ब्राह्मणों पर आपत्तिजनक सवालः जांच रिपोर्ट में एचएसएससी चेयरमैन को क्लीनचिट
ब्राह्मणों पर आपत्तिजनक सवाल को लेकर दो माह की जांच के बाद जस्टिस दर्शन सिंह ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की जूनियर इंजीनियर (सिविल) की लिखित परीक्षा में ब्राह्मणों से जुड़े आपत्तिजनक सवाल पूछे जाने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस दर्शन सिंह अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में कर्मचारी चयन आयोग के निलंबित चेयरमैन भारत भूषण भारती क्लीन चिट दे दी गई है। मामले के बाद भारती को निलंबित कर दिया गया था। अब उन्हें बहाल कर दिया गया है। उनके निलंबन के दौरान आइएएस दीप्ति उमाशंकर को चेयरपर्सन लगाया गया था।
सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में रिटायर्ड जस्टिस दर्शन सिंह ने ब्रह्मणों से जुड़े सवाल मामले में भारती की भूमिका नहीं पाई। रिपोर्ट में जस्टिस दर्शन सिंह ने आयोग की परीक्षा प्रणाली में सुधार लाने और भर्तियों में पारदर्शिता लाने के कई सुझाव भी दिए हैं। जस्टिस दर्शन सिंह और एडवोकेट जनरल दोनों ने रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच जाने की पुष्टि की है।
जस्टिस दर्शन सिंह ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि भविष्य में ऐसे विवादित सवालों से बचा जाना चाहिए। चेयरमैन और सदस्यों को चूंकि यह पता नहीं होता कि पेपर में क्या प्रश्न पूछे जाने वाले हैं, इसलिए पूरी जिम्मेदारी मुख्य परीक्षक और परीक्षक की होती है। लिहाजा भविष्य में यदि कोई ऐसी गलती दोहराई जाती है तो गाज उन्हीं पर गिरेगी। जस्टिस दर्शन ने रिपोर्ट में परीक्षाओं की गोपनीय बरकरार रखने को लेकर कई बिंदु सुझाए हैं।
उल्लेखनीय है कि जूनियर इंजीनियर (सिविल) की परीक्षा में ब्राह्मणों से आपत्तिजनक सवाल पूछा गया था। परीक्षा में सवाल था कि हरियाणा में निम्न में से किसे अपशकुन माना जाता है। जवाब के विकल्पों में काला ब्राह्मण, ब्राह्मण की बेटी अथवा इनमें से कोई नहीं दिया गया था। इससे देश भर में बवाल हो गया था। राज्य सरकार के मंत्रियों रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, विपुल गोयल और कैप्टन अभिमन्यु तक ने विवादित सवाल पूछे जाने का विरोध किया था। बाद में राज्य सरकार ने आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती को निलंबित कर दिया था। भारती के खिलाफ विधानसभा में भी काफी हंगामा हुआ था।
एडवोकेट जनरल ने की थी न्यायिक जांच की सिफारिश
हरियाणा सरकार पूरे मामले की जांच किसी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी से कराने के पक्ष में थी, लेकिन एडवोकेट जनरल ने मामला हाई कोर्ट के किसी सेवारत या सेवानिवृत्त जज को सौंपने की बात कही थी। एजी की राय के बाद सरकार ने न्यायिक जांच का फैसला लिया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन पद को वित्तायुक्त स्तर के आइएएस अधिकारी के बराबर माना जाता है। ऐसे में किसी आइएएस से मामले की जांच कराई जाती तो विवाद भी खड़ा हो सकता था। जस्टिस दर्शन सिंह हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे।
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ये था मामला
कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 10 अप्रैल को ली गई इस परीक्षा में 75वें नंबर के सवाल में पूछा गया था कि कौन-सा हरियाणा में अपशकुन नहीं माना जाता है? जवाब में चार विकल्प दिए गए जिसमें पहला खाली घड़ा, दूसरा फ्यूल भरा कास्केट, तीसरा काले ब्राह्मण से मिलना और चौथा ब्राह्मण कन्या को देखना था।
जूनियर सिविल इंजीनियर की लिखित परीक्षा का प्रश्न पत्र। अंतिम प्रश्न पर हंगामा मचा था।
विवाद के बाद हटाया सवाल
परीक्षा की उत्तर कुंजी में सही उत्तर ब्राह्मण कन्या को देखना दर्शाया गया था। इसे इश्यू बनाते हुए अखिल भारतीय ब्राह्मण आरक्षण संघर्ष समिति ने कई स्थानों पर प्रदर्शन करते हुए पूछा कि क्या काले ब्राह्मण से मिलना अपशकुन हैं? इसके साथ ही दोषियों पर केस दर्ज करने की मांग को लेकर विभिन्न स्थानों पर ज्ञापन सौंपे गए थे।