निजी स्कूलों की फीस मामले में अभिभावक पहुंचे हाई कोर्ट, कहा- हमारा पक्ष भी सुना जाए
निजी स्कूलों द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद अब अभिभावकों की संस्था सबका मंगल हो ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हेंं भी इस मामले में पक्ष बनाए जाने की मांग की है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा निजी स्कूलों की फीस वसूली के लिए समय-समय पर जारी किए गए आदेशों को निजी स्कूलों द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद अब अभिभावकों की संस्था सबका मंगल हो ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हेंं भी इस मामले में पक्ष बनाए जाने की मांग की है। कहा कि अभी तक इस पूरे मामले में अभिभावकों का पक्ष नहीं सुना गया है।
मामले में निजी स्कूलों ने पहले जो याचिका दायर की हुई है उसी याचिका में अभिभावकों की संस्था ने मंगलवार को इस मांग को लेकर यह अर्जी दायर की है, जिस पर हाई कोर्ट ने इस अर्जी पर 4 जून को सुनवाई करना तय कर दिया है। अभिभाकों का कहना है कि लॉकडाउन होने के कारण अभिभावकों की आय भी प्रभावित हुई है। बहुत सारे अभिभावक या तो बेरोजगार हो गए हैं या आय बहुत कम बची है। याचिका में बताया गया है कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर-लाभ के इरादे से स्थापित की गई हैं, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रुपये का रिजर्व फंड है। ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ी हुई व ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेना गरीब अभिभावकों के साथ नाइंसाफी है।
याचिका में हरियाणा सरकार के उन आदेशों का भी हवाला दिया गया है जिनके अनुसार प्रत्येक निजी स्कूल को हर साल ऑडिट बैलेंस सीट निदेशालय के समक्ष जमा कराने के आदेश दिए हुए हैं। इन आदेशों में निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि निर्धारित अवधि में ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराने पर बढ़ी हुई फीस की इजाजत लेने के मकसद से स्कूल द्वारा जमा करवाए गए फार्म को अधूरा माना जाएगा और बढ़ी हुई फीस अमान्य होगी, लेकिन अधिकांश निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग के समक्ष ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराई है। पहले इन निजी स्कूलों से बैलेंस शीट मांगी जाए।
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