हरियाणा में सभी दुष्कर्म पीड़िताओं को सुरक्षा कवच देने की तैयारी
हरियाणा सरकार पांच दिन पहले पारित विधेयक में बदलाव कर सकती है। दुष्कर्मियों को फांसी के प्रावधान में 12 साल की आयु सीमा हटाने की तैयारी है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा सरकार ने 12 साल तक की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान कर हालांकि अच्छी पहल की, लेकिन इस आयु सीमा को खत्म किया जा सकता है। दलील दी जा रही कि 12 साल की आयु सीमा लागू रहने से अधिक उम्र की लड़कियों और महिलाओं के प्रति दुष्कर्म के अपराध बढ़ सकते हैैं। सरकार कांग्रेस और इनेलो की इस दलील से काफी हद तक सहमत है और हाल ही में बनाए गए कानून में बदलाव का मन बना चुकी है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहल पर सरकार ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिए उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान किया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद हरियाणा यह विधेयक पारित करने वाला देश का तीसरा राज्य है। अब इसमें संशोधन की मांग भी उठने लगी है।
कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, पूर्व मंत्री व विधायक गीता भुक्कल, करण सिंह दलाल और इनेलो विधायक परमिंदर सिंह ढुल 12 साल की आयु सीमा को वे उचित नहीं मानते। उनका कहना है कि दुष्कर्म बच्ची के साथ हो या फिर लड़की और बड़ी उम्र की महिला के साथ, इसे संज्ञेय अपराध माना जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विपक्ष के इस सुझाव का दिल खोलकर स्वागत किया है। उनका कहना है कि यदि कोई विधायक सरकार को लिखकर अपने सुझाव देगा तो हम एक कमेटी बनाने के लिए तैयार हैैं, जो कानून में संशोधन के लिए सुझाव देगी। कानूनी राय के बाद यदि बदलाव करने पड़े तो सरकार पीछे नहीं हटेगी।
सभी सदस्य अपने सुझाव लिखकर दें
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सभी सदस्य अपने सुझाव लिखकर दें। हम उन पर कानूनी राय लेंगे। ऐसे अपराधों पर राजनीति उचित नहीं है। वर्ष 2012 में भी सबसे ज्यादा दुष्कर्म हुए थे। जो भी सुझाव आएंगे, हमारी सरकार उन पर कमेटी बनाकर विचार करेगी। यदि आवश्यक हुआ तो हम संशोधन विधेयक लाकर नए प्रावधान शामिल कर सकते हैैं।
मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत
महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन का कहना है कि अपराध पहले भी होते थे और अब भी हो रहे हैैं। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी सरकार की है। हम इस दिशा में आगे बढ़े हैैं। जांच अधिकारी डीएसपी रैैंक का हो, इससे हम भी सहमत हैैं। बावजूद इसके मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है। सामाजिक जागरूकता के लिए लोग मिलकर काम करें।
कानून में हो बदलाव
कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी का कहना है कि दुष्कर्म तो दुष्कर्म है, भले ही वह किसी भी आयु वर्ग की महिला या लड़की के साथ हुआ है। यह ऐसा अपराध है, जिसकी शिकार लड़की या महिला उम्र भर आहत रहती है, इसलिए कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।
मामले निपटाने की हो समय सीमा तय
कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि कांग्रेस विधायक ऐसे मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटाए जाने चाहिए और उनकी भी समय सीमा तय की जाए। थानों में दुष्कर्म की शिकार महिलाओं व लड़कियों से सही व्यवहार नहीं होता। उन पर समझौते का दबाव बनाया जाता है। बहुत से ऐसे कानून हैैं, जिनकी जानकारी थानों के स्टाफ को नहीं होती। उन्हें इन कानून की बारीकियों की ट्रेनिंग दी जाए। दलित महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार गंभीर बने।
पेशल कोर्ट में हो सुनवाई
कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल का कहना है कि दुष्कर्म के मामलों में जांच अधिकारी कम से कम डीएसपी रैैंक का होना चाहिए। वैसे तो आइपीएस अधिकारी खुद ऐसे मामलों की जांच करें। स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हो। न केवल दुष्कर्म करने वाले को बल्कि उसका सहयोग करने वालों को भी फांसी मिले। सरकार एक कमेटी बनाए और कानून में बदलाव के लिए सभी से राय ले।
कानून के प्रावधान और कड़े हों
इनेलो विधायक परमिंदर सिंह ढुल का कहना है कि दुष्कर्म रोकने के लिए सरकार ने अच्छी पहल की है, मगर कानून के प्रावधान और कड़े किए जाने चाहिए। थानों में महिला व पुरुष स्टाफ को सही ट्रेनिंग दी जाए। उन्हें कानून से वाकिफ कराया जाए।
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