नगर परिषद, पालिकाओं के समन्वय अधिकारी होंगे नगराधीश, बढेंगी शक्तियां
हरियाणा सरकार शहरी क्षेत्रों में प्रशासनिक नियंत्रण की शक्ति एक अधिकारी में निहित करेगी। पंचायती विभाग की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में पहली बार यह व्यवस्था होगी।
जेएनएन, चंडीगढ। शहरी क्षेत्रों में विकास कार्यों व प्रशासनिक समन्वय को लेकर लंबे समय से चल रहे असमंजस को प्रदेश सरकार ने खत्म कर दिया है। नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में सीधा प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होने की तकनीकी अड़चन को पंचायती राज विभाग की तर्ज पर दूर किया गया है। जिस प्रकार पंचायत महकमे में जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी समन्वय एवं नियंत्रण की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, उसी प्रकार नगराधीश की ताकत बढाते हुए सरकार ने उन्हें जिला शहरी मामले की जिम्मेदारी सौंपने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
आज यहां जानकारी देते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने बताया कि प्रदेश भर में शहरी क्षेत्र नगर परिषद एवं नगर पालिकाओं में सरकार एवं विभाग स्तर पर सीधा समन्वय एवं प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होता था। हरियाणा पालिका सेवा अधिनियम 2010 के मुताबिक जिला उपायुक्त परिषद एवं पालिका के संबंध में सभी आवश्यक अधिकार रखते हुए अपने कार्यालय में स्थानीय निधि शाखा के मार्फत इन पालिका क्षेत्रों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देशों की अनुपालना करवाते थे। लेकिन, पालिकाओं से जुड़े विभिन्न मसलों के समाधान के लिए उपायुक्त कार्यालय में संपर्क अधिकारी नहीं होने के कारण लंबे समय से परेशानी आ रही थी।
मंत्री कविता जैन ने बताया कि इन तकनीकी अडचनों को दूर करते हुए शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा पंचायत विभाग की तर्ज पर एक प्रस्ताव तैयार किया गया। इसमें पंचायत मामलों के समाधान के लिए जिला पंचायत एवं विकास अधिकारी की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में भी ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी देने पर जोर दिया गया, जो सीधे प्रशासनिक नियंत्रण एवं समन्वय की जिम्मेदारी निभाएंगे।
इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जिला स्तर पर नगराधीश को यह जिम्मेदारी सौंपने की मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे नगराधीश की ताकत में भी बढोतरी होगी। उन्होंने बताया कि अब नगर परिषद एवं नगर पालिका से उलझे मामलों को सुलझाने तथा विभाग मुख्यालय से सीधा संवाद करने की तकनीकी अड़चन अब दूर हो जाएगी।
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