Agriculture bills: भाजपा सांसदों ने कहा- हरियाणा में सिर्फ विरोध को सियासी दल करा रहे आंदोलन
हरियाणा में कृषि विधेयकों के विरोध को भाजपा के सांसदों और नेताओं ने सियासी दलों की राजनीति करार दिया है। उनका कहना है कि इस मामले पर राजनीतिक दल सिर्फ विरोध के लिए राज्य में आंदोलन करा रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय जनता पार्टी के सांसदों का कहना है कि तीन कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के पीछे कांग्रेस है और हरियाणा में भी कांग्रेस ही ऐसा करवा रही है। इन सांसदाें का कहना है कि सियासी दल सिर्फ विरोध के लिए इन विधेयकों पर किसानों को भडका रहे हैं और आंदोलन करा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनोहर लाल सरकार ने मार्केट फीस कम करके आढ़तियों और किसानों के इस आशंका को दूर कर दिया है कि मंडी व्यवस्था नहीं रहेगी। इससे कांग्रेस की काली दाल नहीं गल रही है। केंद्र सरकार द्वारा समय से पहले रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित करने के पीछे भी यही उद्देश्य था कि किसानों का यह भ्रम दूर हो जाए कि आने वाले समय में एमएसपी खत्म हो जाएगा।
किसानों की कथित आशंकाओं को दूर करने के लिए प्रदेश सरकार कर रही हरसंभव प्रयास
भाजपा सांसदों और नेताओं का कहना है क विपक्ष की तरफ से कहा जा रहा है कि ये विधेयक किसानों को उद्योगपतियों के खिलाफ कोई न्यायिक सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं। हालांकि तथ्य यह है कि ये विधेयक किसानों को एक ऐसा विवाद निवारण तंत्र उपलब्ध कराते हैं जहां किसान किसी भी विवाद की स्थिति में अपने सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम)के पास जा सकता है।
विपक्ष की तरफ से उठाए जा रहे प्रश्नों पर भाजपा के सांसद स्थिति स्पष्ट करने में जुटे
सांसदोंका कहना है कि कोई भी राशि बकाया होने की स्थिति में किसानों की जमीन पर कोई भी कार्रवाई करने का अधिकार भी ये विधेयक नहीं देते, बल्कि इस संबंध में किसानों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। एक आशंका यह भी जताई जा रही है कि ये विधेयक किसानों को उनकी जमीन में बंधुआ मजदूर बना देंगे और किसानों की जमीन उद्योगपतियों की हो जाएगी। वास्तविकता यह है कि ये विधेयक किसानों की जमीन को बेचने, लीज पर देने पर और किसानों को बंधक बनाने पर रोक लगाएंगे। जमीन के मालिकाना हक या किसान के जमीन में स्थायी बदलाव पर रोक लगाएंगे।
अन्य प्रमुख आशंकाएं और उनका निवारण
आशंका: ये विधेयक राज्यों के कृषि राजस्व में अवरोध पैदा करेंगे।
- वास्तविकता: मंडी व्यवस्था पहले की तरह ही चलती रहेगी। ये विधेयक किसानों को खेत के पास मंडी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे किसानों के यातायात शुल्क में कमी आएगी।
आशंका: कृषि राज्य सूची का विषय है, इसलिए ये विधेयक गैरकानूनी हैं। इनसे किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचाने की बजाय यह सिर्फ उद्योगपतियों को लाभ के लिए है।
- वास्तविकता: संविधान की सातवीं अनुसूची में इस बारे में उल्लेख है कि राष्ट्रीय हित में केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में कानून बना सकती है। इन विधेयकों से किसानों को अधिकतम आय सुनिश्चित करने सहित कई फायदे होंगे।
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'' देखिए, कांग्रेस इन कृषि विधेयकों को लेकर सिर्फ और सिर्फ विरोध की राजनीति कर रही है। इन विधेयकों का वास्तिवक स्वरूप अब 1 अक्टूबर से खरीफ की फसल की सरकारी खरीद और फिर 1 अप्रैल से रबी की फसल की सरकारी खरीद के समय सामने आ जाएगा। तब तक किसान इन विधेयकों को देख लें।
- डाॅ. अभय सिंह यादव, विधायक, नांगल चौधरी।
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'' इन कृषि विधेयकों का विरोध करने वाले बता दें कि तीन विधेयकों के किस उपबंध से ये संतुष्ट नहीं हैं और क्या संशोधन चाहते हैं। कांग्रेस ने तो कोविड-19 के संकट काल में जब रबी की फसल की खरीद हुई तब भी शोर मचाया मगर जब मुख्यमंत्री ने सरकारी खरीद के पूरे पुख्ता प्रबंध कर दिए तो चुप हो गए।
- डॉ. अरविंद शर्मा, सांसद, रोहतक ।