Move to Jagran APP

पावरफुल हुई पुलिस मैडम, हरियाणा में महिला पुलिस थानों का कानूनी दायरा बढ़ा

हरियाणा में महिला पुलिस थानों के कानूनी दायरे में वृद्धि कर दी गई है। इनमें आइपीसी की नई धाराएं और वर्तमान बाल विवाह निषेध कानून शामिल है। इन संशोधनोंं के सुझाव गृह मंत्री अनिल विज और गृह सचिव के पास भेजे गए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 03:17 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 03:17 PM (IST)
पावरफुल हुई पुलिस मैडम, हरियाणा में महिला पुलिस थानों का कानूनी दायरा बढ़ा
हरियाणा में महिला पुलिस थानों का कानूनी दायरा बढ़ा। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में स्थापित महिला पुलिस थानों का कानूनी दायरा बढ़ा दिया गया है। भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की नई धाराओं के साथ वर्तमान बाल विवाह निषेध कानून को लागू कराने की जिम्मेदारी महिला पुलिस थानों की होगी। इस बारे में गृह मंत्री अनिल विज और गृह सचिव को सुझाव भेजे गए थे। महिला पुलिस थानों का कानूनी दायरा बढ़ने से अब इनमें कार्यरत महिला पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी।

loksabha election banner

हरियाणा के महिला पुलिस थानों को स्थापित करने वाली सभी नोटिफिकेशन में बाल विवाह निषेध के लिए संबंधित पुराने कानून अर्थात बाल विवाह (अवरोध) अधिनियम 1929 का ही उल्लेख था। हालांकि आज से 13 वर्ष पूर्व नवंबर 2007 से भारत सरकार ने संसद द्वारा बनाए गए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 को पूरे देश में लागू कर वर्ष 1929 के कानून को खत्म कर दिया था। इसलिए महिला पुलिस थानों की नोटिफिकेशन में वर्ष 1929 के कानून के स्थान पर 2006 के बाल विवाह निषेध कानून का उल्लेख करने के लिए गृह मंत्री अनिल विज और तत्कालीन गृह सचिव विजय वर्धन को सुझाव भेजे गए थे, ताकि इन थानों द्वारा बाल विवाह के संबंध में दर्ज अपराधों की कानूनी वैधता पर कोई प्रश्न चिन्ह न लग सके।

इसके अतिरिक्त तीन फरवरी 2013 से दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2013 द्वारा आइपीसी में महिलाओ के शारीरिक और यौन शोषण संबंधी शामिल की गई अन्य धाराओ 354 में 354 ए, 354 बी, 354 सी और 354 डी का भी उल्लेख महिला पुलिस थानों की नोटिफिकेशन में करने के लिए लिखा गया था। यही नहीं अढ़ाई वर्ष पूर्व 21 अप्रैल 2018 से आइपीसी में दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2018 द्वारा दुष्कर्म के दंड से संंबंधित धारा 376 में जो तीन नई उप धाराएं जोड़ी गई थी, यानी 376 एबी, 376 डीए और 376 डीबी उनका भी महिला थानों की नोटिफिकेशन में जिक्र नहीं था। इन धाराओं के तहत 12 वर्ष और 16 वर्ष की आयु से कम लड़कियों के साथ दुष्कर्म व सामूहिक दुष्कर्म की स्थिति में कठोर दंड का प्रावधान है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने तत्कालीन गृह सचिव नवराज संधू को ईमेल कर इस संबंध में उचित कार्यवाही का सुझाव दिया। कोई कार्यवाही नहीं हुई तो गृह मंत्री अनिल विज को ई-मेल से याचिका भेजी गई। इसके बाद इसी वर्ष सात मार्च को तत्कालीन गृह सचिव विजय वर्धन को भी पत्र भेजा गया, जिसमें तीन मार्च को हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित बाल विवाह प्रतिषेध (हरियाणा संशोधन ) विधेयक 2020 का उल्लेख है। इसमें प्रावधान है कि प्रदेश में हर बाल विवाह मूल रूप से ही कानूनन अवैध होगा। अब तक बाल विवाह को उपयुक्त अदालत द्वारा अवैध घोषित करवाया जा सकता था। फिलहाल पारित विधेयक भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास गया हुआ है।

हेमंत कुमार ने बताया कि पांच साल पहले अगस्त 2015 में गृह विभाग द्वारा महिला पुलिस थाने बनाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी की गई थी। अब इन पुलिस थानों की संख्या तीन दर्जन के आसपास है। वैसे तो इन महिला पुलिस थानों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 की धारा 2 (एस) के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा पुलिस स्टेशन के रूप में नोटिफाई किया गया है, परंतु जिस प्रकार सामान्य पुलिस थाने अपने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत घटित होने वाले हर प्रकार के अपराध का मामला दर्ज करने और उनमें जांच के लिए पूर्ण रूप से कानूनी तौर पर सक्षम है, लेकिन महिला पुलिस थानों के पास ऐसे पूरे अधिकार नहीं हैं। अब उनका कानूनी दायरा बढ़ा दिया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.