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मिलते नाम का फायदा उठा करोड़ों के प्लॉट ट्रांसफर करवाने की कोशिश

प्लॉट ट्रांसफर करवाने की कोशिश का मामला सामने आया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 08:12 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 08:12 PM (IST)
मिलते नाम का फायदा उठा करोड़ों के प्लॉट ट्रांसफर करवाने की कोशिश
मिलते नाम का फायदा उठा करोड़ों के प्लॉट ट्रांसफर करवाने की कोशिश

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हरियाणा शहरी प्राधिकरण में मिलते-जुलते नाम का फायदा उठाकर धोखाधड़ी से प्लॉट ट्रांसफर करवाने की कोशिश का मामला सामने आया। संपदा अधिकारी आशुतोष राजन की सतर्कता से बड़ा फर्जीवाड़ा होने से बच गया। यह फर्जीवाड़ा 2008 में शुरू हुआ था, जब लगा कि कुछ नहीं होगा, तो ट्रांसफर परमिशन के लिए आवेदन कर दिया गया। यदि संपदा अधिकारी हस्ताक्षर कर देते, तो करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी फर्जी नाम वाला ट्रांसफर करवा लेता। मामले की शिकायत सेक्टर-5 पुलिस को दे दी गई है। मिली जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ के सेक्टर-21 निवासी राज कमल बंटा, जोकि मूल रूप से शिमला के हैं, उनका सेक्टर-4 व 8 पंचकूला में प्लॉट है। सेक्टर-4 में प्लॉट नंबर 316 14 मरले का प्लॉट है और सेक्टर-8 में प्लॉट नंबर 813 एक कनाल का है। दोनों प्लॉट की कीमत 10 करोड़ है। दोनों प्लॉट पर करीब 25 प्रतिशत निर्माण हो रखा है। उसमें कोई भी नहीं रह रहा है। ऐसे में सालों से पड़े खाली प्लॉट को देखकर उसे फर्जी तौर पर बेचा जा रहा था। जिसमें से सेक्टर-8 के प्लॉट का ट्रांसफर परमिशन एस्टेट ऑफिस की ओर से जारी कर दिया गया था। वहीं, सेक्टर-4 के प्लॉट के ट्रांसफर परमिशन के लिए आवेदन दिया था, जिसके बाद फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। असली अलॉटी को पता ही नहीं चला

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सोमवार सुबह 9 बजे सेक्टर-4 के प्लॉट नंबर 316 और सेक्टर-8 के प्लॉट नंबर 813 के असली अलॉटी राज कमल बंटा एस्टेट ऑफिसर के सामने पेश हुए और उन्होंने ऑब्जेक्शन लेटर एस्टेट ऑफिसर को दिखाते हुए कहा कि मैंने कभी प्लॉट के ट्रांसफर के लिए आवेदन नहीं दिया। जिसके बाद तुरंत एस्टेट ऑफिसर आशुतोष राजन ने करीब एक घंटे तक रिकॉर्ड रूम को सील करवा दिया और दोनों प्लॉट्स की असली फाइलें निकलवाई। जिसके बाद फर्जीवाड़े के मामले का खुलासा हुआ। असली अलॉटी राज कमल बंटा ने आशुतोष राजन को लिखित तौर पर शिकायत देकर सेक्टर-4 के प्लॉट नंबर 316 और सेक्टर-8 के प्लॉट नंबर 813 के सेल व ट्रांसफर करने पर रोक लगाने को कहा। कभी भी डुप्लीकेट पेपर के लिए नहीं लिखा

शिकायतकर्ता ने कहा कि वे 1974 से इन दोनों प्लॉट्स के मालिक हैं और उनके पास दोनों के सभी असली दस्तावेज हैं और कभी भी उसने डुप्लीकेट पेपर के लिए पत्र नहीं लिखा। 10 साल पहले शुरू हुआ फर्जीवाड़ा

