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न तंवर को हटाया, न भूपेंद्र सिंह को कमान, अब मंथन के दौर में हुड्डा खेमा

राहुल गांधी द्वारा हरियाणा कांग्रेस में छिड़े विवाद को सुलझाने के मामले में हाथ खड़े किए जाने के बाद अब प्रदेश में फिर से कांग्रेस का घमासान गहराने की संभावना बन गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 08:27 AM (IST)
न तंवर को हटाया, न भूपेंद्र सिंह को कमान, अब मंथन के दौर में हुड्डा खेमा
न तंवर को हटाया, न भूपेंद्र सिंह को कमान, अब मंथन के दौर में हुड्डा खेमा

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा हरियाणा कांग्रेस में छिड़े विवाद को सुलझाने के मामले में हाथ खड़े किए जाने के बाद अब प्रदेश में फिर से कांग्रेस का घमासान गहराने की संभावना बन गई है। पिछले पांच साल से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के बीच चल रही आपसी खींचतान के बीच पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी नेताओं की संयुक्त बैठक बुलाई थी, लेकिन अटकलों के अनुरूप इस बैठक में कांग्रेस की खींचतान का कोई समाधान नहीं निकला। हाईकमान ने न तो प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाया और न ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान सौंपी।

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वर्ष 2014 में कांग्रेस पार्टी ने जब अशोक तंवर को पार्टी की कमान सौंपी तभी से ही हुड्डा गुट ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अध्यक्ष मानने से इन्कार कर दिया। तंवर के नेतृत्व में हुए सभी चुनाव कांग्रेस पार्टी हार चुकी है। दोनों गुटों में कई बार मारपीट व गाली-गलौज की नौबत आ चुकी है।

इसके अलावा हरियाणा में राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा, कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी, कैप्टन अजय सिंह यादव भी अलग-अलग गुटों का संचालन कर रहे हैं। हरियाणा के नेताओं की गुटबाजी कांग्रेस हाईकमान के लिए मुसीबत बनी हुई है। इसके बावजूद पार्टी की गुटबाजी खत्म नहींं हो पा रही।

कांग्रेस हाईकमान द्वारा हाल ही में नियुक्त किए गए प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी उक्त नेताओं को एकजुट नहीं कर पाए। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाईकमान द्वारा चलाई गई बस में सभी कांग्रेसी नेता सवार तो एक साथ हुए, लेकिन अलग-अलग उतरे। जिसके चलते गुलाम नबी आजाद ने सभी नेताओं की गुटबाजी को खत्म करते हुए उन्हें हरियाणा को जोन में बांटकर कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में ऐसे किसी भी मुद्दे पर फैसला नहीं हो सका। जिसके चलते अब हरियाणा के कांग्रेसियों में फिर से लाइन खींच गई है। इस बैठक में अशोक तंवर की कुर्सी सुरक्षित रहने के संकेत मिल गए हैं। जिसके बाद तंवर तो अपने कार्यों में जुट गए हैं। वहीं हुड्डा गुट फिर से मंथन के दौर में चला गया है।

कांग्रेसी विधायक पहले ही हुड्डा पर कड़ा फैसला लेने के लिए दबाव बनाए हुए हैं। ऐसे में हाईकमान की बेरूखी ने कांग्रेस में कलह को बढ़ावा दे दिया है। हुड्डा गुट के एक विधायक के अनुसार बहुत जल्द सभी विधायकों की बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में कोई ठोस फैसला लेकर ही आगे बढ़ा जाएगा।

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