आफिसर आन ड्यूटी: हां जी की नौकरी, ना जी का घर, जानें क्या है मामला, पढ़ें हरियाणा की रोचक खबरें
कई ऐसी रोचक खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियों में नहीं आ पाती। हरियाणा की राजनीति व ब्यूरोक्रेसी से जुड़ी कुछ ऐसी ही खबरें जो खबरों में नहीं आती पढ़ते हैं राज्य के साप्ताहिक कालम आफिसर्स आन ड्यूटी में...
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। हां जी की नौकरी और ना जी का घर। निजी क्षेत्र में करियर बनानेे के लिए भले ही यह फंडा कारगर है, लेकिन अधिकतर सरकारी कर्मचारियों का मूलमंत्र ठीक इसके विपरीत है। उच्च स्तर पर सुधार के लिए कोई कवायद शुरू हुई नहीं कि विरोध पहले ही शुरू हो जाता है। ऐसा ही कुछ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) में हो रहा है जहां के कर्मचारियों को डेपुटेशन पर स्थानीय निकाय में भेजने की तैयारी है। पालिसी में संशोधन की फाइल अभी मुख्यमंत्री की टेबल पर है, लेकिन कर्मचारी यूनियन ने पहले ही अदालत का दरवाजा खटखटा दिया। सरकार का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कर्मचारी यूनियन को लताड़ लगाई कि याचिका अभी प्रीमेच्योर है, इसलिए कोई आदेश जारी नहीं कर सकते। साथ ही कहा कि नौकरी करनी है तो पालिसी के अनुसार ही काम करना होगा। आखिर सरकार के भी कुछ नियम-कायदे हैं जिनका पालन जरूरी है।
दिल के भी राजा राव इंद्रजीत
अहीरवाल का राजा कौन। दक्षिण हरियाणा में यह सवाल किसी से पूछा जाए तो तपाक से जवाब मिलेगा राव इंद्रजीत सिंह। मोदी सरकार में लगातार दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री बने राव को यह तमगा यूं ही नहीं मिला है। आम हो या खास, हर किसी का वह पूरा ख्याल रखते हैं। हाल ही में राव इंद्रजीत द्वारा अपने ट्विटर हैंडल पर चस्पा किया गया फोटो खूब चर्चाओं में है जिसमें वह अपने सुरक्षा गार्ड के साथ नजर आ रहे हैं। मातहत की पदोन्नति की खुशी साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया - सन् 2013 से मेरी सुरक्षा में तैनात जंगबहादुर जी की पदोन्नति पर उनके कंधे पर स्टार लगाया। इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई। यह प्रमोशन आपकी मेहनत का प्रतिफल है- इससे गदगद स्टाफ के दूसरे लोग कहते हैं कि हमारे नेता जी सबके साथ पूरे स्टाफ का भी ध्यान रखते हैं। वास्तव में वह दिल के राजा हैं।
रेडक्रास सोसायटी में फुटबाल
जब हाथियों की लड़ाई होती है तो अकसर छोटे-मोटे जीवों की शामत आ जाती है। ऐसा ही कुछ आजकल हरियाणा रेडक्रास सोसायटी में हो रहा है। राजभवन और सीएमओ में उच्च पदों पर बैठे कुछ लोगों के अहम की लड़ाई में सोसायटी के महासचिव का पद फुटबाल बना है। सोसायटी के अध्यक्ष ने अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए महासचिव को रिटायरमेंट के बावजूद सेवा विस्तार दे दिया तो दूसरा खेमा नियमों की दुहाई देते हुए हाई कोर्ट पहुंच गया। एकल पीठ द्वारा फैसला पक्ष में आने के बाद विरोधी खेमे ने मूंछों पर खूब ताव चढ़ाई, लेकिन बाद में डबल बेंच ने प्रतिकूल फैसला देकर सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। सेवा विस्तार पर रोक हटने के बाद महासचिव आराम से ड्यूटी बजा रहे हैं, जबकि कुर्सी पर निगाह जमाए बैठे विपक्षी खेमे के सब्र का पैमाना छलकने लगा है। दूसरे कर्मचारी इस लड़ाई का खूब मजा ले रहे।
जीएम बनने का लड्डू
परिवहन महकमे में सर्जिकल स्ट्राइक से छोटे कर्मचारी खुश हैं। अब वह भी रोडवेज महाप्रबंधक बनने के सपने ले रहे। ट्रैफिक मैनेजरों के साथ ही जब से स्टोर परचेज आफिसर और वक्र्स मैनेजर के स्तर के लोगों को रोडवेज महाप्रबंधक का जिम्मा सौंपा गया है, कई लोगों के मन में लड्डू फूट रहा है। पहली सर्जिकल स्ट्राइक में शिकार बने करीब आधा दर्जन रोडवेज महाप्रबंधक अब मुख्यालय में छटपटा रहे हैं तो बाल-बाल बचे कई ढीले जीएम अब भी सरकार के निशाने पर हैं। सर्वाधिक मलाईदार पदों में शुमार क्षेत्रीय परिवहन सचिवों (आरटीए) की नियुक्ति में आइएएस-एचसीएस अफसरों का एकाधिकार तोड़ते हुए दूसरे अफसरों को तैनात करने के बाद अब बारी रोडवेज की है। बिजली निगमों को घाटे से निकालकर मुनाफे में लाने वाले आइपीएस शत्रुजीत कपूर ने जब से प्रधान सचिव के रूप में परिवहन महकमे की कमान संभाली है, सुस्त और भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों का सफाई अभियान जारी है।