पंचकूला नगर निगम की खस्ता हुई वित्तीय हालत, 249 कर्मचारियों को निकाला
वरिष्ठ सलाहकार की छुट्टी के बाद अब 249 कर्मचारियों पर गाज गिर गई है।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : नगर निगम से दो टेक्निकल और वरिष्ठ सलाहकार की छुट्टी के बाद अब 249 कर्मचारियों पर गाज गिर गई है। नगर निगम की प्रशासक सुमेधा कटारिया ने ठेकेदार के जरिये रखे गए इन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। एक ही झटके में नगर निगम से इतनी बड़ी छंटनी पहली बार हुई है। घाटे में चल रहे नगर निगम की आय बढ़ाने और बची हुई रकम को पक्के कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रखने के चलते यह फैसला लिया गया है। कर्मचारियों ने एकाएक छुट्टी करने के फैसले का विरोध करते हुए निगम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। कर्मियों का मांगा गया था डाटा
जानकारी के अनुसार नगर निगम की प्रशासक ने पिछले 15 दिन में सभी कर्मचारियों का डाटा मांगा था जिसमें सभी विग में कितने कर्मचारी रखे गए हैं और कितने अधिक हैं, इस बारे में जानकारी जुटाई गई। मिले आंकड़े में 249 ठेकेदार के जरिये रखे कर्मचारी अधिक पाए गए जिन्हें निकाल दिया गया। इन कर्मचारियों में 11 चौकीदार, 107 हेल्पर, आठ जेई, 30 माली, चार बंदर पकड़ने वाले, 12 पीयून, सात ड्राइवर, 30 सफाई कर्मचारी, एक जोनल टैक्ससेशन ऑफिसर, ट्रॉली हेल्पर शामिल हैं। इन कर्मचारियों को महीने में लगभग 40 से 45 लाख रुपये वेतन दिया जा रहा था। सरकार ने कहा है आय बढ़ाने को
दरअसल सरकार की ओर से नगर निगम को अपनी आय बढ़ाने और खर्चे खुद ही करने के लिए कहा गया है। 31 मार्च के बाद नगर निगम को सरकार की ओर से फंड मिलने बंद हो जाएंगे जिस कारण नगर निगम ने अपने खर्चो को कम करने की कवायद शुरू कर दी है। जिसमें पहले तकनीकी सलाहकार सुनील कुमार और स्वच्छ भारत मिशन के लिए रखे गए सीनियर कंसलटेंट डीके गुप्ता की छुट्टी की गई। इन दोनों कर्मचारियों को लगभग साढ़े तीन लाख रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा था। एक फरवरी से इन दोनों की सेवा समाप्त कर दी थी जिसके बाद विभागों विग में कार्यरत ठेकेदार के कर्मचारियों पर तलवार लटक गई थी। अब नगर निगम में पक्के और सीधे तौर पर रखे गए कर्मचारी कार्यरत हैं। सूत्रों के अनुसार निगम के पास जो आय होनी चाहिए, उसके मुताबिक पैसा नहीं आ रहा। हर महीने लगभग छह करोड़ रुपये का नगर निगम का खर्चा है जबकि आय आधी भी नहीं है। इसलिए नगर निगम प्रशासक कड़े फैसले लेने पर मजबूर हो गई हैं क्योंकि यदि नगर निगम में पक्के कर्मचारियों और सीधे रखे गए कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला तो काम ठप हो जाएगा। बायोमीट्रिक अटेंडेंस का विरोध
नगर निगम की प्रशासक द्वारा बायोमीट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है लेकिन कई कर्मचारी इसका विरोध कर रहे थे और सुबह अटेंडेंस लगाने के बाद शाम को जाने के समय अटेंडेंस नहीं लगाते थे जिस पर काफी होहल्ला मचा हुआ था। यह कर्मचारी अटेंडेंस लगाने के लिए तैयार नहीं थे। इसके अलावा मूवमेंट रजिस्टर में भी एंट्री नहीं करते थे। चार घंटे तक की नारेबाजी
अचानक नगर निगम द्वारा निकाले जाने पर सुबह ही निगम कार्यालय के बाहर सभी कर्मचारी इकट्ठा हो गए और नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। निगम के कार्यकारी अधिकारी जरनैल सिंह ने इन कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की लेकिन वह कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। वह दोबारा नौकरी पर रखे जाने की मांग पर अड़े रहे। लगभग चार घंटे कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की। नौकरी से निकाले जाने के चलते कुछ महिलाओं की आंखों में आंसू भी देखने को मिले। महिलाओं का कहना था कि उनके घर का खर्च उनकी तनख्वाह से चलता था लेकिन अचानक बेरोजगार कर दिया गया। एक ड्राइवर भाग सिंह ने कहा कि नगर निगम में रिटायर्ड कर्मचारी रखे हुए हैं। वह निगम से भी वेतन लेते हैं और पेंशन भी लेते हैं, ऐसे कर्मचारियों को निकालने के बजाय जो लोग दिन-रात शहर के लिए काम करते हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इस दौरान किसी तरह की तोड़फोड़ न हो, इसलिए होमगार्ड तैनात किए गए थे। नगर निगम की आय कम है और खर्चे ज्यादा। सरकार की ओर से निगम को अपने बजट और खर्चो के लिए खुद काम करने को कहा गया है। निगम में लगभग 249 कर्मचारी अलग-अलग विग में अधिक भर्ती हुए थे जिन्हें निकाला गया है। निगम की आय बढ़ाने पर विशेष फोकस किया जा रहा है।
-सुमेधा कटारिया, प्रशासक, नगर निगम