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Exclusive: अनिल विज बोले- अब जनता बेखौफ रहे, पुलिस में मेरा खौफ, जल्द मिलेगा न्याय

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि जनता अब बेखौफ रहे क्‍योंकि पुलिस में उनका खौफ है। लोगों को उनकी शिकायतों पर जल्‍द न्‍याय मिलेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 05:12 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 05:12 PM (IST)
Exclusive: अनिल विज बोले- अब जनता बेखौफ रहे, पुलिस में मेरा खौफ, जल्द मिलेगा न्याय
Exclusive: अनिल विज बोले- अब जनता बेखौफ रहे, पुलिस में मेरा खौफ, जल्द मिलेगा न्याय

चंडीगढ़। हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में आजकल गृह, स्वास्थ्य और शहरी निकाय मंत्री अनिल विज सबसे अधिक चर्चा हैं। अंबाला छावनी से छठी बार विधायक चुनने गए विज की हरियाणा सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में गिनती होती है। उनकी काबिलियत और वरिष्ठता को देखते हुए ही भाजपा ने विज को गृह मंत्रालय सौंपा है। गृह मंत्री बनने के साथ ही विज ने अपना एजेंडा सेट कर लिया था। वह पुलिस को चाक-चौबंद करने में जुटे हुए हैं और अपने खास अंदाज में थानों पर छापे मार रहे हैं। विज का कहना है कि जनता अब बेखौफ रहे, क्‍याेंकि पुलिस में उनका (विज का) खौफ है। सभी को जल्‍द न्‍याय मिलेगा।

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हरियाणा के गृह, शहरी निकाय और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से दैनिक जागरण की बातचीत

विज का कहना है कि न्याय के लिए बरसों से भटक रहे आम लोगों की सुनवाई और पुलिस की धींगामुश्ती को खत्म करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है। विज विधानसभा में भी जब बोलते हैं तो विपक्ष के पास उनकी दलीलों का कोई जवाब नहीं होता। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ अनुराग अग्रवाल ने अनिल विज का विभिन्न मुद्दों पर Exclusive interview लिया। पेश है इसके प्रमुख अंश-

0 हरियाणा के आम जनमानस में पुलिस के प्रति खासा खौफ है। थानों में उनकी सुनवाई नहीं होती। पुलिस पर किसी का कोई कंट्रोल नहीं रह गया?

- यह बात सही है कि पुलिस अभी तक बेखौफ थी, लेकिन जब से मैंने गृह मंत्रालय संभाला है, लोगों को न्याय मिलने लगा है। पहले गृह मंत्रालय सीएम के पास था। सीएम की बहुत सी अन्य व्यस्तताएं होती हैं, जिस कारण उन्हें पुलिस की कार्यप्रणाली की निचले स्तर पर जानकारी नहीं मिल पाती थी। अब मेरे पास आने वाली प्रत्येक शिकायत की सुनवाई मैं खुद करता हूं और उस पर की गई कार्रवाई से रिपोर्ट लेता हूं।

0 हरियाणा के थानों में ऐसे कई केस लंबित हैैं, जिनकी कई-कई बरस पहले एफआइआर दर्ज हो गई, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई?

- मैैंने पुलिस विभाग के मुखिया से राज्य के थानों में लंबित केस, उस पर की गई कार्रवाई और कार्रवाई नहीं होने की वजह संबंधी पूरी रिपोर्ट तलब की है। छह माह, एक साल और दो साल पुराने केस की अलग-अलग रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैैं। एक सप्ताह में यह रिपोर्ट आनी हैैं। समीक्षा के बाद कार्रवाई में तेजी आएगी।

0 आम लोगों में पुलिस के प्रति इतना डर है कि वह अपनी समस्या लेकर थानों तक में नहीं जा पाते। उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं होती?

