ने ट्रैक्टर को वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में शामिल किए जाने के विरोध में लुटियंस जोन में ऐसा ट्रैक्टर घुमाया था कि केंद्र की सरकार ने ट्रैक्टर को वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी से अलग कर दिया था।

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सेवानिवृत्ति के बाद चाहिए सेवा का अधिकार

सेवानिवृत्ति के बाद भी आला अधिकारियों को लाभ के पद पर रखने की परंपरा बन गई है। यह परंपरा नई नहीं है, चौधरी बंसीलाल के मुख्यमंत्रित्व काल से यह परंपरा चली आ रही है। बंसीलाल ने आइएएस एसके मिश्रा सहित कई विभागों के इंजीनियरिंग चीफ को सेवानिवृत्ति के बाद भी उनके अनुभव का फायदा प्रशासनिक कार्यों में लिया। एसके मिश्रा को उन्होंने भी बंसीलाल की तर्ज पर ही पर्यटन विकास जिम्मेदारी दी थी तो अपने समय के ईमानदार अधिकारी एसके गोयल को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरमैन बनाया था। सूबे के नेता बताते हैं कि बंसीलाल किसी अधिकारी को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से नहीं बल्कि उनके अनुभव का फायदा लेने के लिए सेवानिवृत्ति के बाद भी पदासीन करते थे। मगर अब बड़े पदों से सेवानिवृत्त अधिकारी इसलिए लाभ का पद पा लेते हैं कि उन्होंने पद पर रहते हुए सत्ता को कभी किसी काम के लिए मना नहीं किया।

मिलावटी देसी घी से लग रहा दाल में तड़का

देसां में देस अपना हरियाणा, जित दूध दही का खाना वाली कहावत अब सिर्फ कहावत ही बनकर रह गई है। ग्रामीण आंचल में भी दूध-दही बिक रहा है और बाजारों में मिलावटी देसी घी मिल रहा है। बल्लभगढ़, रोहतक, सोनीपत में नकली घी बनाने वाले पकड़े भी गए हैं। कई सौ क्विंटल मिलावटी घी मिलावटखोर व्यापारियों से मिला है। यह मिलावटी घी 100 से 120 रुपये प्रतिकिलोग्राम मिलता है।

रिफाइंड आयल और वनस्पति घी में सुगंधित पदार्थ डालकर तैयार किए जा रहे इस मिलावटी देसी घी की मंडियां सूबे के कई शहरों में बन गई हैं। इन मंडियों से लोग अपने घरों में इस मिलावटी घी को लेकर जाते हैं और दाल में तड़का लगाते हैं। दिक्कत यह है कि छापे के दौरान पकड़े गए मिलावटी घी के जो सैंपल लिए जाते हैं, उनकी रिपोर्ट आने में बहुत देर लग जाती है और मिलावटखोर परंपरानुसार ले देकर छूट जाते हैं।

हम फिर नहीं आएंगे

बरोदा उपचुनाव को लेकर भाजपा और जजपा के पदाधिकारियों की नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में बैठक हुई। दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि उपचुनाव गठबंधन कमल के निशान पर लड़ेगा। निर्णय की मीडिया में घोषणा के बाद जब काम खत्म हो गया तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ शिष्टाचार के तहत जजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केसी बांगड़ और महासचिव हर्ष कुमार के साथ मुख्यमंत्री कक्ष से नीचे उतरने लगे।

धनखड़ ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह तीनों नेताओं को नीचे तक विदा करके आ रहे हैं। इसपर जजपा के तीनों नेताओं ने धनखड़ को कहा- अध्यक्ष जी, हमें विदा कर दोगे तो फिर नहीं आएंगे। दोनों दलों के नेताओं के बीच इस बात पर मुख्यमंत्री कक्ष के बाहर खूब ठहाके लगे। लेकिन एक बात स्पष्ट हो गई कि धनखड़ शिष्टाचार और गठबंधन धर्म निभाने में कतई कोई कोताही नहीं बरतते।


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