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अब सरकार की बैंकों के लॉकर्स में जमा आपके धन और गहनों पर है नजर

सरकार की नजर आपके बैंक लॉकर्स में रखे धन और जेवरात पर है। वह चाहती है कि इसमें रखे धन के बारे में पूरी जानकारी उसके पास हो, लेकिन वह एेसा आपके धन की सुरक्षा के लिए करना चाहती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 02:30 PM (IST)Updated: Sun, 12 Aug 2018 09:04 PM (IST)
अब सरकार की बैंकों के लॉकर्स में जमा आपके धन और गहनों पर है नजर
अब सरकार की बैंकों के लॉकर्स में जमा आपके धन और गहनों पर है नजर

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा सरकार की नजर अब बैंकों के लॉकर्स में रखी नकदी और जेवरात पर है। सरकार चाहती है कि राज्‍य में बैंकों के लॉकर्स में रखी नकदी और आभूषणों के बारे में उसके पास भी जानकारी हो। मनाेहरलाल सरकार ने इसके लिए नीति बनाने के लिए केंद्रीय वित्‍तमंत्री को पत्र लिखा है। सरकार यह कदम बैंकों में रखे धन की सुरक्षा के लिए उठाना चाहती है। हरियाणा में पिछले कुछ साल में एक के बाद एक बैंकों में डकैती की कई घटनाएं हुई हैं। इस दौरान लुटेरों ने लाकर्स को खास निशाना बनाया।

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सीएम मनोहर लाल ने लॉकर्स में रखे धन के खुलासे के लिए नीति बनाने को केंद्रीय वित्तमंत्री को लिखा पत्र

दरअसल, प्रदेश सरकार की चिंता बैंक लॉकर्स में रखे सामान को सुरक्षित बनाए रखने की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि लॉकर्स में रखी बहुमूल्य वस्तुओं का खुलासे के लिए नीति बनाई जाए। केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखे पत्र में सीएम ने उनका ध्यान लॉकर्स में जमा मूल्यवान वस्तुओं के नुकसान का उत्तरदायित्व तय करने की तरफ दिलाया है।

मनाेहर सरकार चाहती है बैंक डकैती की हालत में लाकर्स लेने वालों को मिले हर्जाना

भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक लॉकर में रखे सामान के खोने या चोरी हो जाने के मामले में बैंक कोई हर्जाना नहीं देता। इसके पीछे तर्क है कि बैंक को इसकी जानकारी नहीं होती कि किस व्यक्ति ने लॉकर में क्या रखा है? ऐसे में हर्जाना किस आधार पर दिया जाए?

 लॉकर में रखे सामान के खोने, चोरी होने या लूट लिए जाने के मामले में बैंक कोई हर्जाना नहीं देते

हरियाणा में  विभिन्‍न बैंकों की 4827 शाखाएं हैं। इनमें से करीब तीन हजार बैंक शाखाओं में लॉकर की सुविधा है। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि बहुमूल्य वस्तुओं का खुलासा होने से लॉकर्स को किराये पर लेने वाले लोगों के लिए बैैंक आसानी से सामूहिक बीमा पॉलिसी खरीद सकते हैं। यदि किसी कारणवश इसे अव्यावहारिक माना जाता है तो ग्राहकों को लॉकर्स में रखे सामान का खुलासा करने का विकल्प दिया जा सकता है।

बता दें कि अक्टूबर 2014 में लुटेरों ने सोनीपत के गोहाना स्थित पंजाब नेशनल बैैंक के पड़ोस के खाली मकान से बैंक तक 100 फीट लंबी सुरंग खोदकर वारदात को अंजाम दिया था। इस दौरान बैंक के स्ट्रांगरूम में बने 360 लॉकर्स में से 86 तोड़े गए और उनमें रखा करोड़ों रुपये और जेवरात लेकर लुटेरे फरार हो गए।

काले धन पर लगेगी रोक, बैैंक व ग्राहक का झगड़ा होगा खत्म

मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि अगर बैंक लॉकर्स का बीमा नहीं कराते हैैं तब भी ऐसी घटना होने पर बैंक और सरकार को दावों का त्वरित निपटान करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इस तरह के नुकसान का आकलन करने के लिए अभी तक कोई मानदंड नहीं बनाए हैं। इसके अतिरिक्त यह काले धन को रोकने और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के अभियान के अनुरूप भी होगा।

लॉकर्स में रखे सामान का पता होगा तो बढ़ेगी बैैंकों की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया है कि लॉकर्स में जमा धन अथवा वस्तुओं के खुलासे के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर अधिक भरोसा है। इसलिए वे अपना कीमती सामान लॉकर्स में रखते हैैं। फिर भी प्राकृतिक आपदा या आपराधिक कृत्य के कारण कीमती सामान के नुकसान के लिए बैैंक उत्तरदायी नहीं होते। यदि लॉकर्स में रखे सामान के बारे में बैैंक को जानकारी होगी तो वह उसके प्रति उत्तरदायी बन सकते हैैं।


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