- मैैंने लोगों से मुलाकात करने का सिलसिला शुरू कर रखा है। शनिवार और रविवार को अपने अंबाला छावनी निवास पर लोगों से मुलाकात करता हूं। उनकी समस्याएं सुनता हूं। मंगलवार और बुधवार को चंडीगढ़ सचिवालय में शाम तीन बजे के बाद लोगों की सुनवाई करता हूं। अंबाला छावनी में सुबह के समय साढ़े आठ से दस बजे तक चाय पीता हूं, लेकिन वहां लोगों के काम नहीं करता, क्योंकि उस समय सिस्टम साथ नहीं होता। किसी काम को पेंडिंग रखना मेरी आदत नहीं है। अब लोगों को न्याय की चिंता नहीं करनी चाहिए। मेरे पास हर रोज 500 से 600 शिकायतें आ रही हैैं। मैैं चैक कर रहा हूं कि न्याय में देरी की वजह क्या है।

0 पुलिस की अक्सर दलील होती है कि उसके पास अपेक्षित स्टाफ नहीं है। कानून व्यवस्था को कंट्रोल करने में दिक्कत आती है?

- पुलिस विभाग की बैठक में यह बात आई कि आबादी बढऩे के लिहाज से पद नहीं बढ़े। सीआइडी, साइबर क्राइम और पेट्रोलिंग का काम बढ़ गया है। अब हम हर थाने में दो पीसीआर दे रहे हैैं। जिप्सी की जगह स्कारपियो ला रहे हैैं। फिलहाल करीब छह हजार पुलिस कर्मियों की जरूरत है। हमारे ट्रेनिंग सेंटर में पांच हजार कर्मचारियों की भर्ती एक साथ हो सकती है। लिहाजा भर्ती की प्रक्रिया धीरे-धीरे शुरू की जा रही है।

0 सीआइडी (गुप्तचर विभाग) की रिपोर्टिंग को लेकर बड़ा संशय है। सीआइडी की रिपोर्टिंग गृह मंत्री के नाते आपको है या फिर सीधे सीएम को है?

- सीएम किसी भी प्रदेश का मुखिया होता है। वह किसी भी तरह की जानकारी कहीं से भी और कभी भी मांग सकता है। उन्हें जानकारी होनी भी चाहिए, लेकिन तकनीकी तौर पर सीआइडी गृह मंत्रालय का पार्ट है। चाहे राजनीतिक रिपोर्टिंग हो या फिर सामान्य, सीआइडी मेरे विभाग के अधीन है और मुझे ही सारी रिपोर्ट करती है। गृह मंत्रालय के संविधान में सीआइडी चौथे नंबर पर है।

0 पंजाब के साथ लगते जिलों में नशे का नेटवर्क बढ़ रहा है। इसे तोडऩे को कई अंतरराज्यीय बैठकें भी हो चुकी हैैं?

- हमारी सरकार नशे का कारोबार और इसे अंजाम देने वाले लोगों को टारगेट पर लिया है। डीजीपी कार्यालय में सीनियर अधिकारी को मॉनीटरिंग के लिए लगाया गया है। अंतरराज्यीय बैठकें भी जरूरत के हिसाब से की जाती रहेंगी। सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैैं कि उनके इलाके में नशे का कारोबार नहीं होना चाहिए।

0 हरियाणा में विपक्ष कानून व्यवस्था की स्थिति काबू में नहीं आने के आरोप लगाता है। कुख्यात बदमाशों की गतिविधियां बढ़ रही हैैं?

- पति-पत्‍नी के झगड़े, लड़ाई, मारपीट...इसको अगर छोड़ दिया जाए तो राज्य में मुझे आर्गेनाइज (संगिठत) अपराध होने की भी जानकारी मिली है। मैैंने सभी गैैंगेस्टर और गिरोह की जानकारी मांगी है। उन्हें सूचीबद्ध किया जा रहा है। डीजीपी को ऐसे कुख्यात बदमाशों को प्रदेश से बाहर करने के लिए यथासंभव कार्रवाई करने को कहा है।

0 हरियाणा के पुलिस थानों व नगर निगम और परिषद कार्यालयों में आपकी छापेमारी के क्या रिजल्ट आए?

