अदालतों में सरकार की किरकिरी करा रहे हरियाणा के अफसर
हरियाणा सरकार की अदालतों में अफसरों की वजह से किरकिरी हो रही है। इसे अब सरकार ने गंभीरता से लिया है। ये अफसर अदालतों में ठीक से सरकार की ओर से पक्ष नहीं रख पाते हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के अफसरों की वजह से सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है। अदालतों में चल रहे हजारों केस सिर्फ इसलिए समय से सेटल नहीं हो पा रहे, क्योंकि अधिकारी पूरी जिम्मेदारी, जवाबदेही और तैयारी के साथ कोर्ट में नहीं आते। हरियाणा के इन अफसरों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से अदालत भी नाराज है। प्रदेश के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने सरकार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की नाराजगी से वाकिफ करा दिया है।
जूनियर अधिकारियों को कोर्ट केस की पैरवी के लिए भेज रहे विभागाध्यक्ष
मुख्य सचिव डीएस ढेसी की ओर से सभी विभागाध्यक्षों व जिला उपायुक्तों को जारी परिपत्र में कहा गया है कि भविष्य में कोर्ट केस की पैरवी के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह अफसर नियुक्त किए जाएं। बता दें कि इससे पहले भी सरकार की ओर से इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन अफसरों पर इनका कोई असर नहीं दिखता।
एडवोकेट जनरल की ओर से बताया गया है कि विभागाध्यक्ष, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मंडलायुक्त, जिला उपायुक्त तथा बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैन कोर्ट केस की पैरवी के लिए बेहद जूनियर अधिकारियों को भेज रहे हैैं। ये अफसर कोर्ट केस को गंभीरता से नहीं लेते और सिर्फ हाजिरी भरने की मंशा से अदालत में पहुंचते हैैं।
एडवोकेट जनरल की ओर से बताया गया है कि जूनियर अधिकारी एडवोकेट जनरल कार्यालय के लॉ आफिसर्स (कानून अधिकारियों) को भी केस के बारे में पूछे गए सवालों के वाजिब उत्तर नहीं दे पाते, क्योंकि उनके पास पूरी सूचना ही नहीं होती। ऐसे में राज्य के लॉ आफिसर्स को मजबूरी में अदालत से अगली तारीख लेनी पड़ती है। इस कारण अदालतों में काम का बोझ बढऩे के साथ ही सरकार पर चल रहे केसों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है।
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एडवोकेट जनरल ने आरएस ढुल बनाम डीएस ढेसी केस में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सख्त रुख और टिप्पणियों से भी सरकार को वाकिफ कराया है। उन्होंने कहा है कि अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि वे अवमानना याचिकाओं को भी नजर अंदाज कर रहे हैैं। इस रवैये से हाईकोर्ट सख्त नाराज है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्र्रह किया कि जिम्मेदार व जवाबदेह अफसरों को ही कोर्ट केस की पैरवी के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए।
हरियाणा सरकार ने यह जारी किए नए दिशा निर्देश
- अवमानना याचिका से संबंधित कार्यवाही में अभियोजन विभाग में सहायक जिला अटार्नी के पद से नीचे का अधिकारी अदालत में उपस्थित नहीं होगा।
- निदेशालय स्तर के विभाग में उप निदेशक के पद से नीचे का अधिकारी उच्च न्यायालय में पैरवी नहीं करेगा।
- विभागाध्यक्ष यह सुनिश्चित करेंगे कि स्टेट काउंसिल को केस की सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले ठीक से ब्योरा दिया जाए।
- अदालत द्वारा विशेष रूप से अवमानना याचिकाओं में दिए गए आदेश बिना किसी देरी के अनुपालन किए जाएं।
- प्रत्येक सूचना, समन, समयबद्ध दिशा निर्देश या न्यायालय के आदेश को विभागाध्यक्ष के नोटिस में तुरंत लाया जाना चाहिए।
- आदेश का अनुपालन नहीं करने की स्थिति में जुर्माने की राशि दोषी अधिकारी से वसूल की जाएगी।