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हरियाणा में Post Matric Scholarship Scam, फर्जी आधार कार्ड से खातों में डलवाए करोड़ों रुपये

हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने विद्यार्थियों की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। तीन जिलों में करोड़ों का घोटाला हुआ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 08:48 AM (IST)
हरियाणा में Post Matric Scholarship Scam, फर्जी आधार कार्ड से खातों में डलवाए करोड़ों रुपये
हरियाणा में Post Matric Scholarship Scam, फर्जी आधार कार्ड से खातों में डलवाए करोड़ों रुपये

पंचकूला [राजेश मलकानियां]। हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने विद्यार्थियों की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। प्रदेश के तीन जिलों सोनीपत, रोहतक और झज्जर में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के फर्जी लाभपात्रों के नाम पर लगभग 26 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। अभी और भी कई फर्जी छात्रवृत्ति पाने वालों के नाम सामने आने की संभावना है।

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30 से 40 फीसद छात्र फर्जी पाए गए और फर्जी संस्थानों की संख्या 25 से 30 फीसद है। इस घोटाले में सोनीपत, रोहतक और झज्जर जिलों के जिला कल्याण अधिकारी व दो उप निदेशकों सहित हेडक्वार्टर में लेखा अनुभाग में तैनात अन्य कर्मियों की संलिप्तता पाई गई है। विजिलेंस ने केस दर्ज कर लिए हैं और आरोपितों की तलाश की जा रही है।

समाज कल्याण विभाग के महानिदेशक पद पर रहते हुए सीनियर आइएएस अधिकारी संजीव वर्मा ने इस गोलमाल को पकड़कर बड़ा घोटाला होने की आशंका जाहिर कर दी थी। इस घोटाले के मास्टरमाइंड रोहतक और हिसार के रहने वाले राहुल और अरविंदर बताए जाते हैं। राहुल आयकर विभाग में है और अरविंदर एक बड़े अधिकारी का मित्र हैं।

हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को महानिदेशक डा. केपी सिंह ने छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा करते हुए बताया कि ब्यूरो द्वारा प्रदेश में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) योजना घोटाले के संबंध में फिलहाल एक केस दर्ज किया गया है। राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए पीएमएस योजना में छात्रवृत्ति की राशि में करोड़ों रुपये के गबन संबंधी रिपोर्ट मिलने के बाद ब्यूरो को जांच सौंपी थी।

केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन देने हुए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति वर्ष 1981 में शुरू की गई। योजना को वर्ष 2015 से पहले ऑफ़लाइन लागू किया जा रहा था और वर्ष 2016 से इसे ऑनलाइन किया गया था।

फर्जी खातों में जमा करवाया पैसा

जांच के दौरान पाया गया कि पीएमएस योजना के तहत लाभार्थियों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर फर्जी खातों में पैसे हस्तांतरित करके पात्र छात्रों की राशि का गबन राज्य के विभिन्न जिलों में किया जा रहा था। ब्यूरो ने सोनीपत, रोहतक और झज्जर जिले में पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों की जांच की, जिसमें पता चला कि लगभग 26 करोड़ रुपये की राशि फर्जी लाभार्थियों के बीच वितरित की गई है।

साथ ही हजारों छात्रों के आधार नंबर व खाता नंबर बदलकर अन्य खातों में पैसा जमा किया गया। जब बैंक ने योजना से संबंधित खातों में मिसमैच पाया तो बैंक की शिकायत पर संबंधित विभाग ने इस मामले की जांच की। जांच में खुलासा हुआ है कि घोटालेबाजों ने फर्जी संस्थानों, आधार कार्ड नंबर बदलकर व फर्जी छात्रों के नाम पर भी छात्रवृति योजना के तहत राशि लेकर गबन किया है।

कई अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ केस

उपनिदेशक अनिल कुमार एवं राजेंद्र सिंह सांगवान उपनिदेशक (सेवानिवृत), सहायक जितेंद्र सिंह, बिलेंद्र सिंह, डाटा एंट्री आपरेटर कुलजीत सिंह, जिला कल्याण अधिकारी सुनील कुमार, कार्यवाहक जिला कल्याण अधिकारी सुरेंद्र कुमार, जिला कल्याण अधिकारी रोहतक रेनू सिसोदिया, तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी रोहतक जयदेव सिंह (मृतक), लेखाकार कम लिपिक कार्यालय जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत सुरिंद्र कुमार, अरविंदर सांगवान निवासी अर्बन अस्टेट हिसार, नवीन निवासी गांव भैराण जिला रोहतक, तेजपात निवासी गांव खरकखुर्द जिला भिवानी, राहुल निवासी पटेल नगर रोहतक के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

ऑफलाइन और आनलाइन के चक्कर में पकड़ा घपला

महानिदेशक केपी सिंह के अनुसार योजना के तहत अनुसूचित जाति के लाभपात्रों को 230 रुपये से 1200 रुपये प्रतिमाह तक छात्रवृति और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। इसी प्रकार पिछड़े वर्ग के छात्रों को 160 रुपये से 750 रुपये तक प्रतिमाह और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। वर्ष 2017-18 से टयूशन फीस का 25 प्रतिशत या 5 हजार रुपये से जो भी कम है, दिया जाता है। जोकि वर्ष 2016 से आनलाइन कर दी गई।

इस तरह से अंजाम दिया गया घोटाला

वर्ष 2017 में ट्रिगामा कंपनी का अनुबंध खत्म होने पर एचकेसीएल कंपनी से इस कार्य के लिये अनुबंध हुआ था, जिसके अनुसार छात्र को कंपनी द्वारा बनाए गए पोर्टल पर जाकर अपना यूजर आइडी एवं पासवर्ड बनाकर अपना आवेदन करना होता है और विभाग द्वारा जारी शर्तें को पूरा होता है। उसके बाद संस्थान छात्र से आवेदन की जांच करने के बाद आवेदन को जिला कल्याण अधिकारी के पोर्टल पर भेज देता है। हरियाणा से बाहर पढ़ने वाले छात्र अपना आवेदन जिला कल्याण अधिकारी के पास आकर भरते हैं।

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