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ग्रामीण रूटों पर उतरेंगी निजी बसें, संशोधित स्टेज कैरिज स्कीम पर बढ़ी सरकार

हरियाणा में जल्‍द ही ग्रामीण रूटों पर निजी बसें और अधिक संया में उतरेंगी। हरियाणा सरकार विरोध के बावजूद संशोधित स्‍टेज कैरिज स्‍कीम पर बढ़ गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 09:35 AM (IST)
ग्रामीण रूटों पर उतरेंगी निजी बसें, संशोधित स्टेज कैरिज स्कीम पर बढ़ी सरकार
ग्रामीण रूटों पर उतरेंगी निजी बसें, संशोधित स्टेज कैरिज स्कीम पर बढ़ी सरकार

चंडीगढ़, जेएनएन। बसों की कमी से जूझ रहा हरियाणा परिवहन महकमा लंबे रूटों पर किलोमीटर स्कीम लागू करने के बाद अब ग्रामीण रूटों पर भी और निजी बसें उतारेगा। इसके लिए वर्ष 2016 में बनी स्टेज कैरिज स्कीम को संशोधित कर लागू किया जाएगा। निजी बसों को परमिट का विरोध कर रहीं रोडवेज कर्मचारी यूनियनों को मनाने के लिए परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने मोर्चा संभाला है। हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है कि यात्री सेवाओं को बेहतर करने के लिए इस स्कीम को सिरे चढ़ाया जाएगा।

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273 रूटों पर करीब 425 निजी बसों को परमिट देने की तैयारी

273 रूटों पर करीब 425 निजी बसों को परमिट देने की तैयारी है। वर्ष 2017 में भी स्टेज कैरिज स्कीम-2016 लागू करने की कोशिश की गई थी। तब रोडवेज कर्मचारी यूनियनों की लगातार चार दिन की हड़ताल के चलते सरकार ने स्टेज कैरिज स्कीम रद करते हुए हाई कोर्ट में शपथपत्र भी दिया।

परिवहन मंत्री ने रोडवेज कर्मचारी यूनियनों संग बैठक कर मांगी आपत्तियां और सुझाव

अब सुप्रीम कोर्ट ने स्टेज कैरिज स्कीम 2016 को संशोधन के साथ लागू करने की छूट दी है। आपत्तियां एवं सुझाव लेने के लिए परिवहन महकमे के अधिकारी विगत 27 मई से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये प्राइवेट बस ऑपरेटरों, अधिकारियों और यूनियन प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

हरियाणा निवास में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, महकमे के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, महानिदेशक वीरेंद्र सिंह दहिया व परिवहन आयुक्त आरएस फुलिया ने पॉलिसी की खूबियां गिनाईं। वहीं, तालमेल कमेटी के वरिष्ठ नेता इंद्र सिंह बधाना, दलबीर किरमारा, वीरेंद्र सिंह धनखड़, दिनेश हुड्डा, पहल सिंह तंवर, आजाद सिंह गिल, श्रवण कुमार जांगड़ा व सूरजमल पाबड़ा ने स्टेज कैरिज स्कीम का विरोध किया। उन्होंने आरोप जड़ा कि सरकार प्राइवेट बसों को रूट परमिट देकर विभाग को बर्बाद करने पर तुली हुई है। एक निजी बस प्रति माह 14 हजार रुपये टैक्स देती है, जबकि रोडवेज बस प्रति माह 40 हजार से 60 हजार रुपये टैक्स दे रही। स्टेज कैरिज स्कीम के तहत मुख्य मार्गों पर परमिट देना मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है।

रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के लिए मिले दो माह

परिवहन मंत्री ने बताया कि जो निजी ट्रांसपोर्टर लॉकडाउन के चलते वाहन का रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस नहीं बनवा पाए हैं, उन्हें दो महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है। स्टेज कैरिज स्कीम के तहत परमिट के लिए आरटीए सचिव की अगुवाई में जिला स्तर पर कमेटियां बनाई हैं जिसमें सिटी मजिस्ट्रेट या एसडीएम और जिला परिषद के सचिव शामिल होंगे। यह कमेटी अपनी सिफारिशें सरकार को देगी।  

मांगों पर झाड़ा पल्ला

बैठक में तालमेल कमेटी नेताओं ने 50 लाख रुपये का एक्शग्रेसिया बीमा पॉलिसी में शामिल करने, जोखिम भत्ता व इंसेटिव देने, लॉकडाउन में महकमे को नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक पैकेज, तीन वर्ष का बकाया बोनस, 2002 से पहले के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, परिचालकों का ग्रेड पे बढ़ाने, 2016 में भर्ती चालकों को पक्का करने, परिचालकों को ई-टिकटिंग मशीन उपलब्ध कराने, शिक्षा भत्ता व रोके गए डीए और एलटीसी का भुगतान, रिक्त पदों पर भर्ती और पदोन्नति का मामला उठाया। इस पर परिवहन मंत्री ने महामारी का हवाला देते हुए बाद में विचार करने की बात कही।

क्या है स्टेज कैरिज स्कीम

वर्ष 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल की सरकार ने बेरोजगार युवाओं के समूह बनाकर उन्हें बस परमिट देने की शुुरुआत की थी। इस समय जिला मुख्यालयों से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 273 रूटों पर साढ़े आठ सौ से ज्यादा बसें चल रही हैं। वर्ष 2013 और 2016 में इस नीति में संशोधन कर दिया गया।

फरवरी 2017 में इस नीति के अंतिम प्रकाशन के बाद पूरे प्रदेश में 1663 लोगों को बसें चलाने के लिए ऑफर लेटर जारी कर दिए गए, लेकिन कर्मचारी यूनियनें हाई कोर्ट चली गईं और संशोधित पॉलिसी पर स्टे लग गया। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 की पॉलिसी को संशोधित कर लागू करने की छूट दे दी थी जिसे अब अमलीजामा पहनाया जा रहा।

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