इन बेटियों पर है नाज: पांच लड़कियां बदल रहीं देश और दुनिया में मेवात की छवि
मेवात की पांच बेटियों पर आज सबको नाज हैं। ये लड़कियां मेवात की छवि पूरे देश मेंं बदलने में जुटी हुई हैं। इनके प्रयासों को सराहना के साथ व्यापक समर्थन मिल रहा है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। मेवात की पांच बेटियां सबको नाज है। वे मेवात की देश और दुनिया में छवि बदल रही हैं। उनकी मुहिम को सराहना के साथ-साथ व्यापक समर्थन मिल रहा है। दरअसल पूरे देश के नीति आयोग ने करीब दो साल पहले देश के जिन सौ सबसे पिछड़े जिलों की सूची जारी की थी, उनमें हरियाणा का नूंह जिला पहले नंबर पर था। इसके बाद मेवात में बदलाव की मुहिम शुरू हुई तो इन बेटियों ने कदम बढ़ाया।
इन जिलों की सूची जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक 'न्यू इंडिया' बनाने का नारा दिया। इसी नारे को जमीन पर उतारने के लिए सरकार ने अगले पांच वर्ष में राष्ट्र के सर्वाधिक पिछड़े जिलों के कायापलट का बीड़ा उठाया। यह तो रही सरकारी प्रयासों की बात, लेकिन नूंह का सामाजिक तौर पर कायापलट करने खासकर महिलाओं की सोच में बदलाव के लिए गैर सरकारी संगठन सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के प्रयासों को किसी सूरत में नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।
नीति आयोग ने करीब दो साल पहले जारी की थी देश के सौ पिछड़े जिलों की सूची, मेवात जिला था नंबर वन पर
सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन वह संगठन है, जिसकी बेटियों को प्रोत्साहित करने की मुहिम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ बार देश और विदेश की धरती से सराहा है। इस फाउंडेशन ने नूंह की पांच ऐसी लड़कियों को चुना, जिन्होंने खुद संघर्ष की जिंदगी जीते हुए न केवल नूंह के लोगों की सोच में बदलाव किया, बल्कि देश और दुनिया के सामने नूंह की बदलती तस्वीर को बयां करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया। ये लड़कियां नूंह के गांव साकरस की शहनाज बानो, पिपाका की रिजवाना, टांई की अंजुम इस्लाम, पाड़ की आरस्तुन खान और ऐंचवाड़ी की वसीमा हैं।
सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन ने पांच लड़कियों को सौंपी बदलाव की जिम्मेदारी, घर से समाज तक पहुंची मुहिम
करीब 11 लाख की आबादी वाले नूंह जिले की खास बात यह है कि पिछड़ा होने के बावजूद यहां लिंग अनुपात देश में सबसे अधिक एक हजार लड़कों पर 950 लड़कियां हैं, लेकिन कमजोर पहलू यह है कि लड़कियों का साक्षरता दर केवल 54 फीसदी है। सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन से जुड़ी इन पांचों लड़कियों के लिए सामाजिक सुधार की प्रेरणा का काम किया फाउंडेशन के संयोजक जींद जिले के गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने, जो प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के भी सलाहकार हैं।
सेल्फी विद डाटर कंपेन ने निर्णय लिया था कि नूंह की दशा और दिशा बदलने के लिए ब्रांड अंबेसडर भी यहींं से चुनी जाएं। मेवात की करीब एक हजार लड़कियों ने ब्रांड अंबेसडर बनने के लिए नवंबर 2019 तक नामांकन किए। इनमें से इन पांचों लड़कियों के चुने जाने के बाद उन्होंने सबसे पहला काम अधिकतर लड़कियों व महिलाओं के फोन में यहां के एसपी और डीसी के मोबाइल नंबर फीड कराने का किया, ताकि किसी भी विपरीत स्थिति में उन्हेंं सुरक्षा मिल सके।
प्रत्येक लड़की ने चार गांव और एक विश्वविद्यालय या कालेज को गोद लिया है। नूंह में ड्राप आउट और स्कूलों में नहीं जा पा रही बच्चियों को शिक्षा संस्थानों तक भेजने की मुहिम में जुटी यह लड़कियां फेसबुक, ट्विटर अकाउंट और इंस्ट्रग्राम के जरिये भी पूरी तरह से सक्रिय हैं। प्रत्येक लड़की हर 50 घर में बेटियों के नाम की प्लेट लगवाने और हर गांव की 20-20 महिलाओं को लाडो राइट्स की किताब बांटने में भी कामयाब रही हैं। हर लड़की ने पांच सौ लड़कियों को वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से टीम बनाकर जोड़ा है। इन पांचों लड़कियों द्वारा बेटियों के नाम से गांव में पेड़ लगवाने का अभियान भी चॢचत है।
नूंह में इन लड़कियों ने कर डाले बड़े बदलाव
पीपाका गांव में रिजवाना के सामने जब आठवीं के बाद पढ़ाई जारी रखने की समस्या आई तो पूरी टीम ने अभियान चलाकर यहां के स्कूल को सीनियर सेकेंडरी तक करवा लिया। अंजुम इस्लाम और वसीमा अब कानून की छात्राएं बन चुकी हैं। जब वह कालेज जाती थी, तब इनके घर वालों ने बस में आने जाने के लिए संयुक्त पास बनवा दिए, जिसका इन्होंने अपने घर से ही विरोध किया।
आरस्तुन खान की बड़ी बहन ने लव मैरिज की, जिसके बाद उनकी शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया, मगर अब आरस्तुन एमए की पढ़ाई कर रही है तथा माडल बनना चाहती हैं। रिजवाना नर्सिंग की छात्रा है, जबकि शहनाज बानो मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद सरपंच का चुनाव लडऩे की तैयारी में जुटी है।