फोर्टिस अस्पताल मामला: सरकार की सख्ती से बिगड़ा अफसरों का 'खेल'
फोर्टिस अस्पताल में बच्ची की मौत के मामले में अफसरों ने अस्पताल की लापरवाही हो छिपाने के लिए खूब खेल किए। लेकिन, अनिल विज के कड़े रुख के कारण उनका खेल फेल हो गया।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। डेंगू से बच्ची की मौत में फोर्टिस अस्पताल की लापरवाही और बिल वसूली में अनियमितताओं को छिपाने के लिए अंदरखाते खूब प्रयास हुए। सूत्रों के मुताबिक कुछ आला अफसर मामले को दबाने के लिए जी जान से जुटे थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के कड़े तेवरों के कारण ऐसा नहीं हो सका।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट मंगलवार को ही मंत्री को सौंपी जानी थी। शाम तक जब यह रिपोर्ट विज के सामने नहीं पहुंची तो उन्होंने प्रधान सचिव अमित झा को कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद बुधवार सुबह ही विज को यह रिपोर्ट सौंप दी गई। 50 पेज की रिपोर्ट में 112 पेज के दूसरे दस्तावेज भी साथ लगाए गए हैं।
अंदरखाते चल रही थी फोर्टिस अस्पताल की लापरवाही को छुपाने की कोशिश
रिपोर्ट को पूरी तरह से पढऩे के बाद ही विज ने इसे मीडिया के सामने सार्वजनिक किया। हालांकि इससे पहले दिनभर रिपोर्ट को बदलने की खबरें सचिवालय के गलियारों में घूमती रहीं, लेकिन इसे सार्वजनिक करते समय विज के चेहरे के हाव-भाव से साफ नजर आया कि बेशक रिपोर्ट एक दिन देरी से आई, लेकिन सही रिपोर्ट मिली। जब विज से रिपोर्ट को बदलने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कि उनके मंत्रालय में ऐसा असंभव है।
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कंसेंट फार्म में फर्जी हस्ताक्षर
फोर्टिस अस्पताल ने आद्या के पिता जयंत सिंह से जो कंसेंट फार्म भरवाए, उसमें भी नकली साइन किए गए हैं। जयंत ने जांच कमेटी को बताया कि एक फार्म पर जरूर उनके हस्ताक्षर हैं लेकिन बाकी के साइन फर्जी हैं। विज ने कहा कि यह भी सीधे तौर पर 420 का मामला बनता है। अस्पताल प्रबंधन ने कई दवाओं में तो 1737 फीसद तक अधिक रेट लगाए। 17 हजार के 142 रुपये के 2700 ग्लब्स के बदले 2.73 लाख और ब्लड टेस्ट के बिल में 2.17 लाख रुपये वसूले गए।
सभी निजी अस्पतालों की जांच
आद्या की मौत प्रकरण के बाद सरकार ने दूसरे बड़े निजी अस्पतालों पर शिकंजा कस दिया है। स्वास्थ्य मंत्री विज ने बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) से सस्ती जमीन लेने वाले निजी अस्पतालों को 20 फीसद आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) परिवारों का मुफ्त उपचार करना होता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से हुडा को पत्र लिख जांच कराने का अनुरोध किया जाएगा कि कितने अस्पतालों में नियमों का पालन किया जा रहा है। एमओयू की शर्तें पूरी नहीं करने वाले अस्पतालों की लीज रद की जाए।
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