फर्जीवाड़ा 2008 में शुरू हुआ था। जब राज कमल बंटा के पते पर राज कमल बंटे के नाम से फर्जी आधार कार्ड बनाया गया था। आधार कार्ड के बाद राज कमल बंटे का पैन कार्ड बनाया गया। उसके बाद नवंबर 2018 में फर्जी तौर पर सेक्टर-8 के प्लॉट नंबर 813 के डुप्लीकेट पेपर जारी करने के लिए संपदा कार्यालय में आवेदन दिया गया था। आवेदन में हस्ताक्षर पर एस्टेट ऑफिस के स्टाफ ने ऐतराज जताया था। उसके बावजूद भी फाइल को प्रोसेस में डाला गया। बंटा और बंटे के फेर में कर रहे थे फर्जीवाड़ा

20 दिसंबर को सुनील गर्ग और रितू गर्ग के नाम पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए आवेदन दिया गया। 9 जनवरी को प्रॉपर्टी ट्रांसफर का परमिशन दिया गया। 25 जनवरी को फर्जी राज कमल बंटे ने सेक्टर-4 के प्लॉट नंबर 316 के डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट्स जारी करने के लिए आवेदन दिया। साथ ही प्लॉट्स डॉक्यूमेंट्स की गुमशुदगी के लिए सेक्टर-5 पुलिस थाना में डीडीआर भी दर्ज करवाई। डुप्लीकेट के लिए दिए गए आवेदन में एक बजाय दो प्लॉट्स की डिटेल दिए जाने पर 1 फरवरी को एस्टेट ऑफिस की ओर से सही तौर पर आवेदन देने के लिए कहा गया। उसके कुछ दिन बाद 5 फरवरी को फर्जी राज कमल बंटे ने संपदा कार्यालय को जवाब देकर सेक्टर-4 के प्लॉट नंबर 316 का डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट्स जारी किए जाने का आवेदन दिया, जिसे प्रोसेस में डाला गया। एक पत्र असली अलॉटी राज कमल बंटा के घर पर पहुंच गया। जिसके बाद राज कमल बंटा सोमवार 18 फरवरी को संपदा ऑफिस में पहुंचे, तो पूरा मामला पता चला कि बंटा और बंटे के फेर में फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। जांच कमेटी बनाई

ईओ आशुतोष राजन ने फर्जीवाड़े की जांच के लिए तीन सदस्यीय इंटर्नल कमेटी बनाई है। कमेटी में एडीए, सुपरिंटेंडेंट और एसडीओ सर्वे को शामिल किया गया है। तीनों अधिकारियों को मामले की जांच कर 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। इंटर्नल कमेटी की रिपोर्ट एस्टेट ऑफिस की ओर से पुलिस को सौंपी जाएगी, ताकि उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करे। किसी को बख्शा नहीं जाएगा : राजन

एचएसवीपी के इस्टेट ऑफिसर आशुतोष राजन ने बताया कि फर्जी तौर पर मिलते नाम का फायदा उठाकर सेक्टर-4 व 8 के प्लॉट का ट्रांसफर परमिशन लिए जाने की कोशिश की जा रही थी। फर्जी व्यक्ति ने खाली प्लॉट के आगे फोटो भी ¨खचवाया। सेक्टर-8 के प्लॉट का ट्रांसफर परमिशन एस्टेट ऑफिस की ओर से जारी किया गया था, लेकिन फर्जीवाड़े की जानकारी मिलते ही उसे कैंसिल भी कर दिया गया। फर्जीवाड़े में एस्टेट ऑफिस के स्टाफ की मिलीभगत है और जांच कमेटी बनाकर 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। जिस भी कर्मचारी या अधिकारी की गलती पकड़ी जाएगी, उसे बख्शूंगा नहीं। सेक्टर-5 पुलिस स्टेशन में डीडीआर करवा दी है। फर्जी राज कमल बंटे की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।


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