शिव तांडव स्तोत्र से गूंज उठा इंद्रधनुष आडिटोरियम
तपोनिष्ठ अग्निहोत्री संपूर्णानंद ब्रह्माचारी ने जब इंद्रधनुष आडिटोरियम में शिव तांडव स्तोत्र सुनाया तो पूरा माहौल भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : तपोनिष्ठ अग्निहोत्री संपूर्णानंद ब्रह्माचारी ने जब इंद्रधनुष आडिटोरियम में शिव तांडव स्तोत्र सुनाया, तो पूरा माहौल भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा। संपूर्णानंद ब्रह्माचारी ने विश्व परमार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व विषय पर संगोष्ठी में नैतिक शिक्षा और भारतीय जीवन दर्शन का गहराई से विश्लेषण किया। उन्होंने सनातन धर्म से संबद्ध धर्म ग्रंथों के अनेक प्रेरणादाई उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि सकारात्मक जीवन शैली आपको आध्यात्मिक बनाती है और अध्यात्म आपको असीम ऊर्जा प्रदान करता है। संपूर्णानंद ब्रह्माचारी ने शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व बताते हुए शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी, जब नैतिक आधार नहीं। सृजनहीन संसार व्यर्थ है, अगर मानव में प्यार नहीं। जब आपको चोट लगी हो, तो फूंक मारने वाली केवल मां है। यह हमारे बुजुर्गो एवं भारतीय संस्कृति ने बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि करोड़ों पुण्य उदय होने के बाद शिक्षा प्राप्त होती है। शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी, जब नैतिक आधार नहीं। सृजनहीन संसार व्यर्थ है, अगर मानव में प्यार नहीं। उन्होंने कहा कि करोड़ों पुन्य उदय होने के बाद शिक्षा प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि हमारे वेदों में कहा है कि जो बात दवा में बन न सके, वह बात दुआ में होती है, कोई सदगुरु मिल जाए, तो बात खुदा से होती है।
इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, संघ प्रचारक प्रेमजी गोयल, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद अतुल कोठारी, भाजपा नेता संजय टंडन, राणा आदित्य प्रताप, सांसद राजेश चौरासमां, मोहन भाई कंडारिया, महापौर कुलभूषण गोयल, एसीएस पीके दास, आइपीएस आलोक राय, पूर्व डीजीपी बीएस संधू, केके मिश्रा, पंचकूला के डीसी महावीर कौशिक, पुलिस आयुक्त डा. हनीफ कुरैशी, डीसीपी सुरेंद्र पाल सिंह, पूर्व विधायक लतिका शर्मा, हरियाणा बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता, हरिद्वार से सतपाल ब्रह्माचारी, प्रयागराज से आचार्य विचित्रानंद, हरियाणा व अन्य प्रदेशों से आए सांसद और विधायक भी उपस्थित थे। भारतीय शिक्षा इन्सान को समाज में रहने योग्य बनाती है
शिक्षा का अर्थ केवल किसी विषय में पारंगत होना नहीं होता। भारतीय शिक्षा का अर्थ है जो इन्सान को समाज में रहने के योग्य बनाती है। उसे वंदनीय बनाती है। यह इन्सान को श्रेष्ठ और वंदनीय बनाती है। पश्चिमी देशों की शिक्षा इन्सान को पैसे कमाने की मशीन बना सकती है, मगर भारतीय शिक्षा इन्सान को यश और कीर्ति देती है, जिससे वह पूजनीय हो जाता है।