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गुरुग्राम में एंबिएंस मॉल बनाने की अनुमति देने की CBI जांच के आदेश, छह माह में पूरी करनी होगी जांच

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरुग्राम के एंबिएंस मॉल की CBI जांच के दिए आदेश दिए हैं। मामले की 6 माह में जांच पूरी करने के आदेश दिए गए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 11:41 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 11:45 AM (IST)
गुरुग्राम में एंबिएंस मॉल बनाने की अनुमति देने की CBI जांच के आदेश, छह माह में पूरी करनी होगी जांच
गुरुग्राम में एंबिएंस मॉल बनाने की अनुमति देने की CBI जांच के आदेश, छह माह में पूरी करनी होगी जांच

जेएनएन, चंडीगढ़। रिहायशी सोसाइटी के लिए मंजूर भूमि पर एंबिएंस मॉल बनाने की अनुमति देने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने जांच CBI को सौंपने के आदेश दिए हैं। आदेश के अनुसार CBI को जांच छह माह के भीतर पूरी करने और तीन माह के भीतर अंतरिम सीलबंद रिपोर्ट सौंपनी होगी।

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याचिका दाखिल करते हुए गुरुग्राम निवासी अमिताभ सेन व अन्य ने हाई कोर्ट को बताया कि जिस भूमि पर एंबिएंस मॉल बना है वह रेजिडेंशियल सोसायटी के लिए मंजूर की गई थी। यहां पर रिहायशी निर्माण करने की योजना थी, लेकिन अचानक इसे हरियाणा सरकार ने परिवर्तित करते हुए यहां पर कमर्शियल इमारत बनाने की मंजूरी दे दी।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि याचिका लंबित रहते निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और निर्मित की गई इमारत को गिराया जाए। पांच साल से लंबित इस याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्राइवेट बिल्डरों और स्टेट अथॉरिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण किया गया है और इस तरह के कार्य होने पर हाई कोर्ट आंखें मूंदे नहीं बैठा रह सकता है।

हाई कोर्ट ने कहा कि आम आदमी के अधिकारों का हनन करते हुए किसी बिल्डर को अमीर बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिस प्रकार मनमाने तरीके से रेजिडेंशियल सोसायटी पर कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण किया गया है उस से अनुमति देने की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आकर खड़ी हो गई है।

हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार रिहायशी सोसाइटी की जमीन को मॉल के लिए देना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है जिसकी जांच आवश्यक है। हाई कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का सारा रिकॉर्ड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जुडिशल के पास सौंपने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने जांच को CBI को सौंपते हुए यह छूट दी है कि CBI हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल से इस रिकॉर्ड को प्राप्त कर कर सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सीबीआई को 6 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करनी होगी। इसके साथ ही 3 माह में की गई जांच की सीलबंद रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करनी होगी।


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