पेरेंट्स फीस नहीं दे रहे, टीचरों को सैलरी देना अब मुश्किल
लॉकडाउन के कारण स्कूल प्रबंधन भी अपनी आर्थिक हालत खराब होने पर रोना रोने लगे हैं।
राजेश मलकानियां, पंचकूला
लॉकडाउन के कारण स्कूल प्रबंधन भी अपनी आर्थिक हालत खराब होने पर रोना रोने लगे हैं। स्कूल प्रबंधकों के मुताबिक स्कूलों में एक तरफ अभिभावक फीस जमा नहीं करवा रहे हैं, दूसरी तरफ टीचरों को देने के लिए उनके पास पैसा नहीं है। कुछ स्कूलों ने मार्च माह की सैलरी पुरानी एफडी तोड़कर दे दी थी, लेकिन अप्रैल की सैलरी देने के लिए उनके पास अब पैसा नहीं है। स्कूल प्रबंधकों द्वारा मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से गुहार लगाई गई है कि टीचर्स भी एक कोरोना वॉरियर ही हैं और यह देश के भविष्य को सुशिक्षित करने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। लॉकडाउन के बीच देश का भविष्य बढि़या बना रहे, इसलिए बच्चों को ऑनलाइन ही पढ़ाई करवा रहे हैं। सरकार का आदेश, अभिभावकों से न मांगी जाए फीस
यदि अभिभावक समय पर फीस देंगे, तभी टीचरों को वेतन मिलेगा और वह बच्चों को पढ़ा पाएंगे। अब सरकार ने एक-एक महीने की फीस देने के लिए कहा है, लेकिन साथ ही यह भी कह दिया है कि किसी भी अभिभावक को फीस देने के लिए बाध्य न किया जाए। ऐसे में लगभग 80 प्रतिशत अभिभावक खुद ही फीस जमा करवाने से रुक गए। ज्यादातर स्कूलों में केवल 10 प्रतिशत फीस जमा हो रही है। ऐसे में टीचरों को वेतन अप्रैल में नहीं मिल पाएगा।
स्कूलों के पास रिजर्व फंड नहीं
पंचकूला पब्लिक स्कूल एसोसिएशन की प्रधान मीरा एम सिंह, महासचिव बीबी गुप्ता, वित्त सचिव पियूष पुंज, उपप्रधान कृत सेराय, संदीप सरदाना, प्रेस सेक्रेटरी संजय थरेजा ने बताया कि जितनी फीस स्कूल लेते हैं, वह पूरी हर महीने खर्च हो जाती है। कोई ही ऐसा स्कूल होगा, जिसे मात्र पांच प्रतिशत प्रॉफिट होता होगा। स्कूलों के पास कोई रिजर्व फंड नहीं होता। पूरी फीस को स्कूल में खर्च करना अनिवार्य है। स्कूलों में ट्रांसपोर्ट सुविधा भले ही बंद हो, लेकिन स्कूलों का केवल डीजल का ही पैसा बच रहा है। जबकि ड्राइवर, अटेंडेंट, इंश्योरेंस, इएमआइ पहले की ही तरह जा रही है। वहीं जो बच्चों को पढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर लगवाए हैं, उसका हर सर्विस प्रोवाइडर पैसा ले रहा है। प्रबंधकों ने की यह मांग
स्कूल प्रबंधकों की मांग है कि सरकार द्वारा स्कूल प्रबंधकों को अभिभावकों से फीस मांगने की परमिशन दी जाए। बैंकों से स्कूलों के लिए लोन की सुविधा दी जाए, सरकारी स्कूलों की तरह हमें भी बैंक ट्रांसफर के तहत पैसा दिया जाए, ताकि स्कूल अपने खर्च निकाल सकें और जैसे फीस आ जाएंगी, हम वह पैसा वापस कर देंगे।