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ढींगरा आयोग पर छिड़ी सियासत, एडवोकेट जनरल ने गिनाए तर्क

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ भूमि घोटालों की जांच को लेकर गठित ढींगरा आयोग की रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में खारिज होने के बाद सियासत शुरू हो गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 12:27 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 08:53 PM (IST)
ढींगरा आयोग पर छिड़ी सियासत, एडवोकेट जनरल ने गिनाए तर्क
ढींगरा आयोग पर छिड़ी सियासत, एडवोकेट जनरल ने गिनाए तर्क

जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ भूमि घोटालों की जांच को लेकर गठित ढींगरा आयोग की रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में खारिज होने के बाद सियासत शुरू हो गई है। आयोग के गठन पर सवाल उठा रहे कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सरकार ने महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन को उतारा।

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एडवोकेट जनरल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग के गठन को लेकर मुख्यमंत्री की पॉवर पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। अदालत ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री इस आयोग का गठन कर सकते हैं और यह पूरी तरह से वैधानिक है।

एडवोकेट जनरल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग के गठन के संबंध में मंत्री परिषद से स्वीकृति ली गई थी। हाई कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि रूल ऑफ बिजनेस के नाते मुख्यमंत्री आयोग का गठन कर सकते हैं और ये उनके अधिकार क्षेत्र में है। अर्थात आयोग कानूनी रूप से ठीक है।

कोर्ट का यह भी कहना है कि इस आयोग का गठन राजनीतिक द्वेष के चलते नहीं किया गया है, बल्कि आयोग का गठन जनहित में है। भूमि घोटालों की जांच होनी चाहिए। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री को दोषी पाया जा रहा है। चूंकि आयोग ने उन्हें उचित नोटिस नहीं दिया था, इसलिए दो जजों की राय अलग-अलग होने से तीसरे जज को मामला दिया गया है। उनका फैसला आना अभी बाकी है।

महाजन ने कहा कि कोर्ट के दिए निष्कर्ष और निर्णय से साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोषी पाए गए हैं। यदि आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होती है तो पूर्व मुख्यमंत्री की छवि प्रभावित होगी।

ढींगरा आयोग असंवैधानिक : हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि ढींगरा आयोग का गठन असंवैधानिक है। आयोग के लिए मंत्रिमंडल से मंजूरी नहीं ली गई। मैं इस बात को कई बार कह चुका हूं। अब कोर्ट ने भी इस आयोग पर सवाल उठाए हैं। जब आयोग का गठन ही सही नहीं है तो इसकी रिपोर्ट का कोई औचित्य नहीं है। इस आयोग और उसकी रिपोर्ट को खारिज करने का निर्णय स्वागत योग्य है। सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। यह पब्लिक सब कुछ जानती है। सच्चाई का साथ देगी।

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