अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से राफेल भरेगा उड़ान, दहलेंगे चीन और पाकिस्तान
सुपरसोनिक फाइटर प्लेन राफेल आज अंबाला एयरबेस पर तैनात हो जाएंगे। राफेल जब भी अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरेंगे चीन और पाकिस्तान दहल जाएंगे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। युद्धक विमान राफेल दुश्मनों के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए आज अंबाला पहुंच जाएगा। राफेल की मारक क्षमता उच्चतम श्रेणी की है। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से यह जब उड़ान भरेगा तो चीन-पाकिस्तान जैसे हमारे दुश्मनों को दहला देगा। वैसे राफेल को उतरना अंबाला में ही है, लेकिन बारिश की आशंका के मद्देनजर वायुसेना ने जोधपुर स्कवाड्रन को भी सतर्क कर किया गया था। केंद्रीय मौसम विभाग ने वायुसेना से कहा थर कि 29 जुलाई को अंबाला में मेघ गर्जना और आंधी-तूफान के साथ तेज बारिश हो सकती है। यदि बारिश हुई और मौसम साफ नहीं हो पाया तो इन विमानों को अंबाला के बजाय जोधपुर में उतारा जा सकता है।
फ्रांस में निर्मित युद्धक विमान राफेल 4.5 पीढ़ी का, अपनी श्रेणी में बेहद खतरनाक
राफेल 4.5 पीढ़ी का विमान है। इसके लिए पहले जोधपुर में स्कवाड्रन बननी थी। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के नजदीक होने के कारण अंबाला छावनी में 17 गोल्डन ऐरो स्कवाड्रन तैयार की गई है। जो पांच राफेल बुधवार को भारत पहुंच रहे हैं, उनमें दो डबल सीटर जबकि तीन सिंगल सीटर हैं।
भारतीय वायुसेना की ओर से अंबाला के साथ-साथ जोधपुर स्कवाड्रन को भी अलर्ट रहने के निर्देश
वायुसेना के सूत्रों के अनुसार, जोधपुर में इन विमानों के हैंगर पहले ही बना दिए गए थे। अंबाला में आधुनिक हैंगर और वेपन स्टोरेज बनाकर रखे गए हैं। अंबाला छावनी बाढग़्रस्त इलाकों में है। जब यहां पानी बरसता है तो एयरपोर्स स्टेशन में भी बाढ़ का खतरा रहता है। अब इस एयरपोर्स स्टेशन के अंदरूनी ढांचे में कुछ इस तरह से बदलाव किया गया है कि राफेल या उनमें इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।
तीन किमी में ड्रोन दिखा तो मार गिराया जाएगा
राफेल की सुरक्षा के मद्देनजर अंबाला एयरपोर्स स्टेशन को उसकी दीवारों से तीन किलोमीटर तक नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है। यदि एयरपोर्स अधिकारियों को तीन किलोमीटर के एरिया में कोई ड्रोन नजर आया तो उसे तुरंत उड़ा दिया जाएगा। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन 16 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है।
चीन व पाकिस्तान की सीमाओं के साथ लद्दाख बार्डर नजदीक
पाकिस्तान के साथ 740 किलोमीटर की एलओसी (नियंत्रण सीमा रेखा) और चीन के साथ 3448 किलोमीटर लंबी एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) भारत साझा करता है। इन दिनों दोनों ही बॉर्डरों पर संवेदनशील स्थितियां बनी हुई हैं। इसके मद्देनजर राफेल के लिए अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशीमारा को होम बेस के तौर पर चुना गया है, जिनमें से पांच राफेल के पहले बैच को अंबाला में उतारा जाएगा। यहां से लद्दाख बॉर्डर भी करीब है।
अंबाला एयरबेस स्कवाड्रन को चुनने का रणनीतिक महत्व
दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर अंबाला एयरबेस रणनीतिक महत्व का है, जो दिल्ली में वेस्टर्न एयर कमांड के अधिकार में आता है। फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के लिए मिराज यहीं से उड़े थे। 1999 के कारगिल युद्ध के समय में भी अंबाला के इस एयरबेस ने अहम भूमिका निभाई थी। तब 234 ऑपरेशनल उड़ानें यहां से भरी गई थीं। अंबाला एयरबेस पर पहले से जगुआर विमानों के दो स्क्वाड्रन (नंबर 14 और नंबर पांच) तैनात हैं। राफेल की रेंज इनसे बेहतर होगी।
पिछले साल मिला अंबाला स्क्वाड्रन 17 को नया जीवन
भारतीय वायुसेना के अधिकारी राफेल के लिए अंबाला एयरबेस चुनने के पीछे कुछ और तकनीकी कारण भी बताते हैं। बॉर्डर से इस एयरबेस की डेप्थ (गहराई), यहां का इन्फ्रास्ट्रक्चर (ढांचा) और तकनीकी सुविधाएं, लोकल फ्लाइंग के लिए एयरस्पेस और प्रशिक्षण की सुविधाओं का होना अहम हैं। राफेल न केवल वायु सेना को नई ताकत देंगे बल्कि नंबर 17 स्क्वाड्रन को दोबारा जीवन भी देंगे। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर वायु सेना के इस स्क्वाड्रन को 2016 में भंग कर दिया गया था, लेकिन पिछले साल 11 सितंबर को इसे राफेल की आमद के कारण फिर जीवन मिलना शुरू हुआ।
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