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राज्यसभा चुनाव में सियासी दलों की गैर हरियाणवी नेताओं पर निगाहें, भाजपा नहीं देगी जजपा को सीट

Rajya Sabha Elections 2022 हरियाणा में राज्‍यसभा की दो सीटों के लिए हाेनेवाले चुनाव के लिए राजनीतिक गतिविधियों तेज हो गई हैं। इस चुनाव में सियासी दलों की निगाहें गैर हरियाणा नेताओं पर निगाहें हैं। कांग्रेस आनंद शर्मा या राजीव शुक्‍ला पर दांव खेलने की तैयारी में है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 26 May 2022 09:09 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2022 09:09 AM (IST)
राज्यसभा चुनाव में सियासी दलों की गैर हरियाणवी नेताओं पर निगाहें, भाजपा नहीं देगी जजपा को सीट
भूपेंद्र सिंह हुड्डा , हरियाणा के उपमुख्‍यमंत्री दुष्‍यंत चौटाला और मुख्‍यमंत्री -मनोहर लाल। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Rajya Sabha Elections 2022: हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए 10 जून को होने वाले चुनाव में राजनीतिक दल प्रदेश के बाहर के उम्मीदवारों पर दांव खेल सकते हैं। विधायकों के संख्या बल के आधार पर एक सीट भाजपा तो दूसरी सीट कांग्रेस के खाते में आनी हैं, लेकिन कांग्रेस में सेंधमारी की कोशिश कर रहे भाजपा के रणनीतिकारों को यदि अपने गेम में सफलता मिलने की उम्मीद बंधी तो दोनों सीटों पर भाजपा अपने उम्मीदवार उतार सकती है।

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कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा और राजीव शुक्ला के नामों की चर्चा

भाजपा समर्थित निर्दलीय राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा और भाजपा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम का कार्यकाल पूरा होने पर यह चुनाव हो रहे हैं। इन दोनों सीटों के लिए 31 मई तक नामांकन भरे जाएंगे। एक जून को नामांकन की जांच होगी। तीन जून तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे और 10 जून को अगर आवश्यकता हुई अर्थात अगर दोनों सीटों के लिए तीन या अधिक उम्मीदवारों ने नामांकन भरा तो मतदान करवाया जाएगा, जिसके पश्चात उसी दिन मतगणना होगी। 13 जून तक निर्वाचन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

भाजपा नहीं देगी जजपा को सीट, दुष्यंत गौतम की दोबारा एंट्री संभव

भाजपा की ओर से निवर्तमान राज्यसभा सदस्य दुष्यंत कुमार गौतम को दोबारा राज्यसभा भेजा जा सकता है। गौतम दिल्ली के विवेक विहार के रहने वाले हैं। पिछले राज्यसभा चुनाव में गौतम की हरियाणा में एंटरी नई थी। गौतम के अलावा हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल, पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर और पूर्व शहरी निकाय मंत्री कविता जैन का नाम राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है।

इन नेताओं के अलावा सीएम के राजनीतिक सचिव कृष्ण कुमार बेदी, भाजपा के प्रांतीय प्रवक्ता सुदेश कटारिया और नीलोखेड़ी के पूर्व विधायक भगवान दास कबीरपंथी के नाम भी लिए जा रहे हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन के सूत्रधार मीनू बैनीवाल चौंकाने वाला नाम हो सकते हैं।

कांग्रेस की ओर से राज्यसभा की एक सीट के लिए कई चौकाने वाले नाम चर्चा में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष कुमारी सैलजा यहां से राज्यसभा की प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम भी गंभीरता के साथ चल रहा है।

पूर्व मंत्री आनंद शर्मा और राजीव शुक्ला के नामों की गंभीरता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव प्रयास में हैं तो हरियाणा कांग्रेस में अध्यक्ष का पद नहीं मिलने से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई को भी अपनी पसंद पूछे जाने की आस है। भाजपा के हिस्से की एक सीट पर उसकी सहयोगी पार्टी जजपा भी दावेदारी कर सकती है, लेकिन भाजपा अपनी सीट जजपा को देगी, इसकी बिल्कुल भी संभावना नहीं है।

केंद्रीय चुनाव आयोग ने छह साल बाद किया आरके नांदल पर भरोसा

हरियाणा विधानसभा के मौजूदा सचिव राजेंद्र कुमार नांदल को राज्यसभा की दोनों सीटों के द्विवार्षिक चुनाव कराने हेतु रिटर्निंग आफिसर नियुक्त किया गया है, जबकि विधानसभा के अंडर सेक्रेटरी विष्णु देव को सहायक रिटर्निंग आफिसर बनाया गया है। रोचक बात है कि चुनाव आयोग द्वारा पूरे छह वर्षों के बाद नांदल को चुनाव अधिकारी के तौर पर पदांकित किया गया है।

हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार, इससे पूर्व मई 2016 में नांदल को दो राज्यसभा सीटों के तत्कालीन द्विवार्षिक चुनावों में आरओ की भूमिका दी गई थी। आज से दो वर्ष पूर्व हरियाणा से दो राज्यसभा सीटों के चुनाव में नांदल की बजाय 2003 बैच के आइएएस अधिकारी अजीत बालाजी जोशी को आरओ नियुक्त किया गया था।

उससे पहले मार्च 2018 में प्रदेश से एक राज्यसभा सीट के द्विवार्षिक चुनाव में आयोग ने नांदल के स्थान पर 2001 बैच के आइएएस अधिकारी विजय सिंह दहिया को रिटर्निंग आफिसर लगाया था। पांच वर्ष पूर्व जून-2017 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान नांदल की बजाय 2000 बैच के आइएएस अधिकारी पंकज अग्रवाल को जिम्मेदारी प्रदान की गई थी। नांदल के कार्यकाल में कांग्रेस विधायकों का स्याही कांड हो गया था, जिसकी वजह से आरके आनंद की बजाय सुभाष चंद्रा चुनाव जीते थे। हालांकि जांच में नांदल को क्लीनचिट दे दी गई थी।


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