श्रीमद् भागवत गीता के सरकारी प्रचार के खिलाफ रामपाल पहुंचे हाई कोर्ट
विवादित धर्म गुरु और कई मामलों में जेल में बंद रामपाल ने सरकारी खर्च पर गीता के प्रचार का विरोध किया है और इसे हाई कोर्ट में याचिका दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। सतलोक आश्रम के प्रमुख विवादित संत रामपाल ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सरकार द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता को प्रमोट करने के लिए किए जा रहे करोड़ों रुपये के खर्च पर सवालिया निशान लगाया है। रामपाल ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और ऐसे में एक धर्म विशेष की पुस्तक को प्रमोट करने पर जो करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है। यह गलत है। यह देश की धर्मनिरपेक्षता पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
रामपाल ने अपने वकील केडीएस हुड्डा के माध्यम से दाखिल की गई याचिका में कहा कि वह देश के नागरिक हैं और ऐसे में वह जनहित याचिका दाखिल करने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं। भारत सरकार और हरियाणा सरकार गीता को प्रमोट करने के लिए करोड़ों खर्च कर रहा है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गीता जयंती का आयोजन भी किया जा रहा है जिस पर भारी खर्च किया जा रहा है।
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याचिका में रामपाल ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों को बराबर का दर्जा मिला है और किसी धर्म से भेदभाव नहीं किया जा सकता है। ऐसे में एक धर्म विशेष की 'पुस्तक' पर इस तरह से खर्च किया जाना और उसे इस तरह से प्राथमिकता देना सीधे तौर पर गलत है। ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा इस तरह के आयोजनों और इस प्रकार गीता को प्रमोट करने पर रोक लगाई जानी चाहिए।
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इस याचिका पर सुनवाई सोमवार को जस्टिस एसएस सार्रों और जस्टिस लीज़ा गिल की खंडपीठ करेगी। काबिलेगौर है कि रामपाल पर हाईकोर्ट में आपराधिक अवमानना का मामला भी चल रहा है और इस मामले में हाई कोर्ट के आदेशों पर उन्हें आश्रम से निकालकर हाईकोर्ट तक लाने के लिए बीते वर्ष हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार को जबर्दस्त मशक्कत का सामना करना पड़ा था।
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इस दौरान रामपाल को गिरफ्तार किया गया और उस पर देशद्रोह सहित कई मामले दर्ज किए गए जिन पर सुनवाई चल रही है। इसी बीच हाई कोर्ट में गीता को लेकर दाखिल उनकी जनहित याचिका एक बार फिर से उन्हें चर्चा में लेकर आ गई है।
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