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पंजाब चुनाव के नतीजे तय करेंगे हरियाणा कांग्रेस का प्रधान

हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अशोक तंवर का कार्यकाल पूरा हाे गया है। इसके साथ ही नए अध्‍यक्ष के लिए लॉबिंग तेज हाे गई है। इस नियुक्ति पर पंजाब चुनाव नतीजे का असर होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 16 Feb 2017 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 16 Feb 2017 01:01 PM (IST)
पंजाब चुनाव के नतीजे तय करेंगे हरियाणा कांग्रेस का प्रधान
पंजाब चुनाव के नतीजे तय करेंगे हरियाणा कांग्रेस का प्रधान

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा कांग्र्रेस के अध्यक्ष डा. अशोक तंवर का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद संगठन में फेरबदल की चर्चाओं ने फिर जोर पकड़ लिया है। अध्यक्ष पद हथियाने के लिए हुड्डा और तंवर खेमों ने पूरी ताकत झोंक दी। माना जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेसके नए अध्यक्ष पद पर ताजपोशी में पंजाब चुनाव के नतीजे काफी असर डालेंगे।

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अशोक तंवर का तीन साल का कार्यकाल पूरा, कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए फिर रस्साकसी

कांग्रेस हाईकमान का पूरा ध्यान फिलहाल उत्तर प्रदेश के चुनाव पर है। लिहाजा हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद का एलान उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों के बाद ही संभव है। इससे पहले तंवर और हुड्डा खेमों ने अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।

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हुड्डा खेमे के फूलचंद मुलाना को साढ़े छह साल के लंबे अंतराल के बाद इस पद से हटाकर तंवर को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। दो दिन पहले ही तंवर का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन तीन सालों में तंवर जिला व ब्लाक अध्यक्षों की घोषणा तक नहीं कर पाए, लेकिन कांग्रेसियों में तकरार जरूर बढ़ी।

तंवर खेमा इसका कारण हुड्डा का बढ़ता हस्तक्षेप मानता है। हुड्डा खेमे की दलील है कि तंवर किसी विधायक और पार्टी नेता को साथ लेकर नहीं चलते हैं। इस कारण आज तक संगठन खड़ा नहीं हो पाया। तंवर जब अध्यक्ष बने थे, तब दोनों खेमों में टिकटों के बंटवारे को लेकर खूब आरोप-प्रत्यारोप हुए थे। करीब दो साल बाद प्रदेश में फिर से चुनावी माहौल शुरू हो जाएगा। लिहाजा टिकट वितरण में अपना पूरा हस्तक्षेप रखने के लिए अध्यक्ष पद को हथियाना तंवर और हुड्डा खेमों की मजबूरी बन गया है।

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पंजाब में चुनाव से ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को संगठन की बागडोर सौंपी गई थी। वहां के नतीजे यदि अनुकूल रहे तो हरियाणा में भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को संगठन की बागडोर सौंपने का रास्ता साफ हो सकता है। हुड्डा के अध्यक्ष बनने की स्थिति में कांग्रेस विधायक दल की नेता के पद पर दलित समुदाय की विधायक गीता भुक्कल को कमान सौंपे जाने के आसार हैं। यह बदलाव जाट-दलित संतुलन साधने में सहायक साबित होगा।

पंजाब के नतीजे अनुकूल नहीं होने और हुड्डा खेमे की सुनवाई न होने की स्थिति में अशोक तंवर को फिर से अध्यक्ष पद पर काबिज होने की उम्मीद है। इसके लिए तंवर दिल्ली में रहकर अभी से लाइजनिंग में जुट गए हैैं। हालांकि दो दिन पहले पूरे प्रदेश में चर्चा चली थी कि तंवर को फिर से अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी गई है, लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने अभी ऐसा कोई अधिकृत परिपत्र जारी नहीं किया है। इसके बावजूद तंवर समर्थक उत्साहित हैं और इस अफवाह अपने अनुकूल मान रहे हैं। तंवर यदि अध्यक्ष बने रहते हैैं तो विधायक दल की नेता के पद पर किरण चौधरी बरकरार रह सकती हैं।

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कांग्रेस हाईकमान के सामने नए प्रयोग का विकल्प भी

तंवर और हुड्डा खेमों की नहीं चल पाने की स्थिति में कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में एक नया प्रयोग कर सकता है। कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सुरजेवाला हालांकि कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में पूरी तरह से छाए हुए हैैं, लेकिन नए जाट नेतृत्व को उभारने की मंशा के तहत रणदीप को हरियाणा कांग्रस की बागडोर सौंपी जा सकती है। इस समीकरण में विधायक दल की नेता की दावेदार हुड्डा खेमे की गीता भुक्कल होंगी। वह दलित वर्ग से हैं।


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