हरियाणा भाजपा अध्यक्ष पद पर धनखड़ की ताजपोशी से बदलेगी अहीरवाल की सियासत
ओमप्रकाश धनखड़ की हरियाणा भाजपा अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी का अहीरवाल की सियासत पर असर पड़ेगा और यहां राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। राव इंद्रजीत व कृष्णपाल गुर्जर के विरोधी मुखर होंगे।
चंडीगढ़/रेवाड़ी, [महेश कुमार वैद्य]। भाजपा के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश धनखड़ ने विधिवत पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण कर लिया। अब उनके सामने संगठन खड़ा करने की चुनौती है। निगाहें धनखड़ की नई टीम पर टिकी है। धनखड़ की ताजपोशी के बाद अहीरवाल की राजनीति की दिशा भी बदलेगी। अभी तक यह कहा जा रहा है कि अहीरवाल क्षेत्र में भाजपा 'वन-वे ट्रैफिक' (राव इंद्रजीत के अनुसार) चल रही है जबकि उनके विरोधियों की उपेक्षा हो रही है। धनखड़ की ताजपोशी से अब राव विरोधियों को भी अच्छे दिन की उम्मीद है। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के विरोधी भी अब तक उपेक्षित रहे हैं। अब उनको भी पार्टी में अपनी स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है।
राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर के विरोधियों को है अच्छे दिन आने की उम्मीद
केंद्रीय मंत्री राव के कई राजनीतिक विरोधी धनखड़ की 'गुड बुक' में जाने जाते हैं। सूत्रों के अनुसार अब राव इंद्रजीत विरोधी कई नेताओं को प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी मिलेगी। धनखड़ के अनुभव को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि वह प्रदेश से जिला स्तर तक राव व एंटी राव चेहरों के बीच संतुलन कायम करेंगे।
मजबूत रहा है दूसरा पक्ष
अहीरवाल की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में सत्ता का केंद्र अकेले राव नहीं थे। पार्टी विक्रेंदीकरण की नीति पर चल रही थी। जितना वजन राव इंद्रजीत को, उतना ही उनके विरोधी गुट को, मगर इस बार के चुनाव के बाद राव अहीरवाल के एक छत्र नेता बनकर उभरे हैं। अब इसमें बदलाव की बातें हो रही है। देखना यह है कि धनखड़ कैसे अहीरवाल की राजनीति में तालमेल कायम कर पाते हैं या नहीं । अगर राव इंद्रजीत के विरोधियों को गले नहीं लगाया गया तो इनमें दूसरे दलों से आए कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भूपेंद्र सिेंह हुड्डा के गले लग सकते हैं। इनको साध कर रखना धनखड़ के लिए चुनौती है। हालांकि, काडर से जुड़े नेताओं के मामले में भाजपा निश्चिंत रह सकती है।
डिनर डिप्लोमेसी ने बटोरी थी चर्चा
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 (Haryana assembly election 2019) के तुरंत बाद डिनर डिप्लोमेसी ने खूब चर्चा बटोरी थी। इंद्रजीत विरोधी खेमे ने दो बार खाने के बहाने बैठकें की। राव नरबीर के आवास पर हुई पहली बैठक में विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष संतोष यादव, पूर्व मंत्री राव नरबीर, जगदीश यादव व बिक्रम ठेकेदार, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव, जीएल शर्मा, विधायक सत्यप्रकाश जरावता व तेजपाल तंवर शामिल हुए थे।
इसके कुछ दिन बाद दूसरी बैठक में पूर्व सांसद डा. सुधा यादव भी शामिल हुई। इनमें नरबीर, डा. सुधा, संतोष यादव, जगदीश यादव, बिक्रम यादव व अरविंद यादव ऐसे चेहरे थे जो चुनाव लडऩा चाहते थे, मगर पार्टी ने इनके क्षेत्रों में राव की पसंद को तवज्जो दी।
रणधीर कापड़ीवास तो बगावत करके चुनाव मैदान में उतर गए। वह खुद नहीं जीत पाए मगर राव की पसंद के भाजपा उम्मीदवार को हराने में कामयाब हो गए। उनके तार अभी भी पार्टी नेताओं से जुड़े हैं। इनके अलावा विधायक राव अभय ङ्क्षसह सहित अहीरवाल में ऐसे कई नेता हैं, जो अंदरखाने राव से खुश नहीं हैं। देखना यह है कि ताज बदलने से किसके पास ताकत और किसके पास कमजोरी आएगी।
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