हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसद आरक्षण पर इंतजार बढ़ा, अब राष्ट्रपति करेंगे फैसला
निजी क्षेत्र में हरियाणा के लोगों को 75 फीसदी आरक्षण के लिए अभी इंतजार करना होगा। हरियाणा सरकार के इस संबंध में अध्यादेश को राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए अध्यादेश पर राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने मुहर नहीं लगाया है। उन्होंने इसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को विचार के लिए भेज दिया है। वहीं, प्रदेश सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में अब विधेयक लाने की तैयारी में जुटी है ताकि चुनावी वादे को पूरा किया जा सके।
राज्यपाल ने विधेयक पर मुहर लगाने की बजाय राष्ट्रपति से किया विचार का अनुरोध
मनोहरलाल कैबिनेट ने पिछले दिनों निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण संबंधी विधेयक पारित कर इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा था। कई दिनों तक राज्यपाल के पास यह विधेयक लंबित रहा। पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस विधेयक को मंजूरी के लिए राज्यपाल से मिले भी थे।
नौकरियों में दूसरे राज्यों के युवाओं की हिस्सेदारी का कम होना बन रहा अध्यादेश पारित होने में रोड़ा
राजभवन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने विधेयक को फिलहाल मंजूर न करते हुए राष्ट्रपति की राय के लिए भेज दिया है। 26 अगस्त से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। ऐसे में अब सरकार को इस सत्र में विधेयक लाने कर तैयारी कर रही है।
इस विधेयक के पारित होने से दूसरे राज्य के युवाओं के लिए हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के अवसर कम होंगे। साइबर सिटी गुरुग्राम, फरीदाबाद, बहादुरगढ़ (झज्जर), सोनीपत व पानीपत सहित कई जिलों की इंडस्ट्री में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान सहित दूसरे कई राज्यों के युवा नौकरी करते हैं। इस बात को अध्यादेश की मंजूरी में बड़ा रोड़ा माना गया है।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने अपने चुनावी घोषणापत्र में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण देने का वादा किया था। वहीं, भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में 90 फीसद तक आरक्षण स्थानीय युवाओं को देने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन देने का ऐलान किया था। यानी दोनों ही पार्टियां इसके पक्ष में थीं। इसी के चलते लंबी जिद्दोजहद और कई दौर की बैठकों के बाद अध्यादेश को तैयार किया गया।
एलआर की आपत्तियों को दूर कर चुकी सरकार
एलआर (कानूनी सलाहकार) के अलावा एडवोकेट जनरल द्वारा लगाई गई आपत्तियों को भी श्रम एवं रोजगार विभाग ने दूर कर दिया था। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला के लिए यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा है। प्रदेश के युवाओं को किए इस वादे को पूरा करने के लिए वे काफी गंभीर हैं। बहरहाल राज्यपाल ने केस को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। वहां से सलाह मिलने के बाद ही सरकार आगे बढ़ेगी।
विधानसभा मेें बिल पारित होकर भी जाएगा राष्ट्रपति के पास
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि विधानसभा के मानसून सत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण का बिल पेश किया जा सकता है। विधेयक को कैबिनेट पहले ही मंजूरी दे चुकी है। अगर सरकार मानसून सत्र में बिल को पास कर भी लेती है तो यह भी राज्यपाल के पास जाएगा। राज्यपाल इसे भी राष्ट्रपति के पास भेजेंगे।
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