सीधे चुने गए मेयर की पावर बढ़ी, पार्षद नहीं सरकार ही हटा सकेगी
हरियाणा सरकार ने जनता द्वारा सीधे चुने जाने वाले मेयर की शक्तियां बढ़ा दी हैं। ऐसे मेयर को अब पार्षद उनके पद से नहीं हटा सकेंगे। उनको हटाने के अधिकार सिर्फ सरकार के पास होगा।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में अब सीधे जनता द्वारा चुने जाने वाले मेयर को पार्षद नहीं बल्कि राज्य सरकार ही हटा सकेगी। अभी तक सरकार केवल पार्षद को हटा सकती थी। इसके साथ ही मेयर की पावर भी बढ़ जाएगी। वहीं सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर पूर्व की तरह निर्वाचित पार्षद ही चुनेंगे। पार्षद उन्हें हटा भी सकेंगे। प्रदेश में 10 नगर निगम, 18 नगर परिषद और 53 नगर पालिकाएं हैं।
मेयर के चुनाव में पार्षदों की खरीद फरोख्त पर लगेगी लगाम
मेयर की तर्ज पर अब नगर परिषद व नगरपालिका के अध्यक्षों के चुनाव भी सीधे कराए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। सीधे चुनाव की व्यवस्था से शहरी निकायों में मेयर, नगर परिषद अध्यक्ष और नगर पालिका प्रधान के चुनाव में पार्षदों की खरीद फरोख्त बंद हो सकेगी।
नगर परिषद व पालिकाओं के अध्यक्ष पद के चुनाव भी सीधे कराने का दबाव
हरियाणा सरकार ने हाल ही में नगर निगम (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2018 तैयार किया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह औपचारिक कानून बन जाएगा। इसके तहत नगर निगम के मतदाता दो मत डालेंगे। एक वोट वार्ड पार्षद के लिए और दूसरा वोट मेयर के लिए होगा। बता दें कि गांवों में भी पंच और सरपंच चुनने के लिए अलग-अलग वोट डाले जाते हैैं। यही व्यवस्था सांसद और विधायक चुनाव के लिए भी है।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि एक व्यक्ति एक ही समय में मेयर, पार्षद, विधायक और सांसद के पद पर नहीं रह सकता। उसे इनमें से एक पद चुनना होगा। राज्य सरकार कुछ विशेष परिस्थितियों में मेयर को एक सुनवाई का मौका देकर सीधे अपने पद से हटा सकती है। सरकार चुने गए मेयर को छह माह के लिए सीधे सस्पेंड (निलंबित) भी कर पाएगी। अगर मेयर पर नैतिकता हनन का मामला है तो यह समय सीमा अधिक भी हो सकती है।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार सरकार अगर किसी चुने गए मेयर को सस्पेंड करती है अथवा पद से हटाती है तो मेयर का कार्यभार सीनियर डिप्टी मेयर या डिप्टी मेयर को नहीं दिया जाएगा। अपितु सीधा चुने गए मेयर की कैटेगरी/वर्ग के उसी पार्षद को दिया जाएगा, जिसके साथ सबसे अधिक पार्षदों का समर्थन होगा।
उदाहरण के लिए अगर मेयर का पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है और निगम में ऐसी महिला और है तो उसे कार्यभार सौंप दिया जाएगा। अगर मेयर बीमारी या किसी अन्य कारण से अवकाश पर होगा तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर कामकाज देख सकेंगे।
मेयर तलब कर सकेगा कमिश्नर से फाइलें
नए कानून में मेयर की नगर निगम के समस्त रिकार्ड तक पहुंच होगी। मेयर नगर निगम के कमिश्नर को फैसलों की अनुपालना के लिए उचित निर्देश दे सकता है और इस संबंध में उनसे रिपोर्ट भी तलब कर सकता है। मेयर को सरकारी आवास, टेलीफोन और वाहन की सुविधाएं मिलेंगी।
करनाल, हिसार, रोहतक, पानीपत और यमुनानगर में दिखेगा असर
नए कानून का सीधा असर फिलहाल प्रदेश के पांच नगर निगमों करनाल, हिसार, रोहतक, पानीपत एवं यमुनानगर पर पड़ेगा, जहां इस साल के अंत तक चुनाव होने की प्रबल संभावना है। अंबाला व पंचकूला नगर निगमों के गठन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिकाएं लंबित हैैं। अंबाला नगर निगम के केस में 21 सितंबर को सुनवाई होनी है।