SYL पर निर्णायक मोड़ पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, पंजाब-हरियाणा में गरमाई सियासत
एसवाइएल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। इसको लेकर पंजाब व हरियाणा में सियासत गरमा गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। सतलुज-यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर पर सुप्रीम कोर्ट में निर्णायक स्थिति में पहुंची सुनवाई से पहले ही सियासी पारा गर्म हो गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद अब हरियाणा के सियासी दलों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर सर्वदलीय बैठक के लिए दबाव बढ़ा दिया है। इसके लिए इनेलो और कांग्रेस के साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद-विधायक और कुछ मंत्री नए सिरे से लॉबिंग में जुटे हैं।
बता दें कि विधानसभा के बजट सत्र में काग्रेस और इनेलो के दबाव में मुख्यमंत्री पीएम से सर्वदलीय बैठक के लिए समय लेने को तैयार हो गए थे। हालांकि बाद में केंद्रीय स्तर के मंत्रियों के साथ बैठक से आगे बात बढ़ नहीं पाई।
एसवाइएल नहर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई है। प्रदेश सरकार ने सुनवाई में अपना पक्ष मजबूती से रखने की पूरी तैयारी कर ली है। अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कारण मनोहर सरकार इस मामले में कोई ठोस हल चाहती है ताकि उसे कैश किया जा सके। सुनवाई के दौरान पंजाब के तमाम दांवपेंचों की काट के लिए एडवोकेट जनरल बलदेव राज खुद कानूनी विशेषज्ञों के साथ सभी तकनीकी पहलुओं का अध्ययन करने में जुटे हैं।
उधर, एसवाइएल नहर को लेकर जेल भरो आंदोलन सहित कई अभियान चला चुके मुख्य विपक्षी दल इनेलो ने नए सिरे से सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। इनेलो और बसपा ने संयुक्त रूप से 8 सितंबर को हरियाणा बंद का एलान कर रखा है। विपक्ष के नेता अभय चौटाला का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए केंद्र सरकार अपने स्तर पर ठोस कदम उठा सकती है। फिर हरियाणा को उसके हिस्से से वंचित क्यों रखा जा रहा है।
कांग्रेस ने विधानसभा में एसवाइएल को लेकर पूरी रणनीति तय कर रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सदन में सहमति बनने के बावजूद पीएम से सर्वदलीय बैठक के लिए पहल क्यों नहीं की गई। इससे साफ है कि प्रदेश सरकार एसवाइएल पर ढिलाई बरत रही है।
सुप्रीम कोर्ट दिलाएगा हक : मनोहर
सीएम मनोहर लाल का कहना है कि एसवाइएल नहर निर्माण के लिए प्रदेश सरकार गंभीर है। हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलकर रहेगा। सर्वोच्च न्यायालय पर हमें पूरा भरोसा है। हमारे प्रयासों से ही सर्वोच्च न्यायालय में राष्ट्रपति संदर्भ पर करीब 12 वर्षों बाद सुनवाई शुरू हुई और फैसला हमारे पक्ष में आया। अगली सुनवाई के लिए हमारे कानूनी विशेषज्ञों की टीम पूरी तरह तैयार है।