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Haryana Transport Policy: हरियाणा में अब छोटे रूटों पर नहीं होगी बसों की कमी, जाने क्या है परिवहन विभाग की योजना

Haryana Transport Policy कोरोना काल में नई बसों की खरीद बाधित होने से संकट से गुजर रहे परिवहन महकमे ने पालिसी में बदलाव किया है। पहले आठ साल या सात लाख किलोमीटर की दूरी नापने वाली बसों को कंडम घोषित कर दिया जाता था। अब फिटनेस पैमाना होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 02:18 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 02:19 PM (IST)
Haryana Transport Policy: हरियाणा में अब छोटे रूटों पर नहीं होगी बसों की कमी, जाने क्या है परिवहन विभाग की योजना
हरियाणा ने किया ट्रांसपोर्ट पालिसी में बदलाव। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Transport Policy: कोरोना काल में नई बसों की खरीद बाधित होने से संकट से गुजर रहे हरियाणा के परिवहन महकमे ने अब पुरानी बसों को ज्यादा समय तक चलाने की योजना बनाई है। पहले जहां आठ साल पुरानी या सात लाख किलोमीटर की दूरी नापने वाली बसों को कंडम घोषित किया जा रहा था, वहीं अब यह बसें फिटनेस आधार पर 15 साल तक सड़कों पर दौड़ सकेंगी। इन पुरानी बसों को विशेषकर छोटे रूटों पर लगाया जाएगा जिससे यात्रियों को राहत मिलेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने मोटर वाहन एक्ट 1993 के नियम 67ए में संशोधन किया है।

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परिवहन विभाग की प्रधान सचिव और आइपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन की ओर से परिवहन निदेशक को नई पालिसी के मुताबिक एक्शन लेने के निर्देश दिए गए हैं। रोडवेज के बेड़े में फिलहाल 3800 सरकारी बसें और 470 किलोमीटर स्कीम वाली बसें हैं। रोडवेज बसों में से करीब एक तिहाई बसें आठ साल से अधिक का समय पूरा कर चुकी हैं। इन बसों की फिटनेस की जांच कराई जाएगी और खामियों को दुरुस्त करते हुए इन्हें 15 साल तक सड़कों पर चलने की मंजूरी दी जाएगी। चूंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दस साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध है, ऐसे में सरकार कोई बीच का रास्ता तलाश रही है, ताकि पुरानी रोडवेज बसों के संचालन में कोई दिक्कत न आए।

हरियाणा के कुल 22 जिलों में से 14 एनसीआर में आते हैं। वहीं, रोडवेज में जल्द ही 809 नई बसें शामिल होंगी। इनमें से 400 बसें लगभग तैयार हैं जो अगले महीने तक सड़कों पर दौड़ने लगेंगी। इसके बाद अगले छह महीने में 400 और बसें रोडवेज बेड़े में शामिल कर दी जाएंगी। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बताया कि सभी बसें अशोका लीलैंड की होंगी। इन बसों में फरीदाबाद में 45, हिसार व पलवल में 40-40, गुरुग्राम, रोहतक, रेवाड़ी, भिवानी, सिरसा में 30, झज्जर, नारनौल और चरखी दादरी में 30-30, फतेहाबाद में 20 और नूंह में 15 बसें भेजी जाएंगी।

15 साल तक बसों को कैसे रखेंगे फिट : किरमारा

हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रधान दलबीर किरमारा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में शामिल रोडवेज बेड़े में शामिल बसों का इंजन बढ़िया है। अगर इनका ठीक से रखरखाव होता रहे तो इनका कुछ नहीं बिगड़ता। इसके बावजूद बसों को 15 साल तक फिट रखना काफी मुश्किल है। वर्कशाप में पर्याप्त तकनीकी कर्मचारी नहीं हैं, जिससे बसों की नियमित मरम्मत तक नहीं हो पाती।

ग्रामीण रूटों पर दौड़ेंगी मैक्सी कैब

ग्रामीण रूटों पर अवैध रूप से सवारियां बैठाकर दौड़ रहे वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए फिर से मैक्सी कैब को परमिट देने की तैयारी है। परिवहन विभाग ने क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों से ऐसे रूटों की जानकारी मांगी है जहां पर रोडवेज बसों की सुविधा नहीं है और सहकारी परिवहन समितियों की बसें भी इक्का-दुक्का चलती हैं। इन मार्गों पर मैक्सी कैब वाहन चलाने की मंजूरी दी जाएगी, ताकि यात्रियों को आने-जाने में परेशानी का सामना ना करना पड़े। मैक्सी कैब संचालक अपनी मनमर्जी से किराया वसूलने के बजाय निर्धारित किराया ही ले सकेंगे। फिलहाल इन रूटों पर बेलगाम दौड़ रहे अवैध वाहनों में न केवल मनमाफिक किराया वसूला जा रहा है, बल्कि निर्धारित क्षमता से अधिक यात्री बैठाने से हादसे का खतरा भी मंडराता रहता है।


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