- पुलिस थानों में मेरा औचक निरीक्षण जारी रहेगा। सभी शहरी निकायों में मैैंने बायोमीट्रिक हाजिरी के आदेश जारी कर दिए हैैं। मूवमेंट रजिस्टर बनाने के निर्देश दिए, ताकि कोई काम के समय अपने परिवार के साथ न रहे। कच्चे कर्मचारियों की हाजिरी आधार लिंक कर दी है। छापेमारी के बाद सिस्टम में सुधार की रिपोर्ट है।

0 मुख्यमंत्री मनोहर लाल का हाल ही में बयान आया कि शहरी निकायों को वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी?

- सीएम का यह बयान सही है। मैैंने शहरी निकायों से रिपोर्ट मांगी है कि पिछले पांच साल में उन्हें कितना अनुदान मिला, कितना खर्च किया, कितनी राशि लोगों पर बकाया है। 15 दिन में रिपोर्ट आएगी। उसके बाद तय होगा कि किस निकाय को किस मद में कितनी राशि देनी है और राजस्व बढ़ोतरी के लिए क्या प्लान बनाना है।

0 हरियाणा के गरीब लोगों को सिर्फ इसलिए मकान नहीं मिल रहे, क्योंकि शहरी निकाय विभाग उनकी सब्सिडी जारी नहीं कर रहा?

- मैं इस बारे में शहरी निकाय विभाग के अधिकारियों से जानकारी हासिल करूंगा। यदि विभाग के स्तर पर कोई सब्सिडी जारी होनी है तो उसे रिलीज कराया जाएगा।

0 स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए आपने पिछले कार्यकाल में हर जिले में मेडिकल कालेज बनाने की घोषणा की थी?

- मेडिकल कालेज की स्थापना की एक प्रक्रिया है। इसमें संसाधनों की जरूरत होती है। धीरे-धीरे प्रक्रिया चल रही है। चार मेडिकल कालेज भिवानी, नारनौल, जींद और गुरुग्राम की प्रक्रिया तेजी के साथ आगे बढ़ रही है।

0 आखिरी सवाल, हरियाणा के अस्पताल आजकल डाक्टरों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। मौजूदा डाक्टरों पर काम का बोझ है?

- मैैंने स्वास्थ्य विभाग में समीक्षा की है। स्वीकृत पदों के हिसाब से फिलहाल करीब साढ़े सात सौ चिकित्सकों की जरूरत है। इन पदों को भरने की प्रक्रिया बड़ी तेज के साथ शुरू की जा चुकी है। अब राज्य में डाक्टरों की कमी नहीं रहेगी।

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बातचीत की खास बातें-

- सीआइडी गृह मंत्रालय का पार्ट, उसकी रिपोर्टिंग सिर्फ मुझे, सीएम को भी जानकारी लेने का अधिकार।

- थानों में छह से दो साल पुरानी दर्ज एफआइआर का ब्योरा तलब, नपेंगे कार्रवाई नहीं करने वाले अफसर।

- शहरी निकायों में पांच साल तक मिली वित्तीय अनुदान राशि की रिपोर्ट मांगी, पता करेंगे रिकवरी क्यों नहीं।

- मेरे पास आ रही हर रोज 500 से 600 शिकायतें, सभी का करूंगा समाधान।

- नशे का नेटवर्क तोडऩे को डीजीपी कार्यालय से की जा रही मानीटरिंग।  

- छह हजार पुलिस कर्मियों की जरूरत, पहले चरण में पांच हजार की भर्ती।

- अस्पतालों में होगी 750 डाक्टरों की भर्ती।

- जींद, नारनौल, गुरुग्र्राम और भिवानी में मेडिकल कालेज बनाने की प्रक्रिया तेज।

-  शहरी निकायों में बायोमीट्रिक हाजिरी और मूवमेंट रजिस्टर अनिवार्य